तुर्की और सीरिया में भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है. बचान अभियान के दौरान छोटी बच्ची से लेकर नवजात को कई-कई घंटों के बाद भी सफलता पूर्वक बाहर निकालने जैसी कई कहानियां सामने आई हैं. हालांकि, बचाव अभियान में लगे लोगों को भूकंप से प्रभावित इलाकों में भीषण ठंड का भी सामना करना पड़ रहा है. बचाव अभियान में जुटे लोग बावजदू इसके दिन-रात एक करके लोगों को मलबे निकालने का काम कर रहे हैं.
बता दें कि अभी तक तुर्की और सीरिया में भूकंप की वजह से मरने वालों की संख्या 25 हजार से ज्यादा है. अकेले तुर्की में 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. और यह आकंड़ा आगे और भी बढ़ सकता है. राज्य प्रसारक टीआरटी हैबर ने एक ऐसा वीडिया साझा किया है जिसमे बचाव दल के लोग एक 70 वर्षीय महिला को मलबे से निकाल रहे हैं. इस महिला की पहचान मेनेकसे के रूप में की गई है. मेनेकसे ने मलबे से निकालने जाने के बाद कहा कि क्या कोई है जो यहां हमे बचाने के लिए काम कर रही है.
वहीं,हुर्रियत दैनिक ऑनलाइन के अनुसार दक्षिणी हते में एक दो वर्षीय बच्ची को भूकंप आने के 123 घंटे बाद मलबे से जिंदा बाहर निकाला गया. बीते कई घंटों में ऐसे कई बच्चों को मलबे से जिंदा बाहर निकाला गया है. शुक्रवार को एक गर्भवति महिला को भी सकुशल मलबे से बाहर निकाला गया.
इन सब के बीच दक्षिणी तुर्की में कई परिवार के लोग उस खेत में इकट्ठा हुए जिसे फिलहाल भूकंप में जान गंवाने वाले लोगों को दफन करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
हालात की गंभीरता को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि तुर्की और सीरिया में आठ लाख से ज्यादा लोगों को तुरंत गर्म भोजन की आवश्यकता है. चेतावनी में कहा गया है कि अकेले सीरिया में 53 लाख लोग बेघर हो सकते हैं.
'गुटों के बीच हो रहा टकराव'
बता दें कि ऑस्ट्रियन सेनिकों को हते में अपना बचाव अभियान सुरक्षा कारणों की वजह से रोकना पड़ा. इसकी जानकारी ऑस्ट्रियन सेना के प्रवक्ता ने एएफपी को दी. उन्होंने कोई जानकारी दिए बगैर सिर्फ इतना कहा कि यहां पर गुटों के बीच में टकराव हो रहे हैं.
गौरतलब है कि तुर्की के मलत्या में चल रहे ऐसे ही एक राहत कार्य के दौरान भारतीय मूल के युवक का शव मलबे से मिला है. तुर्की में भारतीय दूतावास फिलहाल शव को स्वदेश वापस लाने को लेकर तैयारियां कर रहा है.