चीन का अंतरिक्ष मिशन...स्‍पेस पर गया सबसे कम उम्र का यात्री, साथ में  4 चूहे भी, जानिए उनका वहां क्‍या काम 

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के इंजीनियर हान पेई ने कहा कि दो नर और दो मादा चूहों पर नजर रखी जाएगी. इससे यह अध्‍ययन करने में मदद मिलेगी कि वजन कम होने और कैद होने से उनके व्यवहार पर क्या असर पड़ता है.

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  • चीन ने शेनझोउ-21 स्पेसशिप के जरिए तीन अंतरिक्ष यात्रियों को नया ऑर्बिटिंग स्पेस स्टेशन मिशन पर भेजा है.
  • मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री तियांगोंग स्पेस स्टेशन पर छह महीने तक रहकर 27 वैज्ञानिक परियोजनाएं करेंगे.
  • पहली बार अंतरिक्ष में चार चूहों को भेजा गया है, जिनका व्यवहार वजन कमी और कैद के प्रभावों पर अध्ययन किया जाएगा.
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बीजिंग:

चीन ने शुक्रवार को अपना एक स्‍पेस मिशन लॉन्‍च किया है. चीन ने अपने इस ऑर्बिटिंग स्पेस स्टेशन के लिए शेनझोउ-21 स्पेसशिप को लॉन्‍च किया है. इस स्‍पेसशिप में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा है. इसके साथ ही कुछ ऐसा भी है जो इस समय अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सुर्खियां बटोर रहा है. चीन की तरफ से अंतरिक्ष यात्रियों को नया रोटेशन भेजा जाएगा जिसमें साथ में चार चूहे भी हैं. 

कौन-कौन शामिल रिसर्च में 

उत्तर-पश्चिमी चीन के जिउक्वान लॉन्च सेंटर से उड़ान भरने वाले सबसे नए एस्ट्रोनॉट क्रू में पायलट और मिशन कमांडर झांग लू शामिल हैं. ये दो साल पहले स्पेस स्टेशन के लिए शेनझोउ-15 मिशन पर भी गए थे. जबकि बाकी दो अंतरिक्ष यात्री पहली बार उड़ान भर रहे हैं. 32 साल के इंजीनियर वू फेई, स्पेसफ्लाइट में शामिल होने वाले देश के सबसे कम उम्र के एस्ट्रोनॉट हैं. झांग होंगझांग एक पेलोड स्पेशलिस्ट हैं.  वह एस्ट्रोनॉट बनने से पहले नई एनर्जी और नए मैटेरियल पर का अध्‍ययन करने वाले एक रिसर्चर थे. 

झांग ने कहा कि टीम तियांगोंग स्पेस स्टेशन पर ताई-ची, बागवानी और कविता पढ़कर स्पेस स्टेशन को एक 'यूटोपिया' में बदल देगी. वो स्टेशन पर करीब छह महीने तक रहेंगे. अंतरिक्ष में रहते हुए ये अंतरिक्ष यात्री बायोटेक्नोलॉजी, एयरोस्पेस मेडिसिन, मैटेरियल साइंस और दूसरे इलाकों में 27 साइंटिफिक और अप्लाइड प्रोजेक्ट्स करने का प्लान बनाया है. वहीं इस मिशन के जरिये पहली बार, चीन अंतरिक्ष में चूहे भेज रहा है. 

अंतरिक्ष में क्‍यों गए हैं 4 चूहे 

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के इंजीनियर हान पेई ने कहा कि दो नर और दो मादा चूहों पर नजर रखी जाएगी. इससे यह अध्‍ययन करने में मदद मिलेगी कि वजन कम होने और कैद होने से उनके व्यवहार पर क्या असर पड़ता है. हान ने कहा, 'इससे हमें स्पेस में छोटे मैमल्स की ब्रीडिंग और मॉनिटरिंग के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी में महारत हासिल करने और चूहों के इमरजेंसी रिस्पॉन्स और स्पेस के माहौल में होने वाले बदलावों का शुरुआती अंदाजा लगाने में मदद मिलेगी.' 

300 में से 4 का सेलेक्‍शन 

चीन की सरकारी शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 60 दिनों से ज्‍यादा की कड़ी ट्रेनिंग के बाद 300 कैंडिडेट्स में से 'स्पेस माइस' को चुना गया. सरकारी मीडिया चाइना नेशनल रेडियो ने बताया कि चूहों के स्पेस स्टेशन में पांच से सात दिन रहने और शेनझोउ-20 में बैठकर धरती पर वापस आने की उम्मीद है. चीन की सरकार का कहना है कि यह स्पेस प्रोग्राम बहुत बड़े राष्‍ट्रीय गौरव का कारण है. साथ ही पिछले दो दशकों में देश की टेक्नोलॉजिकल तरक्की की पहचान है. 

क्‍या है चीन का असली मकसद 

चीन ने साल 2003 में अपना पहला क्रू मिशन लॉन्च किया था. इसके साथ ही वह सोवियत यूनियन और अमेरिका के बाद ऐसा करने वाला वह तीसरा देश बन गया था. चाइना मैन्ड स्पेस एजेंसी के स्पोक्सपर्सन झांग जिंगबो ने कहा कि एजेंसी के चांद पर एस्ट्रोनॉट भेजने के प्लान के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट का काम आसानी से चल रहा है. लॉन्च से एक दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में झांग ने कहा, 'हमारा लक्ष्य है कि चीन 2030 तक चांद पर किसी इंसान को उतारें.' 

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