भारतीय वायुसेना प्रमुख के बयान पर चीन ने दे डाली सलाह

भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा कि चीन धीरे-धीरे भारतीय वायुसेना के एडवानटेज को खत्म करता जा रहा है. चीन ने सीमा के करीब अपने फाइटर एयरक्राफ्ट की संख्या काफी बढ़ा दी है और लगातार अपने एयरबेस को अपग्रेड करना जा रहा है.

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नई दिल्ली:

भारतीय वायु सेना के प्रमुख एपी सिंह ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा कि चीन तकनीक, आधारभूत संरचना और डिफेंस उत्पादन के मामले में काफी आगे निकल गया है. इस मामले में भारत अपने पड़ोसी मुल्क के मुकाबले काफी पीछे होता जा रहा है. भारतीय वायुसेना प्रमुख की इस चिंता के बाद चीन की ओर से एक्सपर्ट्स की राय सामने आई है. चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को चीन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझना चाहिए.

भारतीय वायुसेना प्रमुख का बयान

भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा कि चीन धीरे-धीरे भारतीय वायुसेना के एडवानटेज को खत्म करता जा रहा है. चीन ने सीमा के करीब अपने फाइटर एयरक्राफ्ट की संख्या काफी बढ़ा दी है और लगातार अपने एयरबेस को अपग्रेड करना जा रहा है. इसके साथ ही चीन सीमा पर एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भी तैयार कर रहा है.

ऐसी स्थिति में सिंह ने तेजस फाइटर्स की जल्दी डिलिवरी की बात भी कही और निजी क्षेत्र से इस प्रकार के उत्पादन में बड़ा रोल निभाने की अपील भी की थी.

चीन के सरकार मीडिया ग्लोबल टाइम्स में रिएक्शन

चीन के मिलिट्री एक्सपर्ट के बयान को ग्लोबल टाइम्स ने छापा है. भारतीय वायुसेना प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा है कि भारतीय वायुसेना प्रमुख इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रहे हैं. उनका कहना है कि चीन अपने दायरे में देश की सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से काम कर रहा है. उनका कहना है कि भारतीय वायुसेना प्रमुख का बयान केवल ज्यादा फंड लेने और भारत की डिफेंस इंडस्ट्री पर दबाव बनाने का प्रयास है. 

चीनी एक्सपर्ट का बयान

उनका कहना है कि भारत के स्वदेशी डिफेंस प्रोजक्ट्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इनके सामने डिफेंस उत्पादन की लंबी प्रक्रिया, धीमा उत्पादन और ऊंची कीमतों की चुनौती है. चीनी एक्सपर्ट का मानना है कि भारत और चीन की सीमा ज्यादातर शांत है और भारतीय वायुसेना जिस प्रकार इसे तूल दे रही है और यह दोनों देशों के संबंध सुधार के लिए ठीक नहीं है. 

डिफेंस मजबूत करना भारत का अधिकार

चीन के एक्सपर्ट का कहना है कि भारत को अपने डिफेंस को मजबूत करने का अधिकार है और अपनी डिफेंस इंडस्ट्री को भी. लेकिन इसे चीन को चुनौती के रूप में देखते हुए नहीं होना चाहिए. चीन का भारत के साथ आर्म रेस का कोई इरादा नहीं है. 

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चीन से चौंकन्ना भारत

गौरतलब है कि एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों (भारत व चीन) के बीच अभी भी तनाव है. उन्होंने कहा था कि चीन अपनी सीमा से सटे इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार बढ़ा रहा है. भारत के सामने चीन द्वारा की जा रही तैयारियों से बराबरी करने की चुनौती है.

भारत की तैयारी

एयर फोर्स चीफ ने कहा था कि हम अपने क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर कर रहे हैं. पूर्वी लद्दाख में ज्यादा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और नए एयरबेस बनाए जा रहे हैं. उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय वायु सेना किसी भी मिशन को अंजाम देने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है.  सिंह ने शुक्रवार को वायु सेना की तैयारियों के विषय में बात करते हुए पूर्वी लद्दाख के न्योमा में, बनाई जा रही एयरफील्ड का जिक्र किया था. 

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बता दें कि न्योमा में बनाई जा रही यह एयरफील्ड विश्व का सबसे ऊंचा लड़ाकू हवाई क्षेत्र होगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एयरफील्ड चीन सीमा से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. इसे लद्दाख में अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए स्टेजिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जा रहा है. एयर डिफेंस व रक्षा संबंधी तैयारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था कि 'एस-400 मिसाइल प्रणालियों' की 3 यूनिट्स की सप्लाई हो चुकी है. रूस अगले साल तक शेष 2 यूनिट्स देगा.

वायु सेना की क्षमता को लेकर एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने था कहा कि हमारे पास विदेशी जमीन पर भी अपने दुश्मन से निपटने की पूरी क्षमता है. उन्होंने कहा कि हमने बालाकोट एयर स्ट्राइक के जरिए अपनी इस क्षमता को दिखाया भी है.

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कुश हथियारों को शामिल कर रहा भारत

भारतीय वायुसेना की  क्षमता पर बात करते हुए सिंह ने कहा था कि भारत सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम 'कुश' जैसे हथियारों को शामिल करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इसके अलावा बड़ी तादाद में आकाश मिसाइलों को भी शामिल किया गया है.

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