भारत और रूसी तेल पर ट्रंप के बड़बोले सलाहकार का झूठ X ने कैसे पकड़ा? समझिए यह फैक्ट चेक कैसे करता है

डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर बिना सिर-पैर वाला पोस्ट डाला था तो X प्लेटफॉर्म ने उनका झूठ सबके सामने ला दिया, उसका फैक्ट चेक कर दिया. समझिए यह कैसे काम करता है.

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  • पीटर नवारो ने भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर गलत दावे X पर किए थे जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ही गलत बताया.
  • X के कम्युनिटी नोट्स फीचर ने नवारो के दावों का फैक्ट चेक कर उन्हें तथ्यात्मक रूप से गलत साबित किया.
  • इस प्रक्रिया में बहुमत के नियम नहीं होते बल्कि दोनों पक्षों की सहमति से विश्वसनीयता सुनिश्चित की जाती है.
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भारत और अमेरिका के बीच रूसी तेल की खरीद पर टैरिफ तनाव जारी है. इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकर पीटर नवारो के एक बार फिर बेतुके बयान दिया हैं और इसी क्रम में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X और उसके मालिक एलन मस्क को भी निशाने पर लिया है. दरअसल नवारो ने भारत पर बिना सिर-पैर वाला पोस्ट डाला था तो X प्लेटफॉर्म ने उनका वहीं झूठ सबके सामने ला दिया, उसका फैक्ट चेक कर दिया. अब दुनिया के सामने झूठा साबित होने के बाद नवारो अपनी गलती सुधारने की जगह X के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क पर ही प्रोपेगैंड फैलाने का आरोप लगा दिया.

हम आपको यहां बताएंगे कि नवारो की पोल खोलने वाल X का फीचर कैसे काम करता है. X के कम्युनिटी नोट की तरफ से होने वाला यह फैक्ट चेक आम लोग करते हैं या खुद इसे X की तरफ से किया जाता है. चलिए इन सवालों का जवाब देने से पहले आपको संक्षेप में बताते हैं कि नवारो की पोल कैसे खुली.

नवारो की पोल खोल

अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने एक आर्टिकल छापा है जिसमें बताया गया था कि भारत के साथ संबंधों को सुधारने पर ट्रंप सरकार में परस्पर विरोधी प्रयास कर रही है. वाशिंगटन नई दिल्ली के लिए जो भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल कर रहा है वह रिश्ते में संकट को गहरा रहा है. इसी खबर की आलोचना करते हुए नवारो ने X पर लिखा, "फैक्ट: भारत में सबसे अधिक टैरिफ लगने से अमेरिका में नौकरी जाती है. भारत रूसी तेल पूरी तरह से सिर्फ लाभ कमाने के लिए खरीदता है/ उससे मिलने वाला राजस्व रूस के युद्ध मशीन को चलाता है. यूक्रेनियन/रूसी लोग मारे जाते हैं. अमेरिका के टैक्सपेयर्स को और अधिक भुगतान करना पड़ता है. भारत सच्चाई/ स्पीन को संभाल नहीं सकता. द वाशिंगटन पोस्ट वामपंथी अमेरिकी फर्जी खबर चलाता है."

नवारो के इस पोस्ट पर X ने कम्युनिटी नोट के साथ फैक्ट चेक किया और लिखा, “भारत जो रूस से तेल खरीदता है वो ऊर्जा सुरक्षा के लिए है, न कि केवल फायदा कमाने के लिए. यह व्यापार प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करती है. भले भारत में कुछ टैरिफ हैं, लेकिन अमेरिका के साथ सेवाओं में व्यापार अधिशेष है. अमेरिका खुद रूस से कुछ वस्तुओं का आयात जारी रखे हैं जो कि उसका पाखंड है."

फिर नवारो बिगड़ गए. X पर इस कम्युनिटी नोट को "बकवास" कहते हुए, नवारो ने आरोप लगाया कि एलन मस्क "प्रोपेगेंडा" की अनुमति दे रहे हैं.

X का फैक्ट चेक कैसे काम करता है?

इस सवाल का जवाब खोजने के लिए X की वेबसाइट पर गए. इसके अनुसार कोई एक्सपर्ट नहीं आम जनता ही यहां  कम्युनिटी नोट्स के जरिए फैक्ट चेक का काम करती है. वेबसाइट पर लिखा है कि कम्युनिटी नोट्स का उद्देश्य X पर लोगों को ही उन पोस्ट में उपयोगी नोट्स जोड़ने की सुविधा देना है जो भ्रामक या मिस्लीडिंग हो सकते हैं. इसका उद्देश्य यही है कि एक बेहतर जानकारी वाली दुनिया बनाई जा सके.

कम्युनिटी नोट्स कौन लिखता है: कंट्रीब्यूटर X पर आपके जैसे ही लोग हैं, जो नोट्स लिखने और रेटिंग देने के लिए साइन अप करते हैं. जितने अधिक लोग इसमें भाग लेंगे, प्रोग्राम उतना ही बेहतर काम करेंगे.

जब सब लिख सकते हैं तो यह फैक्ट चेक का काम कैसे करता है: कम्युनिटी नोट्स बहुमत के नियमों के अनुसार काम नहीं करते. यानी ऐसा नहीं है कि किसी फेक न्यूज को एक बड़ी भीड़ सच बना दे. ऐसे कम्युनिटी  नोट्स की पहचान करने के लिए जो बड़ी रेंज के लोगों के लिए सहायक हों, नोट्स के लिए उन कंट्रीब्यूटर के बीच सहमति की आवश्यकता होती है जो कभी-कभी अपनी पिछली रेटिंग से असहमत होते हैं. यानी जिसपर तथ्य पर पक्ष और विपक्ष दोनों सहमत हों वहीं सच्चाई के करीब होती है. इससे एकतरफा रेटिंग रोकने में मदद मिलती है.

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क्या X के कंट्रोल में कुछ है: वेबसाइट के अनुसार X खुद कम्युनिटी नोट्स नहीं लिखता, रेट नहीं करता या मॉडरेट नहीं करता (जब तक कि वे X के नियमों को नहीं तोड़ते.)

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