ईरान में अति रुढ़िवादी मौलवी इब्राहिम रायसी (Conservative Cleric Ebrahim Raisi) को राष्ट्रपति चुनाव (Iran Presidential Election) में शनिवार को विजेता घोषित किया गया. 60 साल के रायसी अगस्त में मौजूदा राष्ट्रपति हसन रुहानी (Hassan Rouhani) की जगह लेंगे. ईरान में यह सत्ता परिवर्तन ऐसे वक्त हो रहा है, जब अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के साथ हुए परमाणु समझौते की बहाली को लेकर बातचीत चल रही है. ईरान एटमी डील से दोबारा जुड़ना चाहता है, लेकिन अपनी शर्तों पर. जबकि मध्य पूर्व में इजरायल और फलस्तीन के बीच संघर्ष फिर उभर आया है.
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार कई राजनीतिक हस्तियों को चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. ऐसे में रायसी की जीत पक्की मानी जा रही थी. निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि रायसी को शुक्रवार रात तक गिने जा चुके 90 फीसदी वोटों में 62 फीसदी हासिल हो चुके थे. इसके बाद तीन अन्य राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों ने अपनी हार स्वीकार कर ली थी. उदारवादी धड़े के मौजूदा राष्ट्रपति हसन रुहानी ने भी कहा कि वो जनता को उनकी पसंद के लिए बधाई देते हैं. रुहानी दो बार ईरान के राष्ट्रपति रहे और उनका आठ साल का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा है. ईरान में कोई भी उम्मीदवार अधिकतम दो बार ही राष्ट्रपति रह सकता है.
रायसी ऐसी नाजुक घड़ी में ईरान की कमान संभालेंगे, जब कमजोर पड़ती न्यूक्लियर डील को अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद पटरी पर लाने की कोशिश हो रही है. ईरान परमाणु डील (Iran Nuclear Deal) के जरिये अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट चाहता है, ताकि आर्थिक गतिविधियों को तेज किया जा सके. रायसी को ईरान के 81 साल के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खमनेई (Ayatollah Ali Khamenei) का करीबी माना जाता है, जिनके पास ही ईरान की वास्तविक निर्णायक शक्ति है.
ईरान में शु्क्रवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का वक्त 2 घंटे बढ़ाया गया था, क्योंकि कुल वोटिंग 50 फीसदी से भी काफी कम रहने का अनुमान लगाया गया था. तमाम मतदाताओं ने वोट नहीं डालना मुनासिब समझा, क्योंकि चुनाव में 40 महिलाओं समेत 600 दावेदारों में छंटनी करके सिर्फ 7 प्रत्याशियों को अंतिम तौर पर अलग किया गया. इसमें सभी पुरुष उम्मीदवार थे. साथ ही इन सात उम्मीदवारों में एक पूर्व राष्ट्रपति औऱ एक पूर्व पार्लियामेंट स्पीकर शामिल थे.
प्रेसिडेंट इलेक्शन में तीन अन्य प्रबल दावेदारों में अति रुढ़िवादी मोहसिन रेजाई, अमीरुहोसैन काजिजादेह हाशेमी और सुधारवादी अब्दुलनासिर हेमाती ने नतीजों के कुछ घंटों बाद ही हार स्वीकार कर रायसी को बधाई दे दी थी. चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति और लोकप्रिय नेता महमूद अहमदीनेजाद को हिस्सा लेने से रोक दिया गया था. उम्मीदवारी पर रोक से नाराज अहमदीनेजाद ने मतदान का बहिष्कार करते हुए कहा कि वो इस पाप के भागीदार नहीं बनेंगे.