"पन्नू हत्याकांड की साजिश में आरोपी भारतीय निखिल गुप्ता के साथ हो रहा है मानवाधिकारों का उल्लंघन" : वकील

निखिल गुप्ता के वकील जेफ चाब्रोवे ने 4 जनवरी को न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी जिला न्यायालय में 'प्रोडक्शन ऑफ डिस्कवरी को मजबूर करने का प्रस्ताव' दायर किया था.

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नई दिल्ली:

अमेरिका में एक खालिस्तानी आतंकवादी को मारने की साजिश में शामिल रहने का आरोप झेल रहे निखिल गुप्ता को लेकर उनके वकील ने एक बड़ा खुलासा किया है. निखिल गुप्ता के वकील ने कहा है कि हिरासत में रहते हुए निखिल के मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. बता दें कि निखिल गुप्ता को चेक गणराज्य में हिरासत में लिया गया था.निखिल के वकील ने कहा है कि अदालती दस्तावेज़ों में कहा गया निखिल गुप्ता आखिरी बार 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका में थे. 

निखिल गुप्ता पर अमेरिका के संघीय अभियोजकों ने पिछले साल नवंबर में खुले एक अभियोग में खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसके पास दोहरी अमेरिकी और कनाडाई नागरिकता है, को अमेरिका की धरती पर मारने की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ काम करने का आरोप लगाया था. निखिल गुप्ता को 30 जून, 2023 को प्राग, चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में उसे वहीं रखा जा रहा है. अमेरिकी सरकार उसके अमेरिका प्रत्यर्पण की मांग कर रही है।

निखिल गुप्ता के वकील जेफ चाब्रोवे ने 4 जनवरी को न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी जिला न्यायालय में 'प्रोडक्शन ऑफ डिस्कवरी को मजबूर करने का प्रस्ताव' दायर किया था, जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया कि वह संघीय अभियोजकों को "तत्काल बचाव करने की क्षमता के लिए प्रासंगिक रक्षा सामग्री" प्रदान करने का निर्देश दें. प्रस्ताव में, उनके वकील ने कहा कि गुप्ता, एक भारतीय नागरिक हैं जो आखिरी बार 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका में थे. 

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि निखिल गुप्ता के परिवार ने मीडिया को बताया है कि उनके पास उन तक सीमित पहुंच है, उन्हें कांसुलर पहुंच की अनुमति नहीं है और उन्हें प्राग में हिरासत में बुनियादी मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है, जिसमें विस्तारित एकान्त कारावास भी शामिल है. उनकी ओर से चेक गणराज्य के सर्वोच्च न्यायालय में एक बंदी याचिका दायर की गई है.

अमेरिकी जिला न्यायाधीश विक्टर मारेरो ने 8 जनवरी को गुप्ता के वकील द्वारा दायर प्रस्ताव का जवाब देने के लिए सरकार को तीन दिन का समय दिया था. सरकार ने बुधवार को जिला अदालत में दायर अपने जवाब में कहा कि खोज सामग्री मांगने वाले गुप्ता के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए. 
 

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