रूस (Russia) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में तेजी से बदलते हालात पर बुलाई एक अहम बैठक में भारत को आमंत्रित नहीं किया है और इस बैठक में पाकिस्तान, चीन तथा अमेरिका के शामिल होने की संभावना है. इस संबंध में जानकारी रखने वाले लोगों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. अफगानिस्तान में तालिबान के हमले बढ़ने पर रूस ने हिंसा रोकने और अफगान शांति प्रक्रिया पर जोर देने के लिए युद्धग्रस्त देश में सभी प्रमुख पक्षकारों तक पहुंचने के प्रयास तेज कर दिए हैं. यह ‘विस्तारिक ट्रोइका (Troika) बैठक' 11 अगस्त को कतर में होनी है इसके तहत पहले 18 मार्च और 30 अप्रैल को वार्ता हुई थी. अफगानिस्तान में शांति लाने और राष्ट्रीय सुलह की प्रक्रिया की शर्तें तय करने पर वार्ता के लिए रूस ‘मॉस्को फॉर्मेट' भी करा रहा है.
अफगान सेना ने भारत के बनाए सलमा डैम पर तालिबान के हमले को किया नाकाम
रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने पिछले महीने ताशकंद में कहा था कि उनका देश भारत और अन्य देशों के साथ काम करता रहेगा जो अफगानिस्तान में स्थिति पर असर डाल सकते हैं. इन टिप्पणियों के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि भारत को आगामी ‘‘विस्तारित ट्रोइका' बैठक में शामिल किया जा सकता है. भारत ने अभी विस्तारित ट्रोइका बैठक पर कोई टिप्पणी नहीं की है.इस बीच, भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजे ने अफगानिस्तान में स्थिति पर चर्चा करने के लिए 6 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक कराने के फैसले को सकारात्मक कदम बताया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने एलान किया कि भारत की अध्यक्षता के तहत शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में अफगानिस्तान में स्थिति पर चर्चा की जाएगी.
अफगानिस्तान में अनिश्चित काल तक 'लड़ना' US के हित में नहीं : जो बाइडेन
मामुन्दजे ने ट्वीट किया, ‘‘अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आपात सत्र बुलाना एक सकारात्मक कदम है.संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवादियों की हिंसा और अत्याचारों के कारण अफगानिस्तान में हो रही त्रासदी को रोकने में अहम भूमिका निभानी चाहिए.यूएनएससी अध्यक्ष के तौर पर अग्रणी भूमिका के लिए शुक्रिया भारत।''
यूएनएससी की बैठक कराने का फैसला तब आया है जब दो दिन पहले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार ने तालिबान की हिंसा रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आपात सत्र बुलाने पर अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से बात की.भारत अगस्त माह के लिए यूएनएससी का अध्यक्ष है.अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता में भारत प्रमुख पक्षकार है.उसने युद्धग्रस्त देश में सहायता और पुनर्निर्माण गतिविधियों में करीब तीन अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है.भारत अफगानिस्तान के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय शांति एवं सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है.