अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अफगानिस्तान (Afghanistan) से उनके देश के सैनिकों की वापसी के फैसले का पुरजोर तरीके से बचाव किया है. साथ ही उन्होंने तालिबान को किसी भी गलतफहमी में न रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर तालिबान ने अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाया तो उसे विनाशकारी नतीजे भुगतने पड़ेंगे. व्हाइट हाउस से टीवी पर दिए संबोधन (White HouseTelevised Address) में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि तालिबान (Taliban) ने ऐसा कुछ करने की जुर्रत की तो हमारी प्रतिक्रिया इतनी तेज और ताकतवर होगी कि उसने सोचा भी नहीं होगा.
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बाइडेन ने कंधार से लेकर काबुल तक कब्जा जमा चुके तालिबान से काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) के जरिये अमेरिकी राजनयिकों औऱ अन्य लोगों की सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया में किसी भी तरह का कोई अड़ंगा न लगाने की हिदायत दी. बाइडेन ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम अपने लोगों की रक्षा करने के लिए भयानक ताकत के साथ जवाब देंगे. बाइडेन ने कहा अफगानिस्तान खासकर काबुल में जिस तरह से पिछले एक हफ्ते में हालात बदले वो अप्रत्याशित हैं.
उधर, भारत भी अफगानिस्तान से अपने राजनयिकों और अन्य लोगों की वापसी के लिए काम कर रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री स्टीव ब्लिंकेन ने अफगानिस्तान और वहां बदलती परिस्थितियों को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बात की है. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता नेड प्राइस ने यह जानकारी दी.
बाइडेन ने कहा कि वह अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के फैसले के साथ पूरी तरह खड़े हैं. उन्होंने सफाई में कहा, 20 साल बाद, मैंने कठिन दौर में भी सीखा है कि अमेरिकी सेना को वापस लेने का कभी अच्छा समय नहीं था." अफगानिस्तान में अमेरिकी हित हमेशा मुख्यतया मातृभूमि पर युद्धग्रस्त देशों से संभावित आतंकवादी हमलों को रोकने का था.
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हालात पर बाइडेन ने कहा कि ऐसी स्थिति को लेकर उन्हें “गहरा दुख” है. तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद भी महिलाओं के अधिकारों पर कदम उठाने का उन्होंने भरोसा दिया.बाइडेन ने दो टूक कहा कि तमाम आलोचनाओं और हमलों के बावजूद अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के फैसले पर कायम है. अमेरिकी अगुवाई में अफगानिस्तान में सैन्य दखल के दो दशकों के अंत का कोई अफसोस नहीं है.
बाइडेन ने कहा कि वह अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के फैसले के साथ पूरी तरह खड़े हैं. उन्होंने सफाई में कहा, 20 साल बाद, मैंने कठिन दौर में भी सीखा है कि अमेरिकी सेना को वापस लेने का कभी अच्छा समय नहीं था." अफगानिस्तान में अमेरिकी हित हमेशा मुख्यतया मातृभूमि पर युद्धग्रस्त देशों से संभावित आतंकवादी हमलों को रोकने का था.
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हालात पर बाइडेन ने कहा कि ऐसी स्थिति को लेकर उन्हें “गहरा दुख” है. तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद भी महिलाओं के अधिकारों पर कदम उठाने का उन्होंने भरोसा दिया. बाइडेन ने दो टूक कहा कि तमाम आलोचनाओं और हमलों के बावजूद अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के फैसले पर कायम है. अमेरिकी अगुवाई में अफगानिस्तान में सैन्य दखल के दो दशकों के अंत का कोई अफसोस नहीं है.