दुबई से आया दोस्त! 5 फैक्टर बता रहे भारत के लिए UAE क्यों है जरूरी?

दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मकतूम 8 अप्रैल को दो दिवसीय भारत दौरे के लिए नई दिल्ली पहुंचें. विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार यात्रा के दौरान शेख मोहम्मद अल मकतूम पीएम मोदी से मुलाकात करने के साथ-साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक करेंगे.

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पीएम नरेंद्र मोदी और दुबई के क्राउन प्रिंस की तस्वीर

दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मकतूम 8 अप्रैल को दो दिवसीय भारत दौरे के लिए नई दिल्ली पहुंचें. विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार यात्रा के दौरान शेख मोहम्मद अल मकतूम पीएम मोदी से मुलाकात करने के साथ-साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक करेंगे. वह भारत-यूएई संबंधों को मजबूत करने के लिए एक व्यापार गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लेंगे. दुबई के क्राउन प्रिंस के रूप में यह शेख हमदान की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है.

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है कि क्राउन प्रिंस की यात्रा भारत-यूएई के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी और दुबई के साथ हमारे बहुआयामी संबंधों को मजबूत करेगी. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि दुबई से आए दोस्त की यह यात्रा अहम क्यों है? श्रीलंका में मिलकर काम करने से लेकर खाड़ी में उदार देश होने और तेल-गैस का सबसे बड़ा सप्लायर होने तक, तमाम ऐसे फैक्ट हैं जो भारत के लिए यूएई की अहमियत की बानगी देते हैं.

1- भारत-UAE व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के 3 साल हुए हैं पूरे

भारत और UAE के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) ने 18 फरवरी 2025 को ही अपने हस्ताक्षर के तीन साल पूरे किए हैं. CEPA एक पूर्ण और गहन समझौता है जिस पर 18 फरवरी 2022 को पीएम मोदी और UAE राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे. यह 1 मई 2022 से लागू हुआ.

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CEPA  पर साइन होने के बाद से, दोनों देशों के बीच व्यापार वित्त वर्ष 2020-21 में 43.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से लगभग दोगुना होकर 2023-24 में 83.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया. अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान यह 71.8 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया. 2030 तक दोनों देशों के बीच गैर-तेल व्यापार को 100 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर तक ले जाने के लक्ष्य है और आंकड़ें दिखा रहे हैं कि प्रगति उसी रास्ते पर हो रही है. 

अगर भारत के निर्यात के संदर्भ में बात करें तो गैर-तेल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 27.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया- यानी CEPA के लागू होने के बाद से 25.6% की औसत वृद्धि दर्ज हुई है. 

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खाड़ी में भारत को मिला है दोस्त

UAE से भारत की नई दौर की यारी ने अगस्त 2015 में आकार लेना शुरू हुआ जब नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद पहली बार इस अरब देश का दौरा किया. 1981 में इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद 34 वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधान मंत्री की पहली यात्रा थी.

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हाल में कई ऐसे मोर्च सामने आए हैं जहां दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं: 

  • 2- विदेश मंत्रालय ने शनिवार, 5 अप्रैल को जानकारी दी कि भारत और UAE मिलकर श्रीलंका में एक इनर्जी हब विकसित करने पर सहमत हुए हैं. यह भारत के लिए खास है क्योंकि हिंद महासागर के द्वीप राष्ट्र (श्रीलंक) में चीन के साथ नई दिल्ली की प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है. पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान तीनों देशों ने इनर्जी हब के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए. 
  • 3- UAE खाड़ी में भारत का उदार दोस्त माना जाता है. संयुक्त अरब अमीरात के शासक, दूसरे तेल समृद्ध अरब देशों की तरह ही अपने देशों में कट्टरपंथी विचारधाराओं से डरते हैं. कट्टरपंथ से दूरी की यह विचारधारा भी UAE को भारत के करीब लाती है. 
  • 4- UAE के राष्ट्रपति के रूप में शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की नियुक्ति से दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को बड़ी गति मिली है. शेख मोहम्मद की अब तक की नीति संकेत देती है कि वह भारतीयों का बहुत सम्मान करते हैं और उन्हें अपने देश की प्रगति और समृद्धि की दिशा में काम करने वाला मानते हैं. अबू धाबी में हिंदू मंदिर और फिर सिख गुरुद्वारे को मंजूरी देना सहिष्णुता और सह-अस्तित्व का प्रतीक है.
  • 5- दोनों देशों के बीच इन सभी रणनीतिक संबंधों से परे सबसे बड़ा जुड़ाव ‘पीपुल टू पीपुल' स्तर पर है. UAE में मौजूद भारतीय दूतावास की साइट के अनुसार भारतीय प्रवासी समुदाय UAE में सबसे बड़ा जातीय समुदाय है जो वहां की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत है. UAE के रिकॉर्ड के अनुसार 2021 में निवासी भारतीय नागरिकों की संख्या 3.5 मिलियन यानी 35 लाख होने का अनुमान है. लगभग 20% प्रवासी अबू धाबी के अमीरात में हैं और बाकी दुबई सहित 6 उत्तरी अमीरात में हैं. UAE में रहने वाले ये भारतीय प्रवासी भारत की इकनॉमी के लिए भी बड़ी अहमियत रखते हैं. UAE में प्रवासी भारतीयों ने 2022 में 20 बिलियन डॉलर भारत वापस भेजा था.
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