डर सबको लगता है, गला सबका सूखता है… आपको किसी एड कैंपेन का स्लोगन नहीं सुना रहा, यूरोपीय देशों का हाल सुना रहा हूं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने से ज्यादा पराए लग रहे हैं. ट्रंप ने रूस के साथ जंग में यूक्रेन की सैन्य सहायता करने और उसके साथ खुफिया जानकारी शेयर करने पर रोक लगा दी है. वो बिना यूरोप को साथ लिए रूस के साथ शांति समझौते की जुगत में लगे हुए है. यूं ‘बिग ब्रदर' अमेरिका ने तेवर दिखाना शुरू किया तो सबकी जान हलक में आ गई है. उधर रूस ने भी यूरोपीय देशों को बड़ी चेतावनी दे दी है. ऐसे में अब एक के बाद एक बैठक हो रही है.
यूक्रेन के लिए समर्थन बढ़ाने के अभियान के बीच एक ऐसी ही आपातकालीन वार्ता बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में हुई, जहां यूरोपीय नेताओं ने रक्षा खर्च में भारी वृद्धि पर सहमति जताई है.
बेल्जियम में क्या फैसले लिए गए?
राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप ने एक सुरक्षा भागीदार के रूप में अमेरिका की विश्वसनीयता पर सहयोगी देशों के बीच चिंताएं बढ़ा दी हैं. उन्होंने रूस को गले लगा लिया है, यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन वापस ले लिया है और यूरोप के साथ दशकों से चली आ रही NATO जैसी सहयोग की बुनियादों पर ही सवाल उठाया है.
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय यूनियन का अनुमान है कि इस तरह से लगभग 650 बिलियन यूरो ($702bn) अलग से रखा जा सकता है.
यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन
Photo Credit: एएफपी
यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष, उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इन नेताओं के सामने यूरोपीय रक्षा खर्च बढ़ाने के लिए €800bn (£670bn) की योजना पेश की. उन्होंने कहा कि यह "यूरोप के लिए एक वाटरशेड मोमेंट (ऐतिहासिक)" है और यूक्रेन के लिए भी.
उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने बाद में मीडिया से कहा कि यदि ट्रंप "ताकत के दम से शांति" चाहते हैं तो यह केवल यूरोपीय यूनियन और उसके सदस्य देशों के साथ ही संभव होगा "क्योंकि पूर्व शर्तों को पूरा करना होगा". उन्होंने यूरोपीय यूनियन की आर्थिक, सैन्य सहायता और समर्थन का हवाला देते हुए कहा, "ऐसे कई उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि सकारात्मक अंत तक पहुंचने के लिए यूरोप का समर्थन कितना अहम है".
27 में से 1 बागी.. हंगरी ने अलग राह चुन ली है?
एक तरफ तो यूरोपीय देश एक होकर एकता का प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरी ओर हंगरी के प्रधान मंत्री, विक्टर ओर्बन ने इसमें किरकिरी कर दी. यूरोपीय यूनियन के बाकि सभी देश चाह रहे थे कि रूस से यारी दिखाते ट्रंप की खिलाफ यूक्रेन के समर्थन को लेकर कोई मैसेज दिया जाए. लेकिन हंगरी को इसपर आपत्ति थी, उसने इसपर साइन करने से ही इंकार कर दिया.
हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बन ट्रंप के कट्टर समर्थक हैं और यूरोप में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे करीबी सहयोगी माने जाते हैं. यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने बैठक बुलाई थी. उन्होंने कहा: "हंगरी का यूक्रेन पर एक अलग रणनीतिक दृष्टिकोण है, लेकिन इसका मतलब है कि हंगरी 27 के बीच अलग-थलग है." वहीं लिथुआनिया के राष्ट्रपति गीतानास नौसेदा ने विक्टर ओर्बन को लेकर पत्रकारों से कहा, "यह सीखने का समय आ गया है कि यूरोपीय यूनियन में फैसले लेने की पूरी प्रक्रिया में एक व्यक्ति को हस्तक्षेप करने से कैसे रोका जाए."
