कैसे होती है अकाल की घोषणा, दाने-दाने को तरस रहे गाजा में जानें कैसे हैं हालात

इजरायल की घेरेबंदी के बाद गाजा में खाने का संकट बढ़ता जा रहा है. खाने के संकट की वजह से वहां अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बाद भी अबतक वहां आकाल घोषित नहीं किया गया है. आइए जानते हैं कि कब घोषित होता है अकाल.

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नई दिल्ली:

गजा में भुखमरी का संकट बढ़ता जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के फूड प्रोग्राम के मुताबिक गजा की हर तीसरा आदमी बिना खाना खाए ही दिन गुजार रहा है.फिलिस्तीन क्रानिकल नाम की एक बेवसाइट के मुताबिक गाजा में अब तक 122 लोगों की मौत भूख से हो चुकी है. भूख से मरने वालों में 83 बच्चे हैं. अभी रविवार तक फिलिस्तीन के इलाके में सहायता केवल इजरायली अमेरिकन गाजा ह्यूमेटेरियन फाउंडेशन (जीएचएफ) के जरिए ही पहुचाई जा सकती है. लेकिन हाल के हफ्तों में जीएचएफ की साइटों पर खाने की तलाश में गए 900 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

दुनियाभर में हो रही आलोचना के बाद इजरायल ने रविवार को कहा कि वह गाजा के कुछ हिस्सों में प्रतिदिन 10 घंटे के लिए सैन्य अभियान रोक देगा और नए सहायता गलियारों की इजाजत देगा. इसके बाद से वहां कुछ सहायता सामग्री पहुंची है.जार्डन के सहयोग से यूएई ने हेलिकॉप्टर के जरिए राहत सामग्री गाजा में गिराई है.ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतना खाने का इतना भीषण संकट होने के बाद भी गाजा में अकाल की घोषणा क्यों नहीं की जा रही है. 

अकाल की घोषणा के लिए क्या करना पड़ता है?

इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन या आईपीसी एक गैर सरकारी संगठन है. इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और पोषण विश्लेषण को बढ़ावा देना है, जिससे सरकारों और नीति निर्माताओं को निर्णय लेने में सहायता मिल सके. यह कई संगठनों के साथ मिलकर काम करता है, इसमें संयुक्त राष्ट्र के कई संगठन शामिल है. आईपीसी के मुताबिक अकाल की घोषणा बहुत सावधानी से की जाती है. 

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गाजा में हवाई मार्ग के गिराई जा रही राहत सामग्री.

आईपीसी को 2004 में सोमालिया में पैदा हुए खाद्य संकट के दौरान अकाल पूर्व चेतावनी प्रणाली नेटवर्क (एफईडब्ल्यूएस नेट) और वैश्विक साझेदारों की ओर से विकसित किया गया था. इसका समन्वय रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की ओर से किया जाता है.

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आईपीसी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक अकाल को भोजन की अत्यधिक कमी के रूप में परिभाषित किया गया है. आईपीसी के अकाल वर्गीकरण की प्रक्रिया में भुखमरी, मृत्यु, अभाव और तीव्र कुपोषण के अत्यंत गंभीर स्तर या उनकी उसकी आशंका को देखा जाता है. आईपीसी के मुताबिक अकाल की घोषणा के लिए इन तीन बातों का होना जरूरी है. 

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  • 20 फीसदी परिवारों के पास भोजन की अत्यधिक कमी हो या वे भूख से मर रहे हों.
  • कम से कम 30 फीसदी बच्चे (छह महा से पांच साल तक की आयु के) तीव्र कुपोषण या दुर्बलता से पीड़ित हों. इसका मतलब यह हुआ कि ऐसे बच्चे अपनी ऊंचाई के हिसाब से बहुत दुबले-पतले हों. 
  • हर 10,000 लोगों में कम से कम दो लोग या पांच साल से कम उम्र के चार बच्चे हर दिन भुखमरी या कुपोषण और बीमारी के कारण मर रहे हों. 

आईपीसी का 5 प्वाइंट पैमाना

आईपीसी खाद्य संकट को फाइव प्वाइंट पैमाने पर तय करता है- चरण 1 (स्वीकार्य या सामान्य), चरण 2 (चेतावनी या तनावपूर्ण), चरण 3 (गंभीर या संकट), चरण 4 (गंभीर या आपातकालीन) और चरण 5 (अत्यंत गंभीर, विनाशकारी या अकाल).

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय किसी देश में अकाल की स्थिति का निर्धारण करने के लिए आईपीसी के इस फार्मूले का उपयोग बुनियादी तौर पर करता है. संयुक्त राष्ट्र, सरकारी संस्थानों और कई अन्य उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों के पास ही किसी इलाके में अकाल घोषित करने का अधिकार होता है.ऐसे में गाजा में अकाल की घोषणा से वहां के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया में सहायता का दायरा बढ़ सकता है.

आईपीसी का आकलन किसी संकट के नियंत्रण से बाहर हो जाने से पहले दुनिया को सूचित करने, सचेत करने और संगठित करने की दिशा में एक शक्तिशाली उपकरण के तौर पर काम करता है. इस सदी में आईपीसी ने जिन देशों में अकाल की घोषणा की है, वो हैं 2011 में सोमालिया, 2017 और 2020 में दक्षिण सूडान और 2024 में सूडान के पश्चिमी दारफुर के कुछ हिस्से. 

गाजा की स्थिति क्या है?

आईपीसी ने इस साल 12 मई को गाजा के हालात का विश्लेषण किया था. इसमें गाजा में अगले 11 महीनों यानी की अप्रैल 2025 से मार्च 2026 तक पांच साल से कम आयु के करीब 71 हजार बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित होने की आशंका जताई गई थी. इसके अलावा इसी अवधि में 17 हजार से अधिक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के तीव्र रूप से कुपोषित होने की आशंका जताई गई थी. 

आईपीसी का अनुमान है कि मई से सितंबर के बीच गाजा चरण 4 के गंभीर या आपातकालीन स्थिति में पहुंच जाएगा. वहां की आबादी को खाने की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है. इससे वहां की चार लाख 70 हजार की आबादी (करीब 22 फीसदी) आईपीसी के पांचवें चरण में पहुंच जाएगी.

यहां देखने वाली बात यह है कि गाजा में सटीक आंकड़े एकत्र करना आजकल असंभव सा काम है. विशेषज्ञों का वहां पहुंचना बहुत मुश्किल है. ऐसे में वहां के हालात का आकलन करना भी बहुत मुश्किल काम है. 

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