यूक्रेन युद्ध का असर, समरकंद विश्वविद्यालय में बढ़ी MBBS करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या

यूक्रेन उन भारतीय विद्यार्थियों के लिए लोकप्रिय गंतव्य था, जो चिकित्सा की पढाई के लिए विदेश जाना चाहते थे, लेकिन वहां चल रही लड़ाई ने उस दरवाजे को बंद कर दिया और ऐसे विद्यार्थी नये विकल्प तलाश रहे हैं.

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यूक्रेन उन भारतीय विद्यार्थियों के लिए लोकप्रिय गंतव्य था.
समरकंद:

युद्ध के कारण एमबीबीएस करने के आकांक्षी भारत के छात्रों के लिये यूक्रेन का द्वार बंद हो जाने के चलते उज्बेकिस्तान के 93 साल पुराने ‘स्टेट समरकंद मेडिकल यूनिवर्सिटी' में भारतीय विद्यार्थियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. साल 2021 तक इस सरकारी विश्वविद्यालय में भारत से करीब 100-150 विद्यार्थी पहुंचते थे, लेकिन 2023 में यह संख्या 3000 तक पहुंच गयी। इस विश्वविद्यालय ने 1000 से अधिक उन विद्यार्थियों को अपने यहां जगह दी, जो पहले यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पंजीकृत थे और जिन्हें बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

स्टेट समरकंद मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. जफर अमीनोव ने यहां ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘भारतीय विद्यार्थियों की संख्या काफी बढ़ी है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त इंतजाम कर रहे हैं कि यह रुझान जारी रहे तथा विद्यार्थियों को कोई असुविधा न हो.''

अमीनोव ने कहा, ‘‘इस साल हमने भारत से 40 से अधिक अध्यापकों की भर्ती की है। हमारे यहां पढ़ाई और अध्यापन केवल अंग्रेजी में है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि छात्रों को उच्चारण में किसी भी अंतर से निपटने में कठिनाई न हो.''

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उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह से अध्यापक सांस्कृतिक रूप से विद्यार्थियों के करीब हैं और वे अध्यापक विद्यार्थियों को भी संभालने में हमारी मदद करते हैं.''

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यूक्रेन उन भारतीय विद्यार्थियों के लिए लोकप्रिय गंतव्य था, जो चिकित्सा की पढाई के लिए विदेश जाना चाहते थे, लेकिन वहां चल रही लड़ाई ने उस दरवाजे को बंद कर दिया और ऐसे विद्यार्थी नये विकल्प तलाश रहे हैं.

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जब इस सरकारी विश्वविद्यालय ने यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को अपने यहां जगह देने एवं उनकी मदद करने की पेशकश की, तब परामर्शदाता इस विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करने लगे.

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वैसे तो भारत के साढ़े पांच साल के विपरीत उज्बेकिस्तान में एमबीबीएस की पढाई छह साल की है, लेकिन अंग्रेजी में अध्ययन-अध्यापन, शांतिपूर्ण माहौल, सस्ती शुल्क और व्यावहारिक मौके ऐसे कारण हैं, जो विद्यार्थियों को इस नये गंतव्य की ओर आकर्षित करते हैं.

परामर्शदाता कंपनी एम डी हाउस के निदेशक सुनील शर्मा ने कहा, ‘‘ समरकंद मध्य एशिया का छिपा हुआ रत्न है. पहले विद्यार्थी विभिन्न देशों में जा रहे थे और युद्ध के बाद विद्यार्थियों को उज्बेकिस्तान के बारे में पता चला। यहां कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बाते हैं, जो विद्यार्थियों के लिए अच्छी हैं। यह भारतीय लड़कियों एवं विद्यार्थियों के लिए बहुत सुरक्षित है.'' शर्मा इस विश्वविद्यालय में आधिकारिक दाखिला साझेदार हैं.

बिहार के मधुबनी के छात्र मोहम्मद आफताब ने कहा, ‘‘ इस जगह के बारे में अच्छी बात यह है कि यहां शांतिपूर्ण माहौल है. यहां भारत और पाकिस्तान से अध्यापक आते हैं, जिनके पास अच्छी जानकारी होती है। भाषाई बाधा जैसा कोई मुद्दा नहीं है. वे हमें उस भाषा में पढ़ाते हैं, जिसमें हम सहज हैं.''

हरियाणा के विशाल कटारिया उस देश को वरीयता देते हैं, जहां रहना और पढ़ाई-लिखाई भारत की तरह हो.
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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