चीन-ताइवान (China-Taiwan) में युद्ध की बढ़ती आशंकाओं के बीच दुनिया के दो देशों में एक बार फिर युद्ध छिड़ चुका है. आर्मेनिया और अज़रबैजान (Armenia-Azerbaijan) के बीच नागोर्नो-काराबाख (Nagorno-Karabakh) क्षेत्र में फिर से भीषण लड़ाई की खबरें हैं. अमेरिका (US) और यूरोपीय संघ (EU) ने इस इलाके में जानमाल के नुकसान को लेकर गंभीर चिंता जताई है और तुरंत तनाव कम करने करने की अपील की है. साल 2020 में दोनों देशों के बीच 6 हफ्तों तक चले युद्ध में 6,500 से अधिक लोग मारे गए थे. रूस (Russia) ने इस इलाके में युद्धविराम करवाया था.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा, " आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच बढ़ता तनाव बताता है कि नार्गोनो-काराबाख विवाद के बाकी सभी मु्दों का समग्र और सतत हल बातचीत से निकाला जाना ज़रूरी है. वहीं रूस ने युद्धविराम तोड़ने के लिए अज़रबैजान को जिम्मेदार माना है और कहा है कि वो दोबारा यहां शांति स्थापित करेगा.
नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र 1990के दशक में सोवियत संघ टूटने के बाद अज़रबैजान से अलग हुआ इलाका है. उस समय नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र की मदद आर्मेनिया ने की थी. साल 2020 में आर्मेनिया और अज़रबैजान की इस क्षेत्र में एक बार फिर लड़ाई हुई थी और बाकू ने अलगाववादियों के नियंत्रण वाले कुछ क्षेत्रों को सफलतापूर्वक दोबारा जीत लिया था.
हाल ही में बुधवार को अज़रबैजान की सेना ने नार्गोनो-काराबाख की कई पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. अज़रबैजानी सेना ने रूस की समाचार एजेंसी स्पुतनिक को यह जानकारी दी. अज़रबैजानी मंत्रालय के अनुसार आर्मेनियाई सैनिकों ने अज़रबैजानी सेना को धोका दिया और बाकू, येरवान और मास्को के बीच बने क्षेत्रीय समझौते का उल्लंघन किया. इस इलाके में मुश्किल से हुए युद्धविराम को बनाए रखने के लिए रूस के 2000 शांति सैनिक भी तैनात हैं.
अधिकारी ने कहा, " इसके नतीजे के तौर पर प्रतिक्रिया में अज़रबैजानी सेना ने ऑपरेशन चलाया और काराबाख की कई पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया."