- विश्वास कुमार रमेश एयर इंडिया के क्रैश में जिंदा बचने वाले इकलौते व्यक्ति हैं, जबकि उनके भाई की मौत हुई थी.
 - 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया का विमान टेकऑफ के बाद क्रैश हो गया था जिसमें 200 से ज्यादा की मौत हो गई.
 - क्रैश के बाद विश्वास ने अपनी सीट बेल्ट खोलकर विमान के मलबे से बाहर निकलने में सफलता पाई थी.
 
भगवान ने मुझे जिंदगी तो दी लेकिन मेरी सारी खुशियां छीन लीं... ये शब्द हैं विश्वास कुमार रमेश के. जी हां वही विश्वास कुमार जो इस साल 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के दिल दहलाने वाले क्रैश में बचने वाले इकलौते शख्स हैं. विश्वास ने जो कुछ भी बताया है, उससे बस यही लगता है जिंदगी अब खालीपन और दर्द के अलावा कुछ नहीं है. विश्वास के भाई की इस हादसे में मृत्यु हो गई थी. अब उनका पूरा परिवार इस हादसे में टूट चुका है. विश्वास ने स्काई न्यूज और बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया है कि क्रैश के बाद उनकी जिंदगी का एक-एक पल कैसे गुजर रहा है.
जिंदगी बन गई सजा
मेटल की चीखती हुई आवाज और आग के गोले ने विश्वास को यह यकीन दिला दिया था कि बस अब जिंदगी खत्म है लेकिन अभी उनकी किस्मत उनके साथ थी. रमेश न सिर्फ जिंदा निकले बल्कि एयर इंडिया फ्लाइट AI 171 हादसे में इकलौते जिंदा बचे शख्स बन गए. लेकिन उन्हें क्या पता था कि भगवान ने जो जिंदगी अब उन्हें बख्शी है, वह किसी सजा से कम नहीं होने वाली है. 12 जून 2015 को दोपहर 1 बजे एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइन विमान लंदन के लिए निकला था. उसे गैटविक एयरपोर्ट पर लैंड करना था लेकिन टेकऑफ करने के कुछ ही सेकेंड्स में वह क्रैश हो गया. हादसे में 240 वो जिंदगियां जो प्लेन में थीं मौत के मुंह में समा गईं और 30 जिंदगियां जो एयरपोर्ट के करीब थीं, उनकी भी मौत हो गई.
कैसे थे क्रैश के पहले के पल
रमेश फ्लाइट की 11A सीट पर थे जो इमरजेंसी एग्जिट के करीब थी. उन्होंने स्काई न्यूज को बताया, 'पहले तो लगा कि मैं मरने वाला हूं लेकिन जब मैंने अपनी आंखें खोली तो महसूस हुआ कि मैं जिंदा हूं.' टक्कर से पहले, उन्होंने बताया कि कैसे लाइटें टिमटिमा रही थीं, एयरक्राफ्ट की पावर कम हो गई थी, और फिर वह क्रैश हो गया. क्रैश के बाद उन्हें बाहर निकलने का रास्ता मिल गया. उन्होंने कहा, 'मैं किसी तरह अपनी सीट बेल्ट खोल पाया. अपने पैर से उस छेद से धक्का देकर बाहर निकल आया.' बाहर निकलते समय जो मंजर उन्होंने देखा, वह आज भी आंखों के सामने जिंदा है. विश्वास ने बताया चारों ओर बस लाशें ही लाशें थीं, यात्री और क्रू सब लोग आग में जल गए थे या मलबे में फंसे हुए थे.
मेरा सबकुछ चला गया
हादसे में उनके भाई अजय कुमार रमेश की मौत हो गई है. विश्वास के शब्दों में, 'यह चमत्कार है कि मैं बच गया लेकिन मैंने सबकुछ गंवा दिया.' बीबीसी से खास बातचीत में विश्वास ने कहा, 'यह एक चमत्कार है लेकिन मैंने अपने भाई को भी खो दिया जो मेरे लिए सबकुछ था. पिछले कुछ सालों से, वह हमेशा मेरे साथ था और हल पल में मेरे साथ खड़ा रहा था.' विश्वास अपने घर लीसेस्टर वापस चले गए हैं. वह कहते हैं कि उस दिन की यादें उन्हें डराती हैं.
अब बस अकेले बैठा रहता हूं
उन्होंने बीबीसी को बताया, 'अब मैं अकेला हूं. मैं बस अपने कमरे में अकेला बैठा रहता हूं, अपनी पत्नी, अपने बेटे से बात नहीं करता. मुझे बस अपने घर में अकेला रहना पसंद है.' उनकी मानें तो शारीरिक तौर पर, मानसिक तौर पर और यहां तक की मानसिक स्तर पर मेरा परिवार भी इस सदमे में है. मेरी मां पिछले चार महीने से, वह हर दिन दरवाजे के बाहर बैठी रहती हैं, बात नहीं करतीं, कुछ नहीं. मैं किसी और से बात नहीं करता हूं. ज्यादा बोल नहीं पाता हूं और पूरी रात बस सोचता रहता हूं. हर दिन पूरे परिवार के लिए दर्दनाक है.'
उनके काउंसलर्स का कहना है कि उन्हें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) है और वह शारीरिक दर्द और साइकोलॉजिकल ट्रॉमा दोनों से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'जब मैं चलता हूं तो ठीक से चल नहीं पाता धीरे-धीरे चलता हूं तो मेरी पत्नी मदद करती है.' उनके कजिन ने पहले कहा था कि वह आधी रात को जाग जाते हैं. कजिन के अनुसार, 'हम उन्हें एक साइकेट्रिस्ट के पास ले गए.'














