"कोलंबिया विश्वविद्यालय ने मुझे धोखा दिया": अमेरिका से ‘सेल्फ डिपोर्ट' हुई भारतीय छात्रा ने सुनाई अपनी आपबीती

रंजिनी श्रीनिवासन ने याद किया कि कैसे उन्हें 5 मार्च को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास से एक ईमेल मिला था. जिसमें कहा गया था कि उनका छात्र वीजा अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दिया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
37 वर्षीय भारतीय पीएचडी छात्रा रंजिनी श्रीनिवासन फिलहाल कनाडा में हैं.
नई दिल्ली:

अमेरिका ने कुछ हफ्ते पहले 37 वर्षीय भारतीय पीएचडी छात्रा रंजिनी श्रीनिवासन का वीजा कथित तौर पर “हिंसा और आतंकवाद की वकालत” करने तथा हमास समर्थित गतिविधियों में शामिल होने के कारण रद्द कर दिया गया था.  रंजिनी श्रीनिवासन ने अब अपनी आपबीती सुनाई है और ​​कहा कि उसे अपने अल्मा मेटर - प्रसिद्ध कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा 'धोखा' दिया गया है. अल जजीरा को दिए साक्षात्कार में श्रीनिवासन ने कहा, "मैंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में पांच साल काम किया, मुझे नहीं पता, कभी-कभी तो सप्ताह में 100 घंटे भी काम किया. मैंने कभी नहीं सोचा था कि संस्थान मुझे निराश करेगा. लेकिन ऐसा हुआ."

उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि कोलंबिया अपने होश में आएगा और मुझे फिर से नामांकित करेगा. मेरी पीएचडी के लिए सभी आवश्यकताएं पूरी हो गई हैं, और जो कुछ भी बचा है, उसके लिए मुझे अमेरिका में रहने की भी आवश्यकता नहीं है." 

दरअसल रंजिनी श्रीनिवासन अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही थी. होमलैंड सुरक्षा विभाग ने एक बयान में कहा था कि भारतीय नागरिक रंजनी श्रीनिवासन ने एफ-1 छात्र वीजा पर कोलंबिया विश्वविद्यालय में शहरी नियोजन में डॉक्टरेट की छात्रा के रूप में अमेरिका में कदम रखा था. रंजिनी आतंकवादी संगठन हमास को समर्थन देने वाली गतिविधियों में शामिल थी और विदेश विभाग ने 5 मार्च को उसका वीजा रद्द कर दिया था. अपना छात्र वीजा रद्द होने के बाद श्रीनिवासन कनाडा चली गई थी.

Advertisement

आखिर क्या हुआ था उस दिन

श्रीनिवासन ने याद किया कि कैसे उन्हें 5 मार्च को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास से एक ईमेल मिला था जिसमें कहा गया था कि उनका छात्र वीजा अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दिया गया है. कुछ ही घंटों के भीतर, जब वह कोलंबिया और अपने पीएचडी समूह के अधिकारियों से संपर्क करके यह समझने की कोशिश कर रही थी कि क्या हुआ था, संयुक्त राज्य अमेरिका के आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के एजेंट उनके दरवाजे पर आ गए. लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला.

Advertisement

अगली शाम, जब वह घर पर नहीं थी, एजेंट वापस आए और उसे बुलाने लगे. कुछ घंटों बाद, कोलंबिया के एक अन्य छात्र महमूद खलील को कैंपस में हिरासत में लिया गया, जिसके कारण छात्रों और अधिकारियों के बीच अशांति फैल गई. श्रीनिवासन ने बताया कि वो अपनी गिरफ्तारी के डर से, अपने दस्तावेजों, आवश्यक वस्तुओं और कुछ कीमती वस्तुओं से भरा बैग लेकर भागने में सफल रहीं. जब वह भाग रही थीं, तब एजेंट लगातार उनकी तलाश कर रहे थे. 11 मार्च को, अधिकारियों को चकमा देने के बाद, वह किसी तरह न्यूयॉर्क से कनाडा के लिए उड़ान भरने में सफल रहीं. जहां उन्होंने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से संपर्क किया, जो उनकी मदद के लिए आए.

Advertisement

अमेरिका में गिरफ्तार होने का डर था

न्यूयॉर्क के लागार्डिया एयरपोर्ट के सीसीटीवी फुटेज में उन्हें अपने सामान से भरा बैग ले जाते हुए दिखाया गया था. फुटेज को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया था. श्रीनिवासन ने बताया कि उन्हें अमेरिका में गिरफ्तार होने का डर था. चार दिन बाद, अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग की सचिव क्रिस्टी नोएम ने एक्स पर एक पोस्ट में उव्हें "आतंकवादी समर्थक" करार दिया था.

Advertisement

बता दें अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते “यहूदी छात्रों के लगातार जारी उत्पीड़न को लेकर विश्वविद्यालय की निष्क्रियता” के कारण कोलंबिया यूनिवर्सिटी को दिए जाने वाले लगभग 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर के संघीय अनुदान और अनुबंधों को तत्काल रद्द करने की घोषणा की थी. 

इस पूरी घटना पर कोलंबिया विश्वविद्यालय की ओर से इस घटना पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है. वहीं श्रीनिवासन फिलहाल कनाडा में हैं

Featured Video Of The Day
Cyber Fraud: Mobile पर Photo Download करते ही खाता खाली | Jabalpur