ब्रह्मोस मिसाइल की आपूर्ति के लिए भारत को पहला निर्यात ऑर्डर, फिलीपीन से करार

भारत-रूस का संयुक्त उद्यम ‘बीएपीएल' सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का उत्पादन करता है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीनी प्लेटफार्म से लॉन्च किया जा सकता है.

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नई दिल्ली:

भारत को ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्रों के लिए शुक्रवार को पहला निर्यात ऑर्डर मिला. फिलीपीन के रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) के साथ प्रक्षेपास्त्रों की आपूर्ति के वास्ते 37.4 करोड़ डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. हालांकि प्रक्षेपास्त्रों की संख्या का खुलासा नहीं किया गया है. सैन्य अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी. भारत-रूस का संयुक्त उद्यम ‘बीएपीएल' सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का उत्पादन करता है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीनी प्लेटफार्म से लॉन्च किया जा सकता है. सैन्य अधिकारियों ने बताया कि 37.4 करोड़ डालर का अनुबंध फिलीपीन की नौसेना को समुद्र तट पर तैनात की जाने वाली ‘एंटीशिप' (पोतरोधी) ब्रह्मोस मिसाइल की आपूर्ति के लिए है.

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि बीएपीएल ने फिलीपीन के राष्ट्रीय रक्षा विभाग के साथ 28 जनवरी, 2022 को पोतरोधी ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. बयान में कहा गया है, ''बीएपीएल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है. भारत सरकार की रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की नीति के लिए यह अनुबंध एक महत्वपूर्ण कदम है.''

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भारत पहले ही लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई स्थानों पर बड़ी संख्या में ब्रह्मोस मिसाइल और अन्य रक्षा उपकरण तैनात कर चुका है.

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फिलीपीन में भारत के राजदूत शंभू कुमारन ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें इतिहास बनते हुए देखने का सौभाग्य मिला है. उन्होंने ट्वीट किया, 'फिलीपीन के रक्षा सचिव डेल्फिन लोरेंजाना द्वारा ब्रह्मोस अधिग्रहण अनुबंध पर हस्ताक्षर करना आज प्रधानमंत्री के मिशन ‘सागर' और भारत की हिंद-प्रशांत भागीदारी के लिए एक निर्णायक कदम है.'

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उन्होंने लोरेंजाना और फिलीपींस के कैबिनेट सचिव टेडी लोक्सिन जूनियर को भारत के साथ संबंधों को मजबूती प्रदान करने में उनके सक्रिय समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. कुमारन ने कहा, 'आज हम अपने लोकतांत्रिक संबंधों को सामरिक साझेदारी में परिणत करने और ‘मुक्त एवं शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत' के साझा उद्देश्यों की दृष्टि से एक कदम और नजदीक आ गए हैं.'

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उन्होंने कहा, 'यह बहुत ही गौरव का क्षण भी है, क्योंकि भारत खुद को उच्च-प्रौद्योगिकी उपकरणों के स्रोत और मित्र राष्ट्रों के क्षमता विकास के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करता है.'

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ब्रह्मोस के निर्यात करार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा, 'सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आकाश, अस्त्र, टैंकरोधी मिसाइल, रडार, टॉरपीडो में विभिन्न देशों की रुचि बढ़ी है. और भी अधिक प्रणालियां विकसित की जा रही हैं जिनमें निर्यात क्षमता मौजूद है.'

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