भारत, चीन, रूस की तिकड़ी और यात्राओं का दौर… ट्रंप का टैरिफ अब अमेरिका को ही काटने दौड़ रहा

चीन के विदेश मंत्री भारत में हैं और यहां उनके बैठकों का दौर जारी है. भारत के प्रधानमंत्री 7 साल बाद चीन जाने को तैयार हैं. भारत के विदेश मंत्री आज ही रूस की यात्रा पर निकल रहे हैं.अमेरिका दूर खड़ा है और तिकड़ी को मजबूत होता देख रहा है.

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  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाकर भारत के साथ संबंधों में जटिलता बढ़ाई है.
  • चीन के विदेश मंत्री ने भारत दौरे पर दोनों देशों ने सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया.
  • PM मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन यात्रा पर जाएंगे.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अपना टैरिफ बम फोड़कर खुद अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी सी मार ली है. ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ समेत कुल 50 प्रतिशत टैरिफ क्या लादा, उन्होंने अमेरिका की खुद की 20 साल की डिप्लोमेटिक मेहनत पर पानी फेरना शुरू कर दिया. चीन और रूस को साधने के लिए जो अमेरिका भारत को अपने साथ बनाए रखने की रणनीति पर काम करता था, आज उसके राष्ट्रपति की एक बड़ी रणनीतिक भूल उसी भारत को रूस और चीन के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने को प्रेरित कर रही है. ट्रंप के टैरिफ वाले ऐलान के बाद से कई मोर्चों पर भारत ने अपने दूसरे विकल्प मजबूत करने शुरू कर दिए हैं.

चीन के विदेश मंत्री भारत में हैं और यहां उनके बैठकों का दौर जारी है. भारत के प्रधानमंत्री 7 साल बाद चीन जाने को तैयार हैं. भारत के विदेश मंत्री आज ही रूस की यात्रा पर निकल रहे हैं. यानी अमेरिका दूर खड़ा है और अपने सामने भारत, रूस और चीन की तिकड़ी को मजबूत होता देख रहा है.

पुरानी कड़वाहट दूर कर रहे चीन और भारत

चीनी विदेश मंत्री वांग यी इस समय भारत में हैं. उन्होंने कहा है कि भारत-चीन संबंध सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक ट्रेंड दिखा रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं, बल्कि साझेदार के रूप में देखना चाहिए. उन्होंने सोमवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक की थी. एस जयशंकर ने बैठक के बाद कहा कि भारत-चीन संबंधों में किसी भी सकारात्मक प्रगति का आधार सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने की क्षमता पर टिका हुआ है. उन्होंने यह भी जोर दिया कि सीमा पर तनाव कम करने की प्रक्रिया आगे बढ़नी चाहिए.

एस. जयशंकर ने कहा कि जब दुनिया के दो सबसे बड़े देश मिलते हैं तो अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर चर्चा होना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा, “हम एक न्यायसंगत, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें बहुध्रुवीय एशिया भी शामिल हो. सुधारित बहुपक्षवाद की आज आवश्यकता है. मौजूदा परिस्थितियों में वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनाए रखना और उसे बढ़ाना भी जरूरी है. आतंकवाद से हर रूप में लड़ना भी एक प्रमुख प्राथमिकता है.”

इसके बाद मंगलवार, 19 अगस्त को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने वांग यी के साथ बैठक की. मुलाकात के दौरान अजीत डोभाल ने कहा कि, "यह हमारे राजनयिक संबंधों का 75वां वर्ष है और यह जश्न मनाने का समय है. और हम पाते हैं कि इस नई ऊर्जा और नई गति के साथ, आपके व्यक्तिगत प्रयासों के साथ और हमारी राजनयिक टीम और देशों में हमारे मिशनों, यहां हमारे राजदूतों और सीमाओं पर हमारी सेनाओं के लिए परिपक्वता और जिम्मेदारी की भावना के साथ, हम इस बार ऐसा करने में सक्षम हुए हैं..."

चीनी विदेश मंत्री वांग यी की यह यात्रा ऐसे समय हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तिआनजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाने वाले हैं. पीएम मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन दौरे पर रहेंगे. 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से यह प्रधानमंत्री मोदी की पहली चीन यात्रा होगी, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था.

चीनी पक्ष ने SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी का भी स्वागत किया. एक ब्रीफिंग में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा, "चीन SCO तियानजिन शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी का चीन में स्वागत करता है. हमारा मानना है कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयास से तियानजिन शिखर सम्मेलन, एकजुटता, मित्रता और सार्थक परिणामों का एक संगम होगा. SCO अधिक एकजुटता, समन्वय, गतिशीलता और उत्पादकता के साथ उच्च-गुणवत्ता वाले विकास के एक नए चरण में प्रवेश करेगा."

रूस भारत की पटरी एकदम फिट

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर मंगलवार, 19 अगस्त से अपनी तीन दिवसीय रूस यात्रा भी शुरू कर रहे हैं. इस यात्रा की टाइमिंग बहुत अहम है क्यों कि यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर हाल में अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तनाव आया है.
जयशंकर 20 अगस्त को होने जा रहे व्यापार और आर्थिक, वैज्ञानिक-तकनीकी तथा सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे. इस यात्रा का उद्देश्य समय की कसौटी पर परखे गए भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है.

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भारत और रूस ने साफ कर दिया है कि ट्रंप का टैरिफ बम उन दोनों के रिश्तों में खटाई का काम नहीं करेगा. मास्को में रूसी नेताओं के साथ जयशंकर की बैठकों में रूस से भारत की निरंतर ऊर्जा खरीद पर चर्चा होने की संभावना है. ट्रंप का कहना है कि उन्होंने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ इसलिए लगाया है कि रूस भारत को तेल बेचकर उसी पैसा का इस्तेमाल यूक्रेन में जंग लड़ने में लगा रहा. भारत ने अमेरिका और यूरोप को आईना दिखाया है क्योंकि वो खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं. भारत की अपनी जरूरत है और भारत हर मोर्चे पर रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने की वकालत करता रहा है. 

एक दिन पहले ही रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है. राष्‍ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को ट्रंप के साथ अलास्‍का में हुई मुलाकात के बारे में जानकारी दी. वहीं पीएम मोदी ने इस दौरान रूस-यूक्रेन जंग के शां‍तिपूर्ण समाधान पर भारत के मजबूत रुख को जाहिर किया. साथ ही उन्‍होंने इससे जुड़ी सभी कोशिशों के लिए भारत के समर्थन को दोहराया. 

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