iPhone 17 बनाते चीन में वर्कर्स 'खून के आंसू' रो रहे! Apple की सबसे बड़ी फैक्ट्री की डराने वाली सच्चाई

China's iPhone 17 Factory: चीन के झेंग्झौ में फॉक्सकॉन दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री चलाती है. अब चाइना लेबर वॉच (CLW) ने यहां काम करने वाले कर्मचारियों के शोषण की कहानी अपने रिपोर्ट में सामने लाई है.

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  • चीन की आईफोन फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को अनिश्चित और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है
  • मौसमी कर्मचारी पीक सीजन में अस्थायी रूप से काम करते हैं और उन्हें वेतन भुगतान में देरी का सामना करना पड़ता है
  • जातीय अल्पसंख्यकों और गर्भवती महिलाओं से व्यवस्थित भेदभाव और अन्य श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन होता है
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क्या आप अपने हाथ में Apple का लेटेस्ट iPhone 17 फोन लेते समय यह सोचते हैं कि इसे चीन की किसी फैक्ट्री में बनाते हुए एक वर्कर क्या झेलता होगा, उसे समय से उसका मेहनताना नहीं मिलता होगा, उसके साथ भेदभाव किया जाता होगा… यकीनन नहीं. लेकिन सच्चाई कुछ ऐसी ही है. चीन में मजबूरों के हक की आवाज उठाने वाले एक प्रमुख लेबर राइट ग्रूप के अनुसार, Apple के लेटेस्ट iPhone को असेंबल करने वाले चीनी कारखाने के कर्मचारियों को लगातार अनिश्चित परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें कई घंटे ओवरटाइम करना पड़ रहा है, उनको वेतन मिलने में देरी हो रही है और उनमें से जो जातीय अल्पसंख्यक हैं, उनके खिलाफ भेदभाव हो रहा है.

चीन के झेंग्झौ (Zhengzhou) में फॉक्सकॉन दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री चलाती है. अब फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चाइना लेबर वॉच (CLW) ने पाया कि इस फैक्ट्री में पीक सीजन के दौरान काम करने वाले अनुमानित 200,000 वर्कर्स में से आधे से अधिक मौसमी कर्मचारी हैं जिन्हें "डिस्पैच वर्कर" के रूप में जाना जाता है. यानी इन्हें सिर्फ पीक सीजन में ही काम पर रखा जाता है. यह तब हो रहा है जब चीन के कानून के अनुसार कोई कंपनी अपने कुल कर्मचारी के 10 प्रतिशत से अधिक मौसमी कर्मचारी नहीं रख सकती.

इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका स्थित CLW, जो चीनी कारखानों की गुप्त जांच में माहिर है, ने यह भी पाया कि इन मौसमी कर्मचारियों को अलग-अलग पेमेंट शेड्यूल का सामना करना पड़ता है. ये कर्मचारी पीक सीजन के दौरान फैक्ट्री में अपना काम ने छोड़े, इसके लिए उनके वेतन का कुछ हिस्सा रोक दिया जाता है.

इन मौसमी कर्मचारियों को परमानेंट कर्मचारियों के समान सुविधाएं नहीं मिलती हैं. उन्हें पेड सिक लीव (बीमार होने पर बिना पैसा काटे छुट्टी), पेड लीव, मेडिकल इंश्यूरेंस और कंपनी की तरफ से पेंशन में योगदान नहीं मिलता. रिपोर्ट के अनुसार CLW ने यह भी दावा किया कि कुछ जातीय अल्पसंख्यकों और गर्भवती महिलाओं को काम पर रखने में व्यवस्थित (सिस्टमैटिक) भेदभाव होता है.

चीन में मजदूरों का शोषण सिस्टम का हिस्सा है!

चीन के श्रमिकों के अधिकारों की स्थिति गंभीर है. वहां व्यवस्थित रूप से जबरन मजदूरी कराया जाता है, विशेष रूप से शिनजियांग में जातीय अल्पसंख्यकों (उइगर मुस्लिमों) के खिलाफ यह अत्याचार किया जाता है. वहां से मजदूरों को वेतन न देने, अत्यधिक ओवरटाइम कराने, खतरनाक स्थितियों में काम कराने और भेदभाव सहित श्रमिक अधिकारों के व्यापक उल्लंघन के सबूत सामने आते रहे हैं. भले वहां कई श्रम कानून मौजूद हैं लेकिन उसे जमीन पर मजबूती से लागू नहीं किया जाता. वहां मजबूरों का स्वतंत्र यूनियन बनाना अवैध है, और शिकायत करने वाले श्रमिकों को धमकियों और सर्विलांस का सामना करना पड़ता है. कथित तौर पर 2019 के बाद से स्थिति खराब हो गई है. चाइना लेबर वॉच (CLW) जैसे संगठनों ने चल रहे शोषण की जांच की और अपने रिपोर्ट्स के माध्यम से दुनिया के सामने लाने का काम किया.

(इनपुट- फाइनेंशियल टाइम्स)

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