इमरान खान (Imran khan) पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री पद से जबसे हटे हैं, तब से वह जनता के समर्थन से पाकिस्तान के ताकवर संस्थानों के खिलाफ खतरनाक प्रचार कर रहे. ब्लूमबर्ग की रपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को उनकी हत्या के प्रयास से दोनों ही पक्षों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. पकिस्तान में अगले साल आम चुनाव होने हैं, लेकिन इमरान समय से पहले राष्ट्रीय चुनावों की मांग कर रहे हैं. ऐसी ही एक रैली के दौरान 70 साल की उम्र में उन्हें पैर में गोली मारी गई. इमरान की पार्टी ने बिना देरी किए इसके लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्रालय और आईएसआई को दोषी ठहराया. वहीं शहबाज़ शरीफ ने इस गोलीबारी की निंदा की, इसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और 7 अन्य घायल हुए. लेकिन इमरान खान को मिल रही सहानुभूति से प्रधानमंत्री और सेना पर दबाव और बढ़ने वाला है.
सेना पर असर
सिंगापुर की राजा राम यूनिवर्सिटी में साउथ-एशिया के लिए सिविल-मिलिट्री रिलेशन के असोसिएट प्रोफेसर अंकित मुखर्जी कहते हैं, "यह बहुत जल्दी खूनी साबित हो सकता है. इमरान खान समर्थक जनता में गुस्सा है जो वो एस्टेबलिशमेंट के खिलाफ निकालने की कोशिश करेंगे."
इमरान खान दुनिया में 5वीं सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश की सत्ता में लौटने का कोई इरादा छोड़ते नजर नहीं आते. हमले के बाद सेना के जनरलों पर उनका हमला और तीखा हो सकता है, जिनपर वो उनके सत्ता से बाहर होने का आरोप लगाते हैं. पिछले महीने इमरान खान ने उपचुनाव में भी जीत हासिल की थी. इन चुनावों में जीत उन्होंने बहुत से कानूनी मामलों में फंसने के बाद और जेल में जाने की संभावना के बाद, और अगले चुनाव में खड़े होने से रोके जाने की संभावना के बावजूद हासिल की थी.
पाकिस्तान में अब तक कोई प्रधानमंत्री 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. इमरान खान पर हुई शूटिंग से सेना के लिए भी जटिलताएं बढी हैं. सेना ने 2018 में उन्हें समर्थन दिया था. इमरान खान पर कोई भी भविष्य का हमला, या उन्हें अगले चुनाव में खड़ा होने से रोका जाना, सेना के जनरलों को कठघरे में खड़ा करेगा, जो घरेलू और विदेश नीति के लिए पर्दे के पीछे रहकर काम करना पसंद करते हैं.
पाकिस्तान के लिए भारत के पूर्व राजदूत टीसीए राघवन कहते हैं, पाकिस्तान की सेना ऐसे हालात नहीं चाहेगी जहां उसे जनता से बलपूर्वक निपटना पड़े. इस कारण अगर विरोध प्रदर्शन बढ़ते हैं तो सेना सरकार को इमरान के साथ समझौता करने को कह सकती है."
पाकिस्तान में इन प्रदर्शनों का समय भी संवेदनशील है जब मौजूदा सेनाअध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा छ साल के कार्यकाल के बाद इसी महीने रिटायर हो रहे हैं. इमरान खान ने इससे पहले कहा था कि अगले चुनाव तक सेनाअध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए. और नए सेनाअध्यक्ष का चुनाव, आम चुनाव के बाद होना चाहिए.
अर्थव्यवस्था पर असर
पाकिस्तान में खूनखराबे और अस्थिरता के डर से अर्थव्यवस्था को भी नुकसान का खतरा है. पाकिस्तान पहले ही अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं की मदद से विनाशकारी बाढ़ से उबरने की कोशिश कर रहा है. शहबाज शरीफ, जिन्होंने इस हफ्ते की शुरुआत में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी, उन्होंने चीन और रूस के साथ अमेरिका के साथ भी रिश्ते सुधारने की पहल की थी.
इमरान खान ने अपनी कुर्सी जाने के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया था, जिससे बाइडेन प्रशासन ने इंकार किया था.