जी7 औद्योगिक शक्तियों ने रूसी तेल आयात पर मूल्य कैप को लागू करने की दिशा में "तत्काल" कदम उठाने का फैसला किया है. यूक्रेन में मास्को के युद्ध के लिए धन के एक प्रमुख स्रोत में कटौती करने के लिए औद्योगिक शक्तियों ने फैसला लिया है.
G7 ने कहा कि वह इस फैसले को मूर्त रूप देने के लिए "व्यापक गठबंधन" की दिशा में काम कर रहा था. लेकिन फ्रांस में अधिकारियों ने रूकने का आग्रह करते हुए कहा कि "अंतिम" निर्णय केवल तभी लिया जा सकता है जब यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्यों ने अपनी सहमति दे दी हो.
बता दें कि युद्ध के कारण महाद्वीप के परिवारों ने ऊर्जा की बढ़ती कीमतों का खामियाजा उठाया है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार पर बढ़ती महंगाई को कम करने का दबाव है.
जर्मन वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर ने इस कदम की घोषणा के बाद एक पीसी में कहा, "रूस युद्ध के कारण ऊर्जा बाजारों पर अनिश्चितता से आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहा है और तेल के निर्यात से बड़ा मुनाफा कमा रहा है. ऐसे में हम इसका निर्णायक मुकाबला करना चाहते हैं."
उन्होंने कहा कि तेल आयात पर मूल्य सीमा का उद्देश्य "आक्रामकता के युद्ध के लिए वित्तपोषण के एक महत्वपूर्ण स्रोत को रोकना और वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि को रोकना है. शुक्रवार के फैसले से पहले क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने स्पष्ट चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि मूल्य सीमा को अपनाने से "तेल बाजारों में महत्वपूर्ण अस्थिरता आएगी. "
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