ऐसा लग रहा है मानों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा के पीछे हाथ-पैर और दिमाग, सबकुछ धोकर पड़ गए हैं. कभी टैरिफ लगाकर दबाव बना रहे हैं तो कभी कोलंबिया नदी पर कनाडा के साथ जल-बंटवारा वार्ता रोक दे रहे. वो अपने तरकश के हर हथकंडे अपनाने के साथ-साथ एक भी ऐसा मौका नहीं छोड़ रहे जिसमें वो दिखा सके कि वो इस पड़ोसी देश को अमेरिका में मिलाना चाहते हैं. मंगलवार, 11 मार्च को एक बार फिर 78 वर्षीय रिपब्लिकन नेता ने अपनी विस्तारवादी इच्छा को सबके सामने खुलकर रखा. अपने खुद के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth पर लिखा कि एकमात्र बात जो समझ में आती है वह यह है कि कनाडा अमेरिका का 51वां राज्य बन जाए.
सवाल है कि कनाडा की बांह इतनी क्यों मरोड़ रहे हैं? पहले देखते हैं कि ट्रंप कितनी कोशिशें कर रहे हैं.
टैरिफ-टैरिफ वाला खेल
जनवरी में राष्ट्रपति की कुर्सी पर ट्रंप के बैठने के बाद से, दोनों देश व्यापार युद्ध में दिख रहे हैं. पहले तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने ड्रग्स और अमेरिकी सीमा पार करने वाले अवैध प्रवासियों पर चिंताओं का हवाला देते हुए कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25% का टैरिफ लगा दिया.
जवाब दिया कनाडा ने. कनाडा के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत, ओंटारियो ने लगभग 1.5 मिलियन अमेरिकी उपभोक्ताओं को भेजी जाने वाली बिजली पर 25% टैरिफ बढ़ोतरी की घोषणा कर दी. इसके बाद ट्रंप ने अमेरिका में आने वाले सभी स्टील और एल्युमीनियम पर 25% टैरिफ लगा दिया.
लेकिन जब ओंटारियो ने बिजली से टैरिफ लगाने का फैसला रोक लिया तो कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने अपना रुख पलट दिया. फिर भी गुरुवार से स्टील और एल्युमीनियम पर 25% का टैरिफ लागू हो गया.
अब फिर से जवाब देने की बारी कनाडा की थी. कनाडा ने अमेरिका से आने वाली $20.7 बिलियन कीमत की वस्तुओं पर 25% लगाने की घोषणा की है. कनाडा को यूरोपीय यूनियन का साथ मिला है. यूरोपीय यूनियन ने भी अप्रैल से करीब 28 बिलियन अमेरिकी सामान पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है.
जल-बंटवारा वार्ता रोकी
द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार तनाव के बीच अमेरिका ने कनाडा के साथ एक प्रमुख जल-बंटवारा संधि पर बातचीत रोक दी है. कनाडा के प्रांट- ब्रिटिश कोलंबिया के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी कोलंबिया नदी पर दोनों देश की संधि की "व्यापक समीक्षा कर रहे हैं". यह 61 साल पुरानी संधि है जो दोनों देशों के बीच बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन और जल आपूर्ति को नियंत्रित करती है.
ट्रंप कनाडा को अमेरिका में मिलाना क्यों चाहते हैं?
इसका कोई ऑफिसियल जवाब तो नहीं है लेकिन संकेत बहुत हैं. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर टॉड बेल्ट का कहना है, “इस क्षेत्रीय विस्तार (ग्रीनलैंड, पनामा, कनाडा) का अधिकांश हिस्सा अमेरिकी चुनाव के बाद आया. मुझे लगता है कि किसी ने ट्रंप के दिमाग में यह बात डाल दी है कि महान राष्ट्रपति की विरासत यह होती है कि वह नए क्षेत्र हासिल करते हैं."
ध्यान रहे कि ट्रंप जितने राष्ट्रपति हैं उतने बिजनेसमैन भी. ट्रंप कनाडा के 51वें राज्य के अधिग्रहण को एक शानदार रियल एस्टेट डील के रूप में भी देखते हैं जो उनकी राष्ट्रपति पद की विरासत पर मुहर लगा देगा.
कई लोगों को ट्रंप की कनाडा को लेकर सनक के पीछे की वजह व्यक्तिगत दुश्मनी भी लगती है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने अनुमान लगाया है कि 2019 की एक तस्वीर से ट्रंप खार खाए बैठें हैं जिसमें जस्टिन ट्रूडो और ट्रंप की पत्नि मेलानिया ट्रंप एयर किस करते दिख रहे हैं. तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई और इसके खूब मीम बने.
हालांकि कुल मिलाकर सच्चाई यह है कि कनाडा कि जनता अमेरिका में शामिल नहीं होना चाहती. इस महीने लीगर इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक जनमत सर्वे के अनुसार, केवल 33 प्रतिशत कनाडाई लोगों की अमेरिका के बारे में सकारात्मक राय है. जबकि जून 2024 में जब बाइडेन राष्ट्रपति थे, यह आंकड़ा 52 प्रतिशत था. इस सर्वे में 77 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि यूरोपीय यूनियन के बारे में उनकी राय सकारात्मक है.
ट्रंप कब क्या फैसला लेंगे, कोई नहीं जानता. ऐसे में सबकी नजर यह है कि कनाडा को लेकर उनका ये जुनून या सनक, जो भी आप कहें, किस हद तक जाता है.
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