इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर बाढ़ ने मचाई तबाही ; मरने वालों की संख्या 43 पहुंची, 15 लापता

पडांग में तलाश एवं बचाव कार्यालय का नेतृत्व कर रहे अब्दुल मलिन ने कहा कि खराब मौसम, क्षतिग्रस्त सड़कें और मलबे से सड़क अवरुद्ध होने के कारण राहत प्रयासों में बाधा आ रही थी.

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शनिवार आधी रात से ठीक पहले पश्चिमी सुमात्रा प्रांत के चार जिलों के साथ पहाड़ के किनारे बसे गांवों में बाढ़ आई.
पडांग:

इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर अचानक आई बाढ़ से मची तबाही के भयानक परिणाम शवों की बढ़ती संख्या से नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ दिन में बड़ी संख्या में शव मिलने के बाद बचावकर्मियों ने सोमवार को भी शवों की तलाश की. मानसून की भारी बारिश से 43 लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य लापता हो गये.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहारी ने कहा कि शनिवार आधी रात से ठीक पहले पश्चिमी सुमात्रा प्रांत के चार जिलों के साथ पहाड़ के किनारे बसे गांवों में बाढ़ आई. बाढ़ में लोग बह गए और लगभग सैकड़ों घर और इमारतें जलमग्न हो गये. बाढ़ की वजह से 3100 लोगों को अगम और तनाह दतार जिलों के अस्थायी सरकारी शिविरों में रखा गया है.

मुहारी ने बताया कि सोमवार को और शव बरामद किए गए, जिनमें से ज्यादातर अगम और तनाह दातार जिलों के गांव से थे, जिन्हें सबसे ज्यादा क्षति पहुंची है. मरने वालों की संख्या 43 हो गई है, जबकि लापता 15 ग्रामीणों की तलाश जारी है. टेलीविजन चैनल पर प्रसारित तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि बचावकर्मी एक तबाह गांव से कीचड़ से सना शव निकाल रहे हैं और उसे देख परिजन विलाप कर रहे हैं. शव को एक नारंगी और काले बैग में रखा गया और दफनाने के लिए ले जाया गया.

पडांग में तलाश एवं बचाव कार्यालय का नेतृत्व कर रहे अब्दुल मलिन ने कहा कि खराब मौसम, क्षतिग्रस्त सड़कें और मलबे से सड़क अवरुद्ध होने के कारण राहत प्रयासों में बाधा आ रही थी. सैकड़ों पुलिस, सैनिक और स्थानीय निवासी हाथों, फावड़े और कुदाल से मलबे को हटाने की कोशिश कर रहे थे. बारिश, क्षतिग्रस्त सड़कें और कीचड़ की मोटी परत और मलबे के कारण राहत कार्य में बाधा आ रही थी.

मलिन ने कहा,‘‘ तबाही बड़े इलाके में और जटिल भौगोलिक क्षेत्र में हुई है और हमें और अधिक राहत कर्मियों एवं मिट्टी को हटाने वाले उपकरणों की जरूरत है.'' पडांग पंजांग पुलिस प्रमुख कार्त्याना पुत्र ने रविवार को कहा कि शनिवार की रात अचानक आई बाढ़ के कारण तनाह दातार जिले में अनई घाटी झरना क्षेत्र के आसपास की मुख्य सड़कें भी कीचड़ से अवरुद्ध हो गईं, जिससे अन्य शहरों तक पहुंच बाधित हो गई.

पिछले साल के अंत में माउंट मेरापी में अचानक हुए विस्फोट में 23 पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी. इंडोनेशिया के सेंटर फॉर वोल्केनोलॉजी एंड जियोलॉजिकल डिजास्टर मिटिगेशन के अनुसार, मेरापी को अचानक विस्फोटों के लिए जाना जाता है. मेरापी में विस्फोटों का अनुमान लगाना मुश्किल है, क्योंकि स्रोत उथला है और शिखर के पास है.

मेरापी ज्वालामुखी जनवरी 2024 में एक विस्फोट के बाद से सक्रिय है, जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ था. यह इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. प्रशांत 'रिंग ऑफ फायर' पर स्थित होने के कारण देश भूकंपीय उथल-पुथल का अनुभव करता रहता है.

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