"भारत से सीखे दुनिया...", IMF ने की डिजिटल वॉलेट और डायरेक्ट कैश जैसी वित्तीय सुविधाओं की जमकर तारीफ

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि भारत ऐसे वक्त में एक चमकदार रोशनी की तरह उभरा है जब दुनिया मंदी के आसन्न संकट का सामना कर रही है. उन्होंने कहा कि 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए भारत को महत्वपूर्ण ढांचागत सुधार करने होंगें.

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डिजिटलीकरण से भारत सरकार बहुत से ऐसे काम कर पाई जो अन्यथा बेहद कठिन होते : IMF ( File Photo)

भारत की डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम (direct cash transfer scheme) और इसी जैसी अन्य सामाजिक सुधार सुविधाओं की अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने जमकर तारीफ की. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के फिस्कल अफेयर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर पाओलो मारुओ ने कहा, " भारत (India) से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है. भारत के उदाहरण से बाकी दुनिया सीख सकती है. भारत ने बहुत प्रभावशाली कार्य किया है. वहीं.  अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए बुधवार को कहा कि यह कदम बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला रहा है क्योंकि इससे भारत की सरकार के लिए ऐसे काम करना संभव हुआ है जो अन्यथा बेहद कठिन होते.

गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों के बारे में एक सवाल के जवाब में ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘डिजिटलीकरण कई पहलुओं में मददगार रहा है। पहला है वित्तीय समावेश क्योंकि भारत जैसे दशों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो बैंकिंग प्रणाली से नहीं जुड़े हैं. अब डिजिटल वॉलेट तक पहुंच होने से वे लेनदेन में सक्षम हो पाए हैं.''

उन्होंने आगे कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इससे (डिजिटलीकरण से) (भारत) सरकार बहुत से ऐसे काम कर पाई जो अन्यथा बेहद कठिन होते. हां, इससे बहुत बड़े बदलाव आए हैं.. यह निश्चित ही स्वागतयोग्य है. लोगों को अधिक आधुनिक अर्थव्यवस्था में लाने के लिहाज से भी यह एक बड़ा मददगार है. यह वृद्धि का कारक है और डिजिटल व्यवस्था में प्रवेश होने से बाजार भी बदल जाते हैं.''

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आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘भारत के लिए एक और महत्वपूर्ण बात मेरे खयाल से यह है कि इन डिजिटल पहलों से सरकार पहुंच बना पाईं और वितरण प्रणाली को लोगों तक पहुंचा सकी जो परंपरागत तरीकों से काफी मुश्किल होता।''

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गोरिंचेस ने कहा कि भारत ऐसे वक्त में एक चमकदार रोशनी की तरह उभरा है जब दुनिया मंदी के आसन्न संकट का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए भारत को महत्वपूर्ण ढांचागत सुधार करने होंगें। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य पाया जा सकता है.

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उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले कई देशों को बहुत तेज दर के साथ वृद्धि करते और तेजी से विकसित होते देखा है. हां, यह कोई आसान काम नहीं है, भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए अपार संभावना है लेकिन अपने लक्ष्य को पाने के लिए भारत को अनेक ढांचागत सुधार करने होंगे।''

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गोरिंचेस ने कहा, ‘‘भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. जब यह 6.8 या 6.1 की ठोस दर के साथ बढ़ रही है तो यह उल्लेखनीय बात है. वह भी ऐसे वक्त जब बाकी की अर्थव्यवस्थाएं, विकसित अर्थव्यवस्थाएं उस गति से नहीं बढ़ रहीं.''

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