अमेरिका के मैसाचुसेट्स में वेलेस्ली बिजनेस स्कूल में भारतीय मूल की एक एसोसिएट प्रोफेसर ने एक मुकदमा दायर किया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके साथ नस्ली और लैंगिक भेदभाव किया गया है. एक खबर में यह जानकारी दी गई है.
समाचार पत्र ‘द बॉस्टन ग्लोब' की खबर के अनुसार बॉबसन कॉलेज में ‘ एंटरप्रेन्योरशिप' की एसोसिएट प्रोफेसर लक्ष्मी बालचंद्र ने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन द्वारा उनकी शिकायतों पर गौर नहीं किये जाने के कारण उन्होंने अपने करियर में कई अवसर खो दिए जिससे उन्हें न केवल आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची.
बालचंद्र बॉबसन संकाय में 2012 में शामिल हुई थीं. उन्होंने प्रोफेसर और कॉलेज के ‘एंटरप्रेन्योरशिप' प्रभाग के पूर्व अध्यक्ष एंड्रयू कॉर्बेट पर भेदभावपूर्ण कार्य वातावरण बनाने का आरोप लगाया.
बोस्टन में अमेरिकी ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट' में 27 फरवरी को दायर की गई शिकायत के अनुसार, बालचंद्र ने आरोप लगाया कि शोध रिकॉर्ड के बावजूद उन्हें अनुसंधान करने और कई अवसरों से वंचित रखा गया.
बालचंद्र ने शिकायत में आरोप लगाया, ‘‘बॉबसन में श्वेत और पुरुष संकाय का पक्ष लिया जाता है और उन्हीं के लिए पुरस्कार और विशेषाधिकार सुरक्षित रखे जाते है.
शिकायत के अनुसार उनके शोध रिकॉर्ड, रुचि व्यक्त करने और कॉलेज में सेवाएं देने बावजूद उन्हें शोध करने और लिखने के लिए अधिक समय देने के अवसरों से वंचित रखा गया है. इसमें कहा गया है, ‘‘इस तरह के विशेषाधिकार नियमित रूप से श्वेत पुरुष संकाय को दिए जाते हैं.''
बालचंद्र की वकील मोनिका शाह ने कहा कि प्रोफेसर ने ‘मैसाचुसेट्स कमीशन अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' में भेदभाव का मुकदमा भी दायर किया है.
इस बीच बॉबसन कॉलेज ने कहा कि उन्होंने शिकायतों को गंभीरता से लिया है और उनके पास शिकायतों की अच्छी तरह से जांच करने और उनका समाधान करने लिए स्थापित प्रोटोकॉल और संसाधन हैं.
बॉबसन कॉलेज के प्रवक्ता के हवाले से खबर में कहा गया है, ‘‘कॉलेज में दुनिया के हर हिस्से के लोग हैं जहां समानता को महत्व दिया जाता है. कॉलेज में किसी भी प्रकार का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाता है.''
खबर के अनुसार, बालचंद्र वर्तमान में ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन' में फेलोशिप के लिए छुट्टी पर हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)