अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वह न्यूक्लियर डील पर सहमति नहीं बनाता है, तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. लेकिन अमेरिका की इस धमकी से ईरान ने बिना डरे जैसे को तैसा जवाब दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की धमकी के बाद, देश के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली खामेनेई के एक सलाहकार अली लारीजानी ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम परमाणु हथियारों की ओर नहीं बढ़ रहे हैं, लेकिन अगर आप ईरानी परमाणु मुद्दे में कुछ गलत करते हैं, तो आप ईरान को उस ओर बढ़ने के लिए मजबूर कर देंगे, क्योंकि उसे हर हाल में अपनी रक्षा करनी है.
ईरान ऐसा नहीं करना चाहता लेकिन उसके पास...
खामेनेई के सलाहकार ने कहा कि ईरान ऐसा नहीं करना चाहता, लेकिन ... (उसके पास) कोई विकल्प नहीं होगा. अगर किसी समय अमेरिका खुद या इजरायल से बमबारी की ओर बढ़ते हैं, तो यकीनन आप ईरान को एक अलग फैसला लेने के लिए मजबूर करेंगे. एनबीसी न्यूज के अनुसार, ट्रंप ने शनिवार को कहा कि अगर ईरान परमाणु समझौते पर सहमत नहीं होता है, तो फिर उन पर घातक बमबारी होगी. खामेनेई ने रमजान के अंत में एक भाषण के दौरान ट्रंप की टिप्पणी के बारे में कहा, "वे शरारत करने की धमकी देते हैं." "अगर ऐसा किया जाता है, तो उन्हें जवाबी हमले जरिए इसका मुंहतोड़ जवाब मिलेगा."
यह संदेश ईरान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत आमिर सईद इरावानी द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजे गए एक पत्र में भेजा गया, जिसमें उन्होंने युद्ध भड़काने वाली उकसावेबाजी की निंदा की. राजदूत ने कहा कि ईरान अमेरिका या उसके प्रतिनिधि, इजरायल शासन की तरफ किसी भी आक्रामक कार्रवाई या हमले का तेजी से जवाब देगा.
- ट्रंप ने इससे पहले मार्च में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को चिट्ठी लिखकर चेतावनी दी थी कि तेहरान को या तो नए सिरे से बातचीत के लिए सहमत होना पड़ेगा वरना सैन्य टकराव झेलना पड़ेगा.
- ईरान ने अमेरिका के प्रस्ताव को सीधे तौर पर खारिज कर दिया. राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन की ओर से ईरान के सर्वोच्च नेता को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि तेहरान वाशिंगटन के साथ सीधी बातचीत नहीं करेगा.
- ईरानी संसद के स्पीकर गलीबाफ ने कहा कि अगर अमेरिका ने ईरान को धमकाया तो वह भी ये बात समझ ले कि वह भी एक बारूद के ढेर पर बैठा है. अगर ईरान पर हमला हुआ, तो अमेरिका और उसके सहयोगियों को पूरे क्षेत्र में असुरक्षा झेलनी पड़ेगी.
- अमेरिका ने 2018 में समझौते से खुद को अलग कर लिया और 'अधिकतम दबाव' की नीति के तहत प्रतिबंध लगा दिए. ये प्रतिबंध ईरान के साथ व्यापार करने वाले सभी देशों और कंपनियों पर लागू हैं.
- इन लोगों ने तेहरान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से अलग कर दिया, जिससे परमाणु समझौते के आर्थिक प्रावधान शून्य हो गए.
- अप्रैल 2021 में ऑस्ट्रिया के वियना में JEPOA को फिर से लागू करने के लिए बातचीत शुरू हुई. कई राउंड की वार्ता के बावजूद, अगस्त 2022 में अंतिम दौर की वार्ता के बाद से कोई खास कामयाबी हासिल नहीं हुई है
ग्लास रूम में बैठने वाले को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए
ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के प्रभारी ने सोमवार को टेलीविजन पर धमकी देते हुए कहा, "जो कोई 'ग्लास रूम' में बैठा हो, उसे किसी पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए." जनवरी में पद संभालने के बाद से, ट्रंप ने अपनी "अधिकतम दबाव" नीति को फिर से लागू किया है, जिसके तहत उनके पहले कार्यकाल में अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर एक ऐतिहासिक समझौते से हटने और तेहरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का फैसला किया था. अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने लंबे समय से ईरान पर परमाणु हथियार हासिल करने का आरोप लगाया है, जिसे तेहरान ने खारिज करते हुए कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हैं.
2015 के परमाणु समझौते में तेहरान और विश्व शक्तियों के बीच यह सहमति हुई थी कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करेगा, जिसके बदले में उसे प्रतिबंधों से राहत मिलेगी.
ट्रंप की धमकी पर ईरान की ललकार
7 मार्च को ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने खामेनेई को परमाणु कार्यक्रम पर बाताचीत के लिए पत्र लिखा था और तेहरान के इनकार करने पर उन्होंने सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी थी. गुरुवार को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि ओमान के माध्यम से जवाब भेजा गया है, हालांकि इसके विवरण का खुलासा नहीं किया गया. अरागची ने कहा कि ईरान "अधिकतम दबाव और सैन्य कार्रवाई की धमकी" के तहत सीधी बातचीत में शामिल नहीं होगा. हालांकि, अपने बयानों में मंत्री ने "अप्रत्यक्ष वार्ता" के लिए दरवाजा खुला छोड़ दिया.
ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर ईरान डील नहीं करता है, तो अमेरिका ऐसी बमबारी करेगा, जो पहले कभी नहीं देखी होगी. इसके साथ भी टैरिफ भी लगाया जाएगा. ट्रंप ने ये चेतावनी ऐसे समय में दी है, जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वाशिंगटन और तेहरान के बीच तनाव बढ़ गया है. सवाल ये भी है कि क्या ट्रंप की ईरान को ये आखिरी धमकी है?
अमेरिका-ईरान के बीच कब से है तनाव?
साल 1979 में ईरानी क्रांति के बाद से, ईरान के संबंध अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ तनावपूर्ण हो गए हैं. बंधक संकट के बाद दोनों देशों ही देशों ने रिश्ते तोड़ लिए. दोनों देशों के बीच 1980 के बाद से कोई औपचारिक राजनयिक संबंध भी नहीं रहे. अमेरिका से 1995 से ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों पर प्रतिबंध लगा दिया था.