पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने इस्तीफ़े से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि आख़िरी गेंद तक खेलूंगा. अब 3 अप्रैल को इसका फैसला होगा. इमरान खान का कहना है कि 'आख़िरी गेंद तक खेलूंगा, भ्रष्टाचारी आएंगे या हम' देखेंगे. इस पूरे मसले पर इमरान खान की एक्स वाइफ रेहम खान (Reham Khan) ने एनडीटीवी से खास बातचीत की है. राष्ट्र के नाम संबोधन पर रेहम खान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फिर वही स्टोरी, जैसे पहले से ही सोच रहे थे, वही उन्होंने कहा. यह पूरा का पूरा विदाई भाषण जैसा लग रहा था, लग क्या रहा था वही था. मुझे लगता है कि हम उनका खेल समझते हैं क्योंकि टीवी स्क्रीन रोकने का यह उनका आखिरी मौका है, जिसे वो कई सालों से करते आ रहे थे. 2018-22 तक कैसे मीडिया घराने उन्हें कवरेज करते रहे. उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि हममें से किसी को कोई कवरेज ना मिले. वास्तव में वह मेरे पत्रकारिता करियर या यहां तक कि किसी शो में अतिथि भूमिका को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, जिसने भी मुझे अतिथि के रूप में लेने की हिम्मत की, उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़े.
रेहम ने आगे कहा कि वह राजनीति शहीद बनना चाहते हैं. वे इस पूरे मामले को अमेरिकी साजिश दिखाना चाहते हैं. उनके चेहरे के पीछे बहुत से भ्रम छिपे हैं. उन्होंने गरिमापूर्ण तरीके से इस्तीफा देने का विकल्प नहीं चुना जबकि संख्या उनके खिलाफ है. ये उनके व्यक्तित्व में नहीं है. ये शब्द उनकी डिक्शनरी में है ही नहीं, हालांकि ये इमरान खान के पोलिटिकल करियर का अंत है. राजनीति में आने के सवाल पर वह बोलीं कि मेरे पास पोलिटिक्स ज्वाइन करने का कोई कारण नहीं है. मेरे पास वह सब कुछ है, जो हो सकता था.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार रात राष्ट्र को संबोधित किया. इससे पहले उन्होंने नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद संकेत दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. साथ ही जोर देते हुए कहा कि वह रविवार को होने वाले ‘‘अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान'' का सामना करेंगे. राष्ट्र के नाम सीधे प्रसारण वाले एक संबोधन में खान (69) ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो कुछ नतीजा आए, वह और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे.
इमरान खान ने ‘धमकी वाले एक पत्र' पर भी चर्चा की, जिसे उन्होंने कथित तौर पर उनकी गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विदेशी साजिश का ‘सबूत' बताया. उन्होंने इस इस धमकी के पीछे अमेरिका का नाम लिया, जो शायद जुबान फिसलने के कारण ऐसा हुआ. उन्होंने कहा, ‘हमारी नीति अमेरिका विरोधी, यूरोप, या यहां तक कि भारत विरोधी नहीं थी. नई दिल्ली द्वारा अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़ने और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद यह भारत विरोधी बन गई.' सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि यहां बैठे हमारे लोग विदेशी ताकतों के संपर्क में हैं. उन्होंने इस संबंध में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के मौलाना फजलुर रहमान का हवाला दिया.
उन्होंने आगे कहा था कि न तो मैं किसी के सामने झुकने वाला हूं और न ही अपनी कौम को ऐसा करने दूंगा. हमें चींटियों की तरह क्यों रेंगना चाहिए? अपने लोगों को किसी के आगे झुकने नहीं देंगे.पाकिस्तान का लक्ष्य बड़ा था. 25 साल पहले जब मैंने राजनीति में कदम रखा तो मेरे घोषणापत्र में तीन चीजें थीं, 1. न्याय, 2. मानवता, 3. गर्व.
VIDEO- यहां देखें इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान की NDTV से पूरी बातचीत