अमेरिकी राष्ट्रपति का सुरक्षा घेरा कितना मजबूत? कौन तय करता है होटल, रूट और क्या हैं प्रोटोकॉल?

अमेरिकी राष्ट्रपति जब भी किसी दूसरे मुल्क जाते हैं उनका सुरक्षा घेरा खास खबरों में बना रहता है. आखिर क्या है वो कारण कि अपने राष्ट्रपति की सुरक्षा को अमेरिका इतनी अहमियत देता है और पूरी सुरक्षा बंदोबस्त कैसे और कौन तय करता है. पढ़ें पूरी कहानी...

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  • तीन राष्ट्रपतियों की हत्या के बाद सीक्रेट सर्विस को 1901 में दिया गया था US President की सुरक्षा का जिम्मा.
  • दूसरे मुल्क में US राष्ट्रपति के होटल, कार्यक्रम स्थल और रूट सभी की गहन जांच और बैकअप की तैयारी भी की जाती है.
  • US से आते हैं रसोइए और सुरक्षा कवच वाली स्टील, टाइटेनियम, एल्युमिनियम, सिरामिक के परत वाली लिमोजीन द बीस्ट.
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अमेरिकी राष्ट्रपति का किसी भी दूसरे देश का दौरा उस मुल्क के लिए एक बेहद खास मौका होता है. राजनीतिक नजरिए से इसकी जितनी अहमियत होती है उतनी ही या उससे भी अधिक अहम अमेरिकी राष्ट्रपति के सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह अहम होता है. यही कारण है कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां पूरा लाव-लश्कर लेकर अपने राष्ट्र प्रमुख के दौरे से पहले ही उस देश में डेरा जमा लेती हैं और सभी संभावित जोखिमों की बेहद सूक्ष्मता से पड़ताल करती हैं और इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा के प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया जाता है.

1901 में सीक्रेट सर्विस ने संभाली सुरक्षा की कमान

यूनाइटेड स्टेट सिक्योरिटी सर्विसेज की वेबसाइट के मुताबिक सीक्रेट सर्विस का सुरक्षा मिशन 1901 में राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की हत्या के बाद शुरू हुआ था. इसके बाद ही सीक्रेट सर्विस को अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा का अधिकार सौंपा गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति के अन्य देशों के दौरे की तय तारीख से करीब तीन महीने पहले सीक्रेट सर्विस अपनी तैयारियां शुरू कर देती है. राष्ट्रपति की सुरक्षा के कई लेयर बनाए जाते हैं. राष्ट्रपति की सुरक्षा को एक मिशन की तरह लिया जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका में चार राष्ट्रपतियों की हत्या किया जाना है.

दरअसल 1901 में विलियम मैकिनले की हत्या से पहले इस देश ने अपने दो अन्य राष्ट्रपतियों की हत्या देखी थी. 1865 में अब्राहम लिंकन और 1881 में जेम्स गारफील्ड की हत्या की गई थी. हालांकि सीक्रेट सर्विस के अमेरिकी सुरक्षा की कमान संभालने के बाद भी 1963 में जॉन एफ कैनेडी की हत्या हो गई थी. यही कारण है कि सीक्रेट सर्विस अपने राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर कोई चूक नहीं होने देना चाहती, इसलिए राष्ट्राध्यक्ष के किसी भी विदेशी दौरे की सुरक्षा के लिहाज से तैयारी करीब 90 दिन पहले शुरू हो जाती है.

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कैसे तय होता है राष्ट्रपति कहां ठहरेंगे

जब अमेरिकी राष्ट्रपति किसी भी देश के दौरे पर जाते हैं तो उस देश की सुरक्षा एजेंसियां उनकी सबसे बाहरी सुरक्षा घेरा में शामिल होती हैं. लेकिन अंदर तीन सुरक्षा घेरे और होते हैं जो अमेरिकी पुलिस और सीक्रेट सर्विस एजेंट्स और सबसे अंदरुनी घेरा प्रोटेक्टिव डिविजन एजेंट्स का होता है. सीक्रेट सर्विस और व्हाइट हाउस की ओर से नियुक्त सुरक्षा कर्मचारी उस देश की स्थानीय एजेंसियों से दौरे की सुरक्षा तैयारियों के मद्देनजर बातचीत शुरू कर देती हैं. खुफिया विभाग के वीवीआईपी सुरक्षा विशेषज्ञों से बात की जाती है. वह देश राष्ट्रपति के ठहरने की जगहों की जानकारी सीक्रेट सर्विस के साथ साझा करता है. एक से अधिक विकल्पों पर चर्चा की जाती है. अंत में सीक्रेट सर्विस यह तय करता है कि राष्ट्रपति कहां ठहरेंगे.

