पुतिन-जिनपिंग जैसा तानाशाह बनना चाह रहे ट्रंप? लॉस एजिल्स में भड़की चिंगारी में संकेत देख रहे एक्सपर्ट

डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह "गृहयुद्ध नहीं चाहते". लेकिन लॉस एंजिल्स में यह जो पूरी परिस्थिति बनी है, वो ट्रंप के लिए अपने कोर वोट बैंक के सामने सख्त दिखने का एक सुनहरा अवसर है.

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Los Angeles protests: क्या डोनाल्ड ट्रंप तानाशाही के रास्ते पर हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपनी ताकत दिखाना पसंद है. चाहे वो चीन-नॉर्थ कोरिया जैसे विरोधी देशों के सामने हो या फिर पार्टनर यूरोपीय देशों के खिलाफ, वो अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं. इसबार उन्हें ताकत के इस प्रदर्शन का मौका खुद अपनी जमीं, अमेरिका के अंदर ही मिला है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कैलिफोर्निया राज्य के लॉस एंजिल्स शहर में भड़के विरोध-प्रदर्शन के खिलाफ सेना भेज दिया है, वो भी उस राज्य की अनुमति के बिना.

इस कदम ने एक बार फिर दिखाया है कि ट्रंप राष्ट्रपति पद की शक्ति को उसकी सीमा तक धकेल रहे हैं. आलोचकों के अनुसार स्पष्ट रूप से दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ट्रंप सत्तावादी बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.

अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के लॉस एंजिल्स शहर में इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के कदमों के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शन जारी है. इसके बाद ट्रंप ने नेशनल गार्ड को तैनात किया, यह साल 1965 के बाद पहली बार है कि किसी राष्ट्रपति ने राज्य के गवर्नर के अनुरोध के बिना ऐसा किया है. 

उनके प्रशासन ने सोमवार को कहा कि वह अमेरिका के इस दूसरे सबसे बड़े शहर में 700 सक्रिय-ड्यूटी मरीन भी भेज रहा है. राष्ट्रपति ने चेतावनी दी है कि सैनिकों को "हर जगह" भेजा जा सकता है, जिससे यह आशंका पैदा हो गई है कि वह विरोध प्रदर्शनों और असंतोष को कुचलने के लिए पूरे अमेरिका में सड़कों पर सेना भेज सकते हैं.

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सिरैक्यूज यूनिवर्सिटी में कानून के प्रोफेसर विलियम बैंक्स ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "यह एक फिसलन भरी ढलान है.. यदि राष्ट्रपति और अधिक करने की कोशिश करते हैं, तो वह संयुक्त राज्य अमेरिका में कानून प्रवर्तन को सिविलियंस के हाथों में छोड़ने के लंबे इतिहास के खिलाफ कदम उठा रहे हैं."

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क्या ट्रंप को मिल गया मौका?

लॉस एंजिल्स में जारी विरोध-प्रदर्शन कई मायनों में वह प्रदर्शन है जिसका ट्रंप इंतजार कर रहे थे. ट्रंप कैलिफोर्निया के डेमोक्रेटिक गवर्नर गेविन न्यूसोम के खिलाफ लड़ाई में लगे हुए हैं, और अब वह इमिग्रेशन के अपने फेवरेट मुद्दे पर ऐसा कर रहे हैं. न्यूसोम ने "तानाशाही" राष्ट्रपति पर राजनीतिक लाभ के लिए संकट उत्पन्न करने का कटु आरोप लगाया है. जबकि ट्रंप ने सुझाव दिया कि गवर्नर, जो संभावित रूप से 2028 के राष्ट्रपति पद के दावेदार हैं, उनको गिरफ्तार किया जा सकता है.

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डेमोक्रेटिक कैलिफोर्निया के सीनेटर एलेक्स पाडिला ने इसे "एक सत्तावादी सरकार का व्यवहार" कहा है. मानवाधिकार समूहों ने भी इसका विरोध किया है. अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) की हिना शम्सी ने एक बयान में कहा कि ट्रंप की प्रतिक्रिया "अनावश्यक, भड़काऊ और शक्ति का दुरुपयोग थी."

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पुतिन-जिंनपिंग बनना चाहते हैं ट्रंप?

ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह "गृहयुद्ध नहीं चाहते". लेकिन यह जो पूरी परिस्थिति बनी है, वो ट्रंप के लिए अपने कोर वोट बैंक के सामने सख्त दिखने का एक सुनहरा अवसर है. दरअसल, ट्रंप ने लंबे समय से एक मजबूत व्यक्ति की छवि बनाई है और पहले रूस के व्लादिमीर पुतिन और चीन के शी जिनपिंग जैसे सत्तावादी नेताओं की तारीफ भी की है.

इस सप्ताह के अंत में, ट्रंप अपना 79वां जन्मदिन अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित परेड में वाशिंगटन में टैंकों की गड़गड़ाहट देखते हुए बिताएंगे. नेशनल गार्ड को लॉस एंजिल्स में भेजने से पहले ट्रंप ने न्यू जर्सी में UFC चैंपियनशिप फाइट में भाग लिया था. यह एक ऐसा खेल है जिसका उपयोग उन्होंने मर्दाना मतदाताओं को रिझाने के लिए अक्सर किया है. 

हालांकि ट्रंप के आलोचकों को डर है कि लॉस एंजिल्स में उनकी जो हरकतें हैं, वो सिर्फ दिखावे के लिए नहीं हैं. व्हाइट हाउस में दोबारा लौटने के बाद से, ट्रंप ने बार-बार अमेरिकी नौकरशाही, यूनिवर्सिटी, कानून फर्मों, सांस्कृतिक संस्थानों और जहां कहीं भी उनका मानना ​​​​है कि उदारवादी विचारधाराएं टिकी हुई हैं, उनको निशाना बनाने के लिए राष्ट्रपति की शक्ति की सीमाओं को आगे बढ़ाया है.

जब ट्रंप ने लॉस एंजिल्स की अशांति का दोष - बिना किसी सबूत के - "विद्रोहियों" पर मढ़ दिया, तो ऐसा लगा कि आगे क्या हो सकता है, इसका उन्होंने संकेत दे दिया है. ऐसा लगता है कि ट्रंप अमेरिका के विद्रोह अधिनियम का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो अमेरिकी सेना को घरेलू पुलिस बल के रूप में उपयोग करने की अनुमति देगा.

‘ताकतवर दिखने की चाह'

जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर टॉड बेल्ट ने एएफपी को बताया, "जब बल प्रयोग की बात आती है तो ट्रंप काफी स्वतंत्र और ढीले हैं.. वह जानते हैं कि यह उसके समर्थकों के बीच लोकप्रिय है, और वह हमेशा उनकी नजरों में मजबूत दिखना पसंद करते हैं."

ट्रंप सालों से विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ सेना का उपयोग करने की बात करते रहे हैं. हालांकि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ऐसा नहीं किया, लेकिन उनके पूर्व रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने कहा कि ट्रंप ने पूछा था कि ब्लैक लाइव्स मैटर प्रदर्शनकारियों के पैरों में गोली क्यों नहीं मारी जा सकती.

इसके विपरीत, ट्रंप ने उस समय सेना लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जब उनके अपने समर्थकों ने 2020 के चुनाव में जो बाइडेन के हाथों उनकी हार को पलटने के लिए यूएस कैपिटल पर हमला किया था.

सोमवार को पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर ट्रंप ने यह नहीं बताया कि क्या वह विद्रोह अधिनियम लागू करेंगे, लेकिन वह और उनके सलाहकार इस मुद्दे को तेजी से विनाशकारी शब्दों में तैयार कर रहे हैं.

उनके शीर्ष प्रवासन सलाहकार (माइग्रेशन एजवाइजर) स्टीफन मिलर ने स्पष्ट रूप से लॉस एंजिल्स के विरोध प्रदर्शन को प्रवासियों के "आक्रमण" के खिलाफ पश्चिमी सभ्यता के भविष्य की लड़ाई के रूप में परिभाषित किया है. बेल्ट ने कहा, "'युद्ध' और 'आक्रमण' की रूपरेखा ने प्रशासन को इन कानूनों के घरेलू उपयोग के लिए मामला बनाने में मदद की है जो आम तौर पर विद्रोह या आक्रमण को दबाने के लिए उपयोग किए जाते हैं."

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