व्हाइट हाउस में अपमान लेकिन यूरोपीय देश यूक्रेन के साथ डटकर खडे़
इस वार्ता में शिरकत करने यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोडिमीर जेलेंस्की भी पहुंचे थे. बैठक की शुरुआत में जेलेंस्की ने नेताओं से हाथ मिलाया और मेज पर मौजूद कईयों ने उन्हें गले लगाया. यह वाशिंगटन से मिल रहे तीखे सिग्लन के बिल्कुल विपरीत है, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी साझा करने में कटौती करने का फैसला लिया है.
यूरोपीय नेताओं से मिलते यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की
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यूरोपीय यूनियन के नेताओं को संबोधित करते हुए, जेलेंस्की ने कहा: "किसी भी बातचीत के लिए असली सवाल यह है कि क्या रूस युद्ध छोड़ने में सक्षम है." उन्होंने कहा कि रूस सैन्य खर्च बढ़ा रहा है, अपनी सेना बढ़ा रहा है और "प्रतिबंधों को दूर करने की कोशिश में कोई रुकावट नहीं डाल रहा है".
जेलेंस्की ने बाद में सोशल मीडिया पर कहा कि उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिलने के लिए सोमवार को सऊदी अरब जाने की योजना बनाई है.
फ्रांस की न्यूक्लियर छतरी वाली पेशकस, रूस ने दी यूरोप को चेतावनी
अमेरिकी सुरक्षा पर दशकों की निर्भरता और फंडिंग पर मतभेद- ऐसे कई फैक्टर हैं जो दर्शाते हैं कि वाशिंगटन ने यूक्रेन को अपनी सैन्य सहायता बंद करके जो खाली स्थान छोड़ा है, उसे भरना यूरोपीय यूनियन के लिए कितना मुश्किल होगा. खुद अमेरिका और यूरोपीय सहयोगी देशों के सैन्य संगठन, नाटो के अनुसार वाशिंगटन ने पिछले साल यूक्रेन को 40 प्रतिशत से अधिक सैन्य सहायता दी थी.
ब्रुसेल्स में शिखर सम्मेलन से पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने राष्ट्र को संबोधित किया. यहां उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस पूरे यूरोप के लिए खतरा बन गया है. “मैं यह भरोषा करना चाहता हूं कि अमेरिका हमारे साथ खड़ा रहेगा. लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो हमें तैयार रहना होगा.” मैक्रों ने फ्रांस के न्यूक्लियर छाते (अंब्रेला) को लेकर आईडिया दिया. यानी यूरोप के बाकि देशों को यह छत्रछाया मिलेगी.
अब इधर मैक्रों ने न्यूक्लियर छाते को लेकर हिंट दिया और उधर पोलैंड और बाल्टिक देश इसका स्वागत करने लगे. याद रहे कि पूरे यूरोप में केवल फ्रांस और यूके के पास न्यूक्लियर हथियार हैं.
मैक्रों ने कहा कि यूक्रेन में शांति सेना भेजने के इच्छुक यूरोपीय देशों के सेना प्रमुखों की बैठक बुलाएंगे. इसपर रूस भड़क गया है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेन में यूरोपीय सैनिकों की तैनाती का मतलब रूस के खिलाफ युद्ध में नाटो देश आधिकारिक रूप से भाग ले रहे हैं. "हम ऐसा होने की अनुमति नहीं दे सकते."
"निश्चित रूप से यह रूस के खिलाफ एक खतरा है. अगर वह हमें खतरे के रूप में देखते हैं... और कहते हैं कि न्यूक्लियर हथियार का उपयोग करना आवश्यक है, वह रूस के खिलाफ न्यूक्लियर हथियार का उपयोग करने की तैयारी कर रहे हैं, तो निश्चित रूप से यह एक खतरा है."