अगर भारत, पाकिस्‍तान पर हमला करता है तो... बांग्‍लादेश के पूर्व अधिकारी की आपत्तिजनक टिप्‍पणी

मेजर जनरल एएलएम फजलुर रहमान (रिटायर्ड) ने बांग्‍लादेश सरकार से कहा है कि अगर भारत, पाकिस्‍तान के साथ युद्ध करता है तो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया जाए. 

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मेजर जनरल एएलएम फजलुर रहमान (रिटायर्ड) पहले बांग्लादेश राइफल्स के प्रमुख थे. (फाइल)

बांग्लादेश से भड़काऊ बयानबाजी लगातार जारी हैं. मोहम्मद यूनुस की "चिकन नेक" टिप्पणी पर पूर्वोत्तर के नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया के कुछ सप्ताह बाद ही अब बांग्लादेश के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का हवाला देते हुए भारतीय इलाके को लेकर एक ऐसी ही टिप्‍पणी की है. मेजर जनरल एएलएम फजलुर रहमान (रिटायर्ड) कभी बांग्लादेश राइफल्स (अब बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश) के प्रमुख थे. रहमान ने अपनी सरकार से कहा है कि अगर भारत, पाकिस्‍तान के साथ युद्ध करता है तो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया जाए. 

हालांकि बांग्लादेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सेवानिवृत्त अधिकारी द्वारा अपनी निजी हैसियत से की गई टिप्पणी करार दिया है.बांग्‍लादेश सरकार के मुख्‍य सलाहकार शफीकुल आलम ने कहा कि उनकी टिप्पणी सरकार के विचारों को नहीं दर्शाती है. इस मामले में अभी तक भारत सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. 

रहमान के पास पिलखाना नरसंहार की जांच

22 अप्रैल को पहलगाम हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए थे, जिसके पाकिस्‍तान के रिश्‍ते खराब हो गए थे. पाकिस्‍तान को भारत के जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाने वाले आतंकवाद को पनाह देने के लिए जाना जाता है. दोनों देशों ने कूटनीतिक कदम उठाए हैं और कई पाकिस्तानी नेताओं ने युद्ध के लिए भड़काऊ टिप्पणियां की हैं. 

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भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच मेजर जनरल रहमान की टिप्पणी पड़ोसी देश में भारत विरोधी आवाज के रूप में उनकी छवि को मजबूत करती है. 

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सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी को वर्तमान में 2009 के पिलखाना नरसंहार की जांच सौंपी गई है, जिसमें बांग्लादेश राइफल्स के मुख्यालय में विद्रोह के दौरान सैन्य अधिकारियों सहित 74 लोग मारे गए थे. इस तरह से सेवानिवृत्त सैन्‍य अधिकारी का पद बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय डिवीजन जज के बराबर है. 

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पूर्वोत्तर राज्‍यों पर कब्‍जा कर ले बांग्‍लादेश: रहमान

उन्होंने फेसबुक पर बंगाली में लिखा था, "अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो बांग्लादेश को सभी पूर्वोत्तर राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए." 

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चीन को शामिल करते हुए उन्होंने कहा था, "मुझे लगता है कि बांग्लादेश को इस बारे में संयुक्त सैन्य निर्णय के बारे में चीन से बात करनी चाहिए." 

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने तुरंत सरकार को उनकी टिप्पणी से अलग कर दिया. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "यह टिप्पणी बांग्लादेश सरकार की स्थिति या नीतियों को नहीं दर्शाती है और इसलिए सरकार किसी भी रूप या तरीके से इस तरह की बयानबाजी का समर्थन नहीं करती है."

पहलगाम हमले के बाद आ रहे भड़काऊ बयान

इस स्पष्टीकरण के बावजूद पहलगाम हमले के बाद से मुहम्मद यूनुस द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिकारियों के भड़काऊ बयान नियमित रूप से आ रहे हैं. अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने पहलगाम हत्याकांड पर आपत्तिजनक और गैरजिम्मेदाराना बयान दिया था. "गलत बयानी" का हवाला देते हुए उन्होंने बाद में अपना फेसबुक पोस्ट हटा दिया था. 

हाल ही में उन्होंने अपने कार्यालय में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक आतंकवादी हारुन इजहार से मुलाकात की, जिससे बांग्लादेश की आतंकवाद पर नीति पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं. बाद में नज़रुल ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल हिजाजत-ए-इस्‍लाम के नेताओं से मुलाकात की और दावा किया कि वे किसी भी आतंकवादी संगठन से जुड़े नहीं हैं. 

मेजर जनरल रहमान की टिप्पणी को चीन के साथ अपनी सरकार के संबंधों पर मुहम्मद यूनुस के विचारों के रूप में भी देखा जा रहा है. कुछ हफ्ते पहले यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को भूमि से घिरा हुआ बताया था और बांग्लादेश को "महासागर का संरक्षक" बताकर चीन को इस क्षेत्र में विस्तार करने के लिए आमंत्रित किया था. 

पीएम मोदी ने भी दिया था कड़ा संदेश

मुख्य सलाहकार के रूप में मुहम्मद यूनुस का पद बांग्लादेश में अंतरिम व्यवस्था में प्रधानमंत्री के बराबर है, जहां अगस्त में हसीना सरकार के पतन के बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है. 

भारत ने उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरुआत में बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान मुहम्मद यूनुस के साथ आमने-सामने की बैठक के दौरान एक कड़ा संदेश दिया था. 

पीएम मोदी ने सुझाव दिया था कि ढाका "वातावरण को खराब करने वाली बयानबाजी" से बचें. 

यूनुस को जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, "सहयोग का मतलब चुनिंदा लोगों को चुनना नहीं है."

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