- जलवायु संकट के कारण बढ़ती वैश्विक गर्मी अब प्रति मिनट एक व्यक्ति की जान ले रही है- रिपोर्ट
- जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से वायु प्रदूषण, जंगल की आग और डेंगू जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं
- 1990 के बाद से गर्मी से संबंधित मौतों में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और वार्षिक मृत्यु आंकड़ा बढ़ा- रिपोर्ट
जलवायु संकट से इंसानों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर एक प्रमुख रिपोर्ट सामने आई है जिससे कुछ ऐसा पता चला है जो एक डरावने वर्तमान के साथ-साथ डरावने भविष्य की तस्वीर दिखाता है. इस रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती वैश्विक गर्मी अब दुनिया भर में प्रति मिनट एक व्यक्ति की जान ले रही है. इसमें कहा गया है कि दुनिया में जीवाश्म ईंधन की के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण जहरीला वायु प्रदूषण, जंगल की आग और डेंगू बुखार जैसी बीमारियां फैलती हैं और वैश्विक तापन से निपटने में विफलता के कारण हर साल लाखों लोग मर रहे हैं.
द गार्डियन के अनुसार इस रिपोर्ट को यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की टीम ने लिखा है और इस टीम को डॉ. मरीना रोमानेलो ने लीड किया है. यह बढ़ती गर्मी से होने वाली मौतों पर अब तक की सबसे व्यापक रिपोर्ट है. यह रिपोर्ट कहती है कि डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं ने अगर जलवायु नीतियों को तोड़ा और तेल कंपनियों ने अगर नए भंडारों का दोहन जारी रखा तो इससे स्वास्थ्य को होने वाला नुकसान और भी बदतर हो जाएगा. रिसर्चर्स ने पाया कि सरकारों ने 2023 में जीवाश्म ईंधन कंपनियों को प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) सब्सिडी में प्रतिदिन 2.5 अरब डॉलर दिए, जबकि उच्च तापमान के कारण लोगों को खेतों और निर्माण स्थलों पर काम न कर पाने के कारण लगभग इतनी ही राशि का नुकसान हुआ.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 के दशक के बाद से गर्मी से संबंधित मौतों की दर में 23% की वृद्धि हुई है, यहां तक कि जनसंख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 2012 और 2021 के बीच प्रति वर्ष मौत का यह आंकड़ा औसतन 546,000 तक पहुंच गया है.
डॉ. मरीना रोमानेलो ने कहा: "यह [रिपोर्ट] दुनिया के सभी कोनों में पहुंच रहे विनाशकारी स्वास्थ्य नुकसान की एक धूमिल और निर्विवाद तस्वीर पेश करती है. जब तक हम अपनी जीवाश्म ईंधन की लत को खत्म नहीं करते, तब तक जीवन और आजीविका का विनाश बढ़ता रहेगा."














