भारत की रेयर अर्थ मिनरल्स की जरूरत और चीन का मदद वाला 'वादा': सिर्फ बिजनेस है या रणनीति बदल रही?

दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स का सबसे बड़ा भंडार चीन में है और उसकी तरफ से आश्वासन मिलना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. यह सहयोग ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बीजिंग के साथ रेयर अर्थ मिनरल्स का अपना समझौता किया है.

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भारत दौरे पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी दिल्ली में बैठक कर रहे हैं.
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  • चीन ने भारत की बढ़ती रेयर अर्थ मिनरल्स और उर्वरक आवश्यकताओं को पूरा करने का आश्वासन दिया है.
  • 2019 के गलवान संघर्ष के बाद यह चीन की भारत के साथ रिश्तों में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है.
  • अमेरिका ने चीन के साथ रेयर अर्थ मिनरल्स सप्लाई समझौता किया है और भारत पर भारी टैरिफ लगाया है.
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संसाधनों पर हक की लड़ाई हमेशा से रही है और अगर ये संसाधन बहुत ही रेयर यानी बिरले हो तो उन पर कब्जे की लड़ाई और भी गंभीर हो जाती है. दुनिया में इन दिनों एक संघर्ष कुछ ऐसे ही एलिमेंट्स यानी तत्वों को लेकर चल रहा है जिन्हें रेयर अर्थ मिनरल्स या रेयर अर्थ मेटल्स कहा जाता है. अब इन रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए भारत की बढ़ती आवश्यक्ता को देखते हुए चीन ने मदद करने को हाथ बढ़ाने की बात की है. चीन का यह सैद्धांतिक निर्णय 2019 के गलवान संकट से रिश्तों में आए खटास से बहुत दूर जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. 2019 में सीमा पर तनाव बढ़ गया था जब दोनों पक्षों के सैनिक हिंसक झड़पों में लगे हुए थे, जो दशकों में पहली बार हुआ था.

सूत्र बताते हैं कि भारत दौरे पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से वादा किया है कि चीन उर्वरक (फर्टिलाइजर), रेयर अर्थ मिनरल्स और सुरंग-बोरिंग मशीनों में भारत की आवश्यकताओं को पूरा करेगा. वांग यी की यात्रा यह पीएम मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन की यात्रा से कुछ हफ्ते पहले हो रही है. पीएम मोदी की यह 7 वर्षों में पहली चीन यात्रा होगी.

दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स का सबसे बड़ा भंडार चीन में है और उसकी तरफ से आश्वासन मिलना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. यह सहयोग ऐसे समय में आया है जब अमेरिका (जो लंबे समय से बीजिंग को एक रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है) ने अपनी औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बीजिंग के साथ रेयर अर्थ मिनरल्स का अपना समझौता किया है.

पिछले महीने, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी, "चीन के साथ हमारी डील हो गई है, (डील) राष्ट्रपति शी और मेरे अंतिम अनुमोदन के अधीन है." उन्होंने ट्रुथ सोशल पर आगे बताया था, "फुल मैगनेट और सभी आवश्यक रेयर अर्थ्स की सप्लाई चीन द्वारा की जाएगी. इसी तरह, हम चीन को वह प्रदान करेंगे जिस पर सहमति हुई थी, जिसमें हमारे कॉलेजों और यूनिवर्सिटी का उपयोग करने वाले चीनी छात्र भी शामिल होंगे."

उसके बाद से अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाया है. इसमें नई दिल्ली के रूसी तेल के आयात के लिए 25 प्रतिशत जुर्माना भी शामिल है. भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूस से तेल आयात जरूरी है. वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच व्यापार वार्ता लगभग टूट गई है. वहीं भारत से अधिक रूसी तेल आयात करने वाले चीन पर ऐसा कोई आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाया है. भारत ने अमेरिकी कार्रवाई को "अनुचित, अनुचित और अनुचित" बताया है.

ट्रंप ने ग्लोबल ऑर्डर में मचाई उथल-पुथल

यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि भारत की रेयर अर्थ मिनरल्स की आवश्यकताओं पर विचार करने के लिए सहमत होने के चीन के निर्णय से नई दिल्ली और बीजिंग के बीच व्यापक रणनीतिक याराना मजबूत होने लगा है. लेकिन यह स्पष्ट है कि ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में वैश्विक व्यवस्था (ग्लोबल ऑर्डर) को गहरे मंथन की स्थिति में छोड़ दिया है. यानी यहां ट्रंप ने उथल-पुथल मचा दी है.

बीजिंग, अपनी ओर से, नई दिल्ली और वाशिंगटन दोनों के साथ व्यापार करना चाहता है. कल नई दिल्ली में बैठकों के बाद चीनी सरकार ने कहा कि, "एकतरफा बदमाशी बड़े पैमाने पर हो रही है." इशारा सीधा सीधा अमेरिका की ओर था. बयान में कहा गया, "चीन और भारत को प्रमुख देशों के रूप में वैश्विक चिंता और जिम्मेदारी की भावना प्रदर्शित करनी चाहिए, विकासशील देशों के विशाल बहुमत के लिए एकजुट होने और खुद को मजबूत करने के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए, और एक बहुध्रुवीय दुनिया को बढ़ावा देने में योगदान देना चाहिए."

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रेयर अर्थ मिनरल्स में चीन का दबदबा

चीन रेयर अर्थ मिनरल्स की वैश्विक आपूर्ति पर हावी है. दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स के खनन का 60-70 प्रतिशत हिस्सा चीन का है. 

अगर यह रेयर अर्थ मेटल्स ना हो तो आपके स्मार्टफोन से लेकर आपके कंप्यूटर और तमाम इलेक्ट्रॉनिक सामान, सेमीकंडक्टर्स, बिजली से चलने वाली कारें, विमानों के इंजन, इलाज के उपकरण, तेल की रिफाइनिंग यानी और यहां तक कि युद्ध में इस्तेमाल होने वाली मिसाइल्स और रडार सिस्टम तक नहीं बन पाएंगे.

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भारत ने 30 खनिजों की पहचान की है जो भारत की आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं. पिछले महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट में, भारतीय स्टेट बैंक ने कहा था कि भारत पिछले चार वर्षों से रेयर अर्थ और कम्पाउंड के आयात पर प्रति वर्ष 33 मिलियन डॉलर खर्च कर रहा है. 

भले चीन ने भारत में रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन निर्यात प्रतिबंध सख्त हैं और एक जटिल लाइसेंसिंग प्रणाली है जिसके लिए आयातकों को स्पेशल परमिट लेने की आवश्यकता होती है. इस प्रक्रिया ने भारतीय निर्माताओं की सप्लाई चेन को काफी हद तक बाधित कर दिया है. SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इससे प्रभावित क्षेत्रों में "परिवहन उपकरण, बुनियादी धातु, मशीनरी, निर्माण और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स" शामिल हैं.
 

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