China की 'Cambodia वाली चाल' को India ने Vietnam से 'दी पटखनी', "विज़न" से आगे बढ़ेगा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग

वियतनाम (Vietnam) , भारत (India) की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ (Act-East Policy) और ‘इंडो-पैसिफिक विज़न’ (Indo-Pacific Vision) में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने कहा, ‘ गहन विचार-विमर्श के बाद, हमने ‘वर्ष 2030 को लक्षित भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त दृष्टिकोण दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जो हमारे रक्षा सहयोग के दायरे को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा.’’

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Vietnam की तीन दिन की यात्रा पर पहुंचे हैं India के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

एक तरफ चीन (China) जहां कंबोडिया (Cambodia) में अपना नौसेना बेस (Naval Base) बनाने में लगा हुआ है वहीं भारत (India) भी अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region ) के केंद्र  में चीन  की काट तैयार करने के लिए कंबोडिया के पड़ोसी देश वियतनाम (Vietnam) के साथ अपने संबंधों को और मजबूत बना रहा है. भारत ने अब वियतनाम के साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग आगे बढ़ाने के लिए एक 'विज़न' दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए. वियतनाम की तीन दिन की यात्रा पर पहुंचे भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh)  ने बुधवार को वियतनाम (Vietnam) के अपने समकक्ष जनरल फान वान गियांग से बातचीत की. इसी ‘लाभप्रद' वार्ता के बाद भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक ‘विज़न' दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए.

राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘वियतनाम के रक्षा मंत्री जनरल फान वान गियांग के साथ मुलाकात बेहतरीन रही. हमने द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार पर बातचीत दोबारा शुरू की. हमारे बीच घनिष्ठ रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग हिंद-प्रशांत (Indo -Pacific) क्षेत्र में स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है.'' 

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चीन की क्षेत्र में बढ़ती आक्रामकता तथा समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में भारत और वियतनाम के बीच बढ़ती सहमति के बीच द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों का विस्तार करने के लिए ‘विज़न' दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए हैं. अमेरिकी रिपोर्ट्स के मुताबिक  चीन (China) कंबोडिया (Cambodia)  में सैन्य इस्तेमाल के लिए नौसेना के लिए ठिकाना बना रहा है. यह चीन का ऐसा दूसरा विदेश में ठिकाना होगा और रणनीतिक तौर पर अहम हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) में यह चीन का पहला ऐसा ठिकाना होगा.

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वॉशिंगटन पोस्ट ने रिपोर्ट किया था कि यह सैन्य मौजूदगी कंबोडिया की उत्तरी हिस्से में रीम नेवल बेस पर होगी जो थाईलैंड की खाड़ी में मौजूद है. यह पूर्वी अफ्रीकी देश जिबूती (Djibouti) के बाद यह  चीन का विदेश में मौजूद इकलौता  सैन्य बेस होगा. रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे बेस पर चीन की सेना तैनात हो सकती है और अमेरिका की सेना की खुफिया निगरानी भी की जा सकती है.  

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2030 तक विविध रक्षा क्षेत्रों में वियतनाम-भारत के रक्षा संबंधों का होगा विस्तार 

अधिकारियों ने बताया कि भारत-वियतनाम ने  2030 तक विविध क्षेत्रों में रक्षा संबंधों के महत्वपूर्ण विस्तार के लिए साझा दृष्टिकोण दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए.

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सिंह ने कहा,‘‘ हमने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों को प्रगति के लिए प्रभावी एवं व्यावहारिक पहलों पर व्यापक चर्चा की.''

उन्होंने कहा, ‘‘ गहन विचार-विमर्श के बाद, हमने ‘ ज्वाइंट विज़न स्टेटमेंट ऑन इंडिया-वियतनाम डिफेंस पार्टनरशिप टुवर्ड्स 2030' (वर्ष 2030 को लक्षित भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त दृष्टिकोण )पर हस्ताक्षर किए, जो हमारे रक्षा सहयोग के दायरे को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा.''

रक्षा मंत्री सिंह का वियतनाम के राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक और प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह से भी मुलाकात करने का भी कार्यक्रम है.

वियतनाम, आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) का एक महत्वपूर्ण देश है और उसका दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है.

भारत, दक्षिण चीन सागर में वियतनामी समुद्र क्षेत्र में तेल निकालने संबंधी परियोजनाएं चला रहा है. भारत और वियतनाम साझा हितों की रक्षा के वास्ते पिछले कुछ वर्षों में अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.

जुलाई 2007 में वियतनाम के तत्कालीन प्रधानमंत्री गुयेन तान डुंग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को ‘‘रणनीतिक साझेदारी'' का दर्जा दिया गया था. 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान, इस दर्जे को बढ़ाकर ‘‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी'' कर दिया गया था.

वियतनाम, भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति' और ‘इंडो-पैसिफिक विज़न' में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है.

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