कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी (Pandemic) तीसरे साल भी दुनिया का पीछा नहीं छोड़ रही है. बहुत से देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron) के बाद कोरोना से जुड़े प्रतिबंधों को ढ़ीला किया जाने लगा है और आम जनता ने भी कोरोना को हल्के में लेना शरू कर दिया है. ऐसे में महामारी विशेषज्ञ यह चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट को आखिरी ना समझा जाए और सुरक्षा उपायों को नज़रअंदाज़ ना किया जाए. कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट आने के बाद कोरोना का संक्रमण ज़रूर फैल रहा है लेकिन संक्रमण के लक्षण उतने नहीं दिखते जितने कोरोना की दूसरी लहर में था. इससे लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग करना छोड़ दिया है. दफ्तर पूरी क्षमता के साथ दोबारा खुलने लगे हैं, यात्रा प्रतिबंधों को भी हटा दिया गया है और कोरोना चेतावनियों को भी हल्का कर दिया गया है. यहां तक कि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि हम कोरोना से जीत गए हैं और महामारी ख़त्म हो रही है.
लेकिन ऐसा नहीं है. अमीर देशों में जहां सप्लाई चेन टूटने से असर पड़ा है, पर्यटन की योजनाओं पर असर पड़ा है तो वहां वैक्सीन ना लेने वाले अब भी कोरोना के शिकार हो रहे हैं. इस बीच पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना का शिकार होने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है. आंकड़े कहते हैं कि ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है और कोई गारंटी नहीं है कि इसमें अगला म्यूटेशन कब आ जाए , या यूं कहें कि कब यह घातक स्वरूप ले ले. हमें कोरोना के और भी स्वरूप देखने को मिल सकते हैं. डेल्टा जैसा खतरनाक वेरिएंट दोबारा नहीं आएगा यह कहना मुश्किल है. और ऐसा नहीं है कि आपको एक बार कोरोना हो गया है तो दोबारा नहीं हो सकता. यह खतरा वास्तविक है.
ब्लूमबर्ग न्यूज़ के मुताबिक येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में एपिडेमियोलॉजिस्ट प्रोफेसर अकीको इवासाकी (Akiko Iwasaki)कहती हैं, " जब हम डेल्टा वरिएंट के खिलाफ कोरोना वैक्सीन के बूस्टर शॉट से मिली सुरक्षा का लुत्फ उठा रहे थे तो उसके बाद ओमिक्रॉन ने आकर एक बड़ी चुनौती दी. ऐसा लगता है कि हम लगातार वायरस ने निपटने में लगे हैं. "
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोनावायरस पूरी तरह से खत्म नहीं होगा. केवल इसके स्वरूप बदलते रहेंगे.
वहीं ह्यूसटन के 'बेयर कॉलेज ऑफ मेडिसिन' में 'नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन' के डीन पीटर होटेज़ का कहना है, " यहां ओमिक्रॉन को लेकर बहुत खुशनुमा बातें की जाती हैं कि ओमिक्रॉन एक हल्का वेरिएंट है और यह एक लाइव वैक्सीन की तरह काम कर रहा है जिससे पूरी दुनिया में बड़ी हर्ड इम्मूनिटी आएगी. यह सोच कई वजहों से गलत है.
वह कहते हैं, "ओमिक्रॉन से पहले के वेरिएंट्स की तुलना में लंबे समय की इम्यूनिटी नहीं बनती है. इस आधार पर यह मानना गलत होगा कि कोरोना महामारी का अंत होने जा रहा है."
अमेरिका में फ्रेड हचिंनसन कैंसर रिसर्च सेंटर के एपिडेमियोलॉजिस्ट ट्रेवर बेडफोर्ड पूरी दुनिया में कोरोना के नए मामलों की पहचान के लिए जाने जाते हैं. वह कहते हैं, अमेरिका में ओमिक्रॉन वेरिएंट के केवल 20-25% मामले रिपोर्ट होते हैं. क्योंकि जनवरी के मध्य में हर दिन औसतन आठ लाख मामले सामने आ रहे थे, तो ज़मीन पर ऐसे मामले करीब हर दिन 30 लाख रहे होंगे . क्योंकि ठीक होने में भी इसमें 5-10 दिन लगते हैं तो ऐसे में अमेरिका की 10% जनसंख्या किसी ना किसी समय ओमिक्रॉन से पीड़ित रही होगी.