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सुरक्षा जांच और बैकअप की तैयारी

इसके बाद शुरू होता है गहन जांच पड़ताल का एक सिलसिला. जिसमें उस ठहरने के जगह की पूरी छानबीन की जाती है. वहां के कर्मचारियों का बैकग्राउंड खंगाला जाता है. स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर सीक्रेट सर्विस राष्ट्रपति के रूट तय करती है. इसकी तैयारी पहले से की जाती है कि किसी भी हमले की स्थिति में बचने का रास्ता क्या होगा. किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए अस्पताल की व्यवस्था, ठहरने वाली जगह और कार्यक्रम स्थल से उसकी दूरी पहले ही इकट्ठा की जाती है. यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह दूरी किसी भी कीमत पर 10 मिनट से अधिक न हो. जिस जगह राष्ट्रपति ठहरते हैं वहां आसपास की सभी गाड़ियों को हटा दिया जाता है, अन्य गाड़ियों का आवागमन पूरी तरह से रोक दिया जाता है.

अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा व्हाइट हाउस शेफ क्रिस्टेटा कॉमरफोर्ड के साथ मेन्यू पर चर्चा करती हुईं (फरवरी 2009 की तस्वीर)
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होटल की तैयारी, यूएस से आते हैं रसोइए

जिस होटल में राष्ट्रपति को ठहरना होता है वहीं उनकी पूरी सुरक्षा टीम ठहरती है. राष्ट्रपति के फ्लोर पर कोई और नहीं ठहरता बल्कि उनके ऊपर और नीचे वाले फ्लोर पर उनके सुरक्षाकर्मी रुकते हैं. इन फ्लोर के टेलीफोन, टीवी सभी हटा दिए जाते हैं. खिड़कियों पर बुलेट प्रूफ शीशे लगाए जाते हैं. यहां तक कि खाने की व्यवस्था भी अमेरिका से आए राष्ट्रपति के कुक ही करते हैं.  

अमेरिकी राष्ट्रपति की लिमोजीन 'द बीस्ट'
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अमेरिका से आती है राष्ट्रपति की लिमोजीन कार

सीक्रेट सर्विस के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्पति किसी भी ऐसे कार्यक्रम स्थल पर 45 मिनट से अधिक नहीं रुक सकते जो ओपन एयर में आयोजित की जा रही है. साथ ही जब भी कोई अमेरिकी राष्ट्रपति दूसरे देश के दौरे पर जाते हैं तो वहां उनकी लिमोजीन बुलेटप्रूफ कार द बीस्ट साथ जाती है. अमेरिकी राष्ट्रपति आसमान में एयरफोर्स वन की तरह जमीन पर अपनी इसी बुलेटप्रूफ कार द बीस्ट में सफर करते हैं. यह कार बहुत उच्च तकनीक वाली होती है. इसके ड्राइवर इतने कुशल होते हैं कि इसे आपातकाल की स्थिति में 180 डिग्री पर मोड़ सकते हैं. साथ ही यह नाइट विज़न तकनीक, ग्रेनेड लॉन्चर जैसे तकनीक से लैस होती है.

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एक दुर्लभ दृश्य- ट्रंप की सुरक्षा में कतर के विमान
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अमेरिकी राष्ट्रपति की लिमोजीन 'द बीस्ट' की खासियत

द बीस्ट के शीशे पांच परत वाले पोलीकार्बोनेट से बने होते है जिसे किसी भी प्रकार की कारतूस नहीं भेद सकती. केवल ड्राइवर की तरफ के शीशे ही नीचे उतारे जा सकते हैं, वो भी केवल तीन इंच. इस कार में शॉटगन, टीयर गैस के कैनन और खून की थैलियां भी मौजूद होती हैं जो किसी आपतकाल की स्थिति में राष्ट्रपति को चढ़ाने के लिए रखी जाती हैं. ड्राइवर की केबिन में जीपीएस मौजूद होता है जिसे सुरक्षा एंजेंसी लगातार ट्रैक करती है. यह कार स्टील, टाइटेनियम, एल्युमिनियम और सिरामिक की पांच इंच मोटी परतों से बनी होती है. कार के आगे वाले हिस्से में आंसू गैस ग्रेनेड लांचर और नाइट विजन कैमरे लगे होते हैं.

गाड़ी में सैटेलाइट फोन मौजूद होता है जो सीधे अमेरिकी उप-राष्ट्रपति और पेंटागन से जुड़ा होता है. पीछे की सीट पर राष्ट्रपति के साथ चार अन्य लोगों के बैठने की सुविधा होती है. सुरक्षा कवच में यह गाड़ी विस्फोट निरोधक फोम से भरी होती है जो विस्फोट की परिस्थिति में सीधे प्रहार को रोकने में सक्षम होती है. साथ ही इस कार की निचली परत इतनी मजबूत स्टील से बनी होती है कि बम विस्फोट और बारूदी सुरंग के विस्फोट को भी झेलने में सक्षम होती है.

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