- 6 से 13 अक्टूबर के बीच फिजियोलॉजी, फिजिक्स, साहित्य और शांति के नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की जानी है.
- अल्फ्रेड नोबेल ने कहा था पुरस्कार उन्हें दिया जाना चाहिए 'जिन्होंने मानव जाति पर सबसे बड़ा उपकार किया हो.'
- नोबेल शांति पुरस्कार का चयन नॉर्वे की संसद की एक समिति करती और बाकी स्वीडिश संस्था की तरफ से तय होते हैं.
6 अक्टूबर यानी सोमवार से फिजिक्स से लेकर लिट्रेचर तक की श्रेणी में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जाएगी. 13 अक्टूबर तक इन पुरस्कारों का ऐलान होगा और अगल-अलग श्रेणियों में पुरस्कार का ऐलान होगा. इन पुरस्कारों में सबसे पहले फिजियोलॉजी या मेडिसिनल श्रेणी में विजेताओं का ऐलान होगा. कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, वॉलेनबर्गसलेन में नोबेल असेंबली की तरफ से विजेताओं का ऐलान होगा. इसके बाद फिजिक्स जिसके विजेताओं का ऐलान रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज, स्टॉकहोम की तरफ से होगा. फिर 9 अक्टूबर को साहित्य के नोबेल का ऐलान होगा और स्टॉकहोम से इसका ऐलान होगा. फिर 10 अक्टूबर को शांति के नोबल का ऐलान होगा जो इस साल सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा है. आखिर क्या होता है नोबेल पुरस्कार और क्यों ये इतनी प्रतिष्ठा का विषय हैं, आइए आपको इससे जुड़ी हर जानकारी देते हैं.
कब हुई थी इनकी शुरुआत
नोबेल पुरस्कार की स्थापना या इनकी शुरुआत बिजनेसमैन, एंटरप्रेन्योर और वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु के बाद हुई थी. अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी ज्यादातर संपत्ति कई क्षेत्रों में पुरस्कारों की स्थापना के लिए छोड़ दी थी. सन् 1895 में आई उनकी वसीयत में कहा गया था कि यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाना चाहिए 'जिन्होंने पिछले साल मानव जाति के लिए सबसे बड़ा उपकार किया हो.'
कब से प्रदान किए जा रहे
सबसे पहला नोबेल पुरस्कार सन् 1901 में प्रदान किया गया था और तब से ही ये हर साल दिए जाते हैं. उस समय से लेकर अब तक कई ऐसे वर्ष भी रहे हैं जब नोबेल पुरस्कार प्रदान नहीं किए गए. प्रथम विश्व युद्ध जो साल 1914 से 1918 तक चला. द्वितीय विश्व युद्ध जो 1939 से 1945 तक चला, उस समय नोबेल पुरस्कार नहीं दिए गए थे.
नोबेल पुरस्कार की कैटेगरीज क्या-क्या हैं
नोबेल पुरस्कार की कैटेगरी में फिजिक्स, केमेस्ट्री, फिजियोलॉजी या मेडिसिन, साहित्य और शांति हैं- ये सभी कैटेगरीज अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में ही तय हो गई थीं. सन् 1968 में, स्वीडिश सेंट्रल बैंक ने अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में इकोनॉमिक्स में स्वीडिश रिक्स बैंक पुरस्कार की स्थापना की.
शांति पुरस्कार सिर्फ नॉर्वे में ही क्यों
अपनी वसीयत में अल्फ्रेड नोबेल ने स्पष्ट किया था कि वह नोबेल पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए किसे जिम्मेदार बनाना चाहते हैं. ये पुरस्कार स्वीडिश इंस्टीट्यूट्स की तरफ से दिए जाते हैं. लेकिन नोबेल शांति पुरस्कार अकेला ऐसा पुरस्कार है जिसका फैसला नॉर्वे की संसद की तरफ से चुने गए पांच सदस्यों की एक समिति की तरफ से किया जाना तय हुआ था. अल्फ्रेड नोबेल के जीवनकाल में स्वीडन और नॉर्वे एक संघ में शामिल थे.
