अमेरिका के अलबामा में एक कैदी को बिल्कुल अलग तरह से मौत की सज़ा दी गई है. कैदी को नाइट्रोजन गैस देकर उसकी जान ली गई. केनेथ स्मिथ नाम के इस व्यक्ति को हत्या का दोषी पाया गया था. 58 साल का केनेथ स्मिथ दुनिया में मौत की सज़ा पाने वाला ऐसा पहला मुजरिम बन गया है, जिसकी नाइट्रोजन गैस के ज़रिए जान ली गई हो.
चश्मदीदों के मुताबिक नाइट्रोजन गैस से केनेथ को मौत देने में कुल 22 मिनट लगे. इस बीच बहुत देर तक स्थिम होश में नज़र आया. आख़िर के दो मिनट में उसे झटका लेते देखा गया. उसके शरीर में ऐंठन हो रही थी. उसे जिस बेड पर लिटाकर बांधा गया था, वो उससे छूटने की कोशिश भी करता देखा गया. अंत में उसकी सांसे भारी होती गई और फिर शरीर निष्प्राण हो गया. ये सब तब हुआ, जबकि अलबामा प्रांत की एजेंसियों ने कहा था कि नाइट्रोजन गैस का तरीक़ा अपनाने से केनेथ कुछ ही सेकेंड में बेहोश हो जाएगा और चंद मिनटों में उसकी जान चली जाएगी. तकलीफ कम से कमतर होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
केनेथ ने मरते-मरते अपनी पत्नी और परिजनों की तरफ आई लव यू का साइन बनाया. उसने अपने अंतिम बयान में ये भी लिखा है कि आज अलबामा मानवता की दिशा में एक क़दम पीछे जा रहा है. मैं प्रेम और शांति के साथ जा रहा हूं.
दरअसल 2022 में जब केनेथ को ज़हरीली सुई देकर मौत देने की कोशिश हुई तो वह किसी तरह बच गया. केनेथ ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की कि अब उसे दूसरी बार मौत की सज़ा ना दी जाए, क्योंकि पहली कोशिश में उसे बहुत तक़लीफ़ और आघात पहुंच चुका है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केनेथ की नहीं सुनी.
केनेथ पर 1988 में 1000 डॉलर लेकर 45 साल की एलिज़ाबेथ सेन्नेट की हत्या का आरोप साबित हुआ था. सेन्नेट की हत्या कर्ज में डूबे उसके पति ने ही करायी, ताकि इंश्योरेंस के पैसे से वो कर्ज चुका सके. सेन्नेट की हत्या के एक और दोषी को 2010 में मौत की सज़ा दी जा चुकी है.
अलबामा में काफी लोगों को दी जाती है मौत की सज़ा
नाइट्रोजन गैस से मौत के इस प्रयोग की काफ़ी आलोचना हो रही है. ये भी ग़ौरतलब है कि अलबामा अमेरिका का ऐसा प्रांत है जहां हर साल बहुत अधिक लोगों को मौत की सज़ा दी जाती है. फ़िलहाल इस प्रांत में 165 और क़ैदी हैं, जिनको मौत की सज़ा दी जानी है. मौत की सज़ा के दौरान कम से कम तक़लीफ़ हो, इसे लेकर हमेशा से नए तरीक़े ढूंढने की कोशिश होती रही है. केनेथ को जैसी यातना का सामना करना पड़ा, उसके बाद शायद ये तरीक़ा नहीं अपनाए जाने पर फिर से विचार हो.