शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर अटैक... BRICS के साथ भारत ने ईरान पर हमले की निंदा की, तेहरान ने कहा शुक्रिया

BRICS condemn Attack on Iran: ब्रिक्स ने एक बयान में कहा, ‘‘हम 13 जून से ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान’ के खिलाफ सैन्य हमलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन है.’’

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BRICS condemn Attack on Iran: ब्रिक्स ने ईरान पर हमले की निंदा की
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  • ब्रिक्स ने ईरान के खिलाफ सैन्य हमलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
  • भारत ने भी इस साझा बयान पर हस्ताक्षर कर ईरान के प्रति चिंता जताई.
  • अमेरिका और इजरायल द्वारा ईरान पर हमले के बाद तनाव बढ़ा है.
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BRICS condemn Attack on Iran: भारत, चीन, रूस और आठ अन्य सदस्य देशों वाले ‘ब्रिक्स' समूह ने ईरान के खिलाफ सैन्य हमलों पर ‘‘गंभीर चिंता'' व्यक्त की है और ‘‘हिंसा के कुचक्र'' को समाप्त करने का आह्वान किया है. इस प्रभावशाली मंच ने संबंधित पक्षों से बातचीत और कूटनीति के माध्यम से युद्ध की स्थिति में सुधार का आग्रह किया. यहां सबसे बड़ी बात यह है कि भारत ने भी इस साझा बयान पर हस्ताक्षर किया है यानी उसने भी खुलकर ईरान के खिलाफ हुए सैन्य हमलों पर अपनी गंभार चिंता जाहिर की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5-6 जुलाई को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रियो डी जनेरियो जाने की उम्मीद है.

भारत के स्टैंड में यह बदलाव है क्योंकि भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) द्वारा जारी एक बयान से खुद को 10 दिन पहले अलग कर लिया था, जिसमें इजरायल द्वारा किए गए सैन्य हमलों की निंदा की गई थी.

गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर रविवार सुबह बमबारी के बाद ईरान और इजरायल के बीच युद्ध तेज हो गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम की घोषणा की, जिसके बुधवार को भी जारी रहने की संभावना है.

ब्रिक्स ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ‘‘हम 13 जून से ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान' के खिलाफ सैन्य हमलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन है.'' बयान में कहा गया है, ‘‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के साथ-साथ विश्व अर्थव्यवस्था के लिए अप्रत्याशित परिणामों के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर, हम हिंसा के चक्र को तोड़ने और शांति बहाल करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.''

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काम की बात- मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बने ब्रिक्स ने 2024 में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया, जिसमें इंडोनेशिया 2025 में शामिल हो गया.

इस समूह ने सभी पक्षों से मौजूदा संवाद और कूटनीति के माध्यम से बातचीत करने का आह्वान किया, ताकि स्थिति में सुधार हो और शांतिपूर्ण तरीकों से मतभेदों को सुलझाया जा सके. इस मंच ने ‘‘शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों'' के खिलाफ किसी भी हमले पर ‘‘गंभीर चिंता'' भी व्यक्त की, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रासंगिक प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए किए जाते हैं.

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इन टिप्पणियों को अमेरिका और इजराइल दोनों के खिलाफ टागरेट माना जा रहा है, क्योंकि दोनों पक्षों ने ईरानी परमाणु सुविधाओं पर हमले किए हैं. ब्रिक्स ने कहा, ‘‘लोगों और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए सशस्त्र संघर्षों सहित परमाणु सुरक्षा, सुरक्षा और संरक्षा को हमेशा बनाए रखा जाना चाहिए.''

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इसने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, हम क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से कूटनीतिक पहलों के लिए अपना समर्थन दोहराते हैं.'' इसने कहा कि नागरिकों के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए, तथा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के पूर्ण अनुपालन में नागरिक बुनियादी ढांचे की सुरक्षा की जानी चाहिए.

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ब्रिक्स ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित सिद्धांतों द्वारा निर्देशित, ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने तथा कूटनीति और शांतिपूर्ण संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो इस क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता की दिशा में एकमात्र स्थायी मार्ग है.'' बयान के अनुसार, ‘‘इस संबंध में, हम प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संकल्पों के अनुरूप मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों और सामूहिक विनाश के अन्य हथियारों से मुक्त क्षेत्र स्थापित करने की आवश्यकता की भी पुष्टि करते हैं.''

ईरान ने भारत को कहा शुक्रिया

एक बयान में, दिल्ली में ईरानी दूतावास ने कहा कि वह ईरान का पक्ष लेने वालों के लिए "वास्तविक और अमूल्य समर्थन" की सराहना करता है. ईरानी दूतावास ने भारत के सभी "स्वतंत्रता-प्रेमी" लोगों को "हार्दिक आभार" व्यक्त किया - जिसमें राजनीतिक दल, संसद सदस्य, गैर-सरकारी संगठन, धार्मिक और आध्यात्मिक नेता, यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, मीडिया के सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता और सभी व्यक्ति और संस्थान शामिल हैं जो ईरान के साथ मजबूती से और मुखर रूप से खड़े थे.

दूतावास ने कहा कि जब ईरानी लोग सैन्य हमले को झेल रहे थे, तो एकजुटता, समर्थन, सार्वजनिक बयान और शांति-उन्मुख सभाओं में सक्रिय भागीदारी के संदेश "गहरे प्रोत्साहन" का स्रोत थे.

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