नोबेल पुरस्कारों के लिए बनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सिर्फ नॉर्वे में ही नोबेल पुरस्कार क्यों दिए जाते हैं. वेबसाइट पर यह जरूर लिखा है कि चूंकि पुरस्कार समिति ओस्लो में है, इसलिए यह नतीजा निकलता है कि पुरस्कार भी वहीं दिया जाता है.
कहां से आती है पुरस्कार राशि
जब अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हुई और उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति नोबेल पुरस्कार की स्थापना के लिए छोड़ दी. उन्होंने कहा कि उस धन को एक फंड में बदल दिया जाए और इसे 'सिक्योरिटी बॉन्ड' में इनवेस्ट किया जाए. आज उस धन पर कमाए हुए ब्याज को ही नोबेल पुरस्कारों की फंडिंग के लिए किया जाता है.
कितनी होती है प्राइज मनी
पूर्ण नोबेल पुरस्कार के लिए पुरस्कार राशि वर्तमान में प्रति पुरस्कार 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (SEK) है, जो 2023 के अंत में करीब 1.2 मिलियन अमरीकी डॉलर थी. पुरस्कार विजेताओं को राशि के साथ-साथ एक डिप्लोमा और 18 कैरेट का स्वर्ण पदक मिलता है.
कितने लोग हो सकते हैं नॉमिनेट
एक नोबेल पुरस्कार अधिकतम तीन व्यक्तियों द्वारा साझा किया जा सकता है. शांति पुरस्कार के मामले में, इसे किसी संगठन को भी प्रदान किया जा सकता है. यह नियम कि कोई पुरस्कार सिर्फ तीन लोगों को ही दिया जा सकता है, नोबेल फाउंडेशन के कानूनों से आता है, जो नोबेल की वसीयत के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार है. इसमें साफतौर पर कहा गया है, 'किसी भी स्थिति में पुरस्कार राशि तीन से ज्यादा व्यक्तियों के बीच विभाजित नहीं की जा सकती.'
कैसे होता है विजेताओं का चयन
हर पुरस्कार समिति थोड़ी अलग होती है, लेकिन आखिर में वो सभी अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा को पूरा करने के लिए काम करती हैं. उनके इच्छा के अनुसार नोबेल पुरस्कार उन लोगों के अनुसार दिया जाना चाहिए जिन्होंने 'मानव जाति को सबसे बड़ा लाभ पहुंचाया है.'
क्या है नोबेल डे ?
नोबेल दिवस, जो हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है, अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इसी दिन विजेताओं को नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं.
क्या मरणोपरांत भी नोबेल मिलता है
नहीं, नोबेल पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिया जा सकता. हालांकि सन् 1974 से अगर पुरस्कार की घोषणा के बाद विजेता की मृत्यु हो जाती है तो भी उसे यह पुरस्कार दिया जा सकता है. पहले, किसी व्यक्ति को मरणोपरांत पुरस्कार तभी दिया जा सकता था जब उसका नामांकन उसी साल 1 फरवरी से पहले हो चुका हो, जैसा कि एरिक एक्सल कार्लफेल्ड (साहित्य में नोबेल पुरस्कार 1931) और डैग हैमरशॉल्ड (शांति में नोबेल पुरस्कार, 1961) के मामले में था.
साल 2011 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद, यह पता चला कि चिकित्सा पुरस्कार विजेताओं में से एक, राल्फ स्टाइनमैन का तीन दिन पहले निधन हो गया था. नोबेल फाउंडेशन के बोर्ड ने कानूनों की जांच की. वो इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि राल्फ स्टीनमैन को नोबेल पुरस्कार विजेता बने रहना चाहिए क्योंकि कैरोलिन्स्का इंस्टीट्यूट में नोबेल असेंबली ने उनकी मृत्यु की जानकारी के बिना ही फिजियोलॉजी या चिकित्सा में साल 2011 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा कर दी थी.
50 साल तक नहीं बताना होता नामांकन से जुड़ा राज
नोबेल फाउंडेशन के नियमों के अनुसार, नामांकनों की जानकारी 50 सालों तक अवधि तक सार्वजनिक या निजी तौर पर जाहिर नहीं की जानी चाहिए. यह प्रतिबंध न सिर्फ नॉमिनेटेड व्यक्तियों और नॉमिनेटर्स पर लागू होता है, बल्कि पुरस्कार प्रदान करने से संबंधित जांच और राय पर भी लागू होता है.