भारत ‘सफलता की एक असाधारण गाथा है’: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन

एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार की ‘उल्लेखनीय उपलब्धियों’ ने बहुत सारी भारतीय जिंदगियों को भौतिक रूप से लाभ पहुंचाया है एवं उन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है.

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अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन.
दावोस:

भारत को ‘सफलता की असाधारण गाथा' बताते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार की ‘उल्लेखनीय उपलब्धियों' ने बहुत सारी भारतीय जिंदगियों को भौतिक रूप से लाभ पहुंचाया है एवं उन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है.

उन्होंने यहां ‘विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक, 2024' में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रयासों से द्विपक्षीय संबंध नयी ऊंचाई पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि साथ ही, लोकतंत्र एवं अधिकारों पर चर्चा दोनों देशों के बीच संवाद का नियमित हिस्सा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह बिल्कुल निरंतर, वास्तविक और एक ऐसी बातचीत का हिस्सा है, जिससे हमें सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है. भारत के साथ बिल्कुल ऐसी ही स्थिति है.'' वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि मोदी के शासन में भारत के तीव्र आर्थिक विकास एवं बुनियादी ढांचा विनिर्माण की तेज रफ्तार के बावजूद क्या हिंदू राष्ट्रवाद का उभार अमेरिका के लिए चिंताजनक है.

भारत को लेकर अपने और अमेरिका के नजरिये की चर्चा करते हुए ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हमें असाधारण सफल गाथा दिखती है और हमें ऐसी उल्लेखनीय उपलब्धियां नजर आती हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी निगरानी में हासिल की हैं और उन उपलब्धियों ने बहुत सारी भारतीय जिंदगियों को भौतिक रूप से लाभ पहुंचाया है एवं उनपर सकारात्मक प्रभाव डाला है.''

उन्होंने कहा, ‘‘हमें दोनों देशों के बीच ऐसा संबंध भी दिखता है जो नये मुकाम एवं नये स्तर पर पहुंच गया है और मेरा मानना है कि यह प्रधानमंत्री मोदी एवं राष्ट्रपति बाइडेन के सुविचारित प्रयासों का परिणाम है.''

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘साथ ही, लोकतंत्र और अधिकारों पर चर्चा भी हमारी बातचीत का नियमित हिस्सा रहा है.''

उन्होंने कहा, ‘‘जब राष्ट्रपति (बाइडन) ने सत्ता संभाली थी, तब हम यह सुनिश्चित कर लेना चाहते थे कि हम अपनी विदेश नीति में लोकतंत्र और मानवाधिकार के बारे में इन मूल चिंताओं को वापस लाएं और हमने ऐसा किया है. विभिन्न स्थानों पर हम अलग-अलग तरीके से यह करते हैं. शायद इसकी वजह से, हमारा किसी देश या सरकार के साथ संबंध हो.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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