तिब्बत की पहचान मिटाने में जुटा चीन... रिपोर्ट में प्रार्थना ध्वज जलाने से धार्मिक प्रतीक हटाने तक कई खुलासे

श्रीलंका के प्रमुख मीडिया संस्थान सीलोन वायर न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत में सांस्कृतिक दमन हाल के वर्षों में और खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. हाल ही में चीनी अधिकारियों ने आग लगने के खतरे का हवाला देते हुए पारंपरिक प्रार्थना ध्वज जला दिए.

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  • चीन की कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बत में तिब्बती भाषा, धर्म और संस्कृति को खत्म करने की कोशिशें तेज कर रही है.
  • तिब्बती धार्मिक प्रतीकों को हटाकर उनके स्थान पर चीनी राष्ट्रवादी प्रतीक और झंडे लगाए जा रहे हैं.
  • सीलोन वायर न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत में सांस्कृतिक दमन खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.
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कोलंबो :

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) तिब्बत में तिब्बती पहचान को मिटाने की कोशिशें लगातार तेज कर रही है. भाषा, धर्म और संस्कृति को निशाना बनाते हुए जबरन कदम उठाए जा रहे हैं. एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी प्रशासन तिब्बती धार्मिक प्रतीकों को हटाकर उनकी जगह चीनी राष्ट्रवादी प्रतीक थोप रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट तस्वीरों से सामने आया है कि तिब्बत की पहाड़ियों पर पत्थरों में उकेरे गए पवित्र बौद्ध मंत्र 'ओम मणि पद्मे हम' को हटाकर वहां चीनी झंडा लगाया गया है. यही नहीं, तिब्बती खानाबदोशों को पारंपरिक मणि प्रार्थना ध्वज हटाने के लिए मजबूर किया गया और उनकी जगह चीनी झंडे लगाने को कहा गया. इसके साथ ही लोगों को राजनीतिक 'री-एजुकेशन' यानी वैचारिक प्रशिक्षण सत्रों में भी शामिल किया गया.

श्रीलंका के प्रमुख मीडिया संस्थान सीलोन वायर न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत में सांस्कृतिक दमन हाल के वर्षों में और खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. हाल ही में चीनी अधिकारियों ने आग लगने के खतरे का हवाला देते हुए पारंपरिक प्रार्थना ध्वज जला दिए. स्थानीय लोगों ने इसे तिब्बती धार्मिक परंपराओं को मिटाने की बीजिंग की मुहिम का नया और गंभीर कदम बताया है.

मणि प्रार्थना ध्वज और प्रार्थना चक्रों को हटाया या तोड़ा 

रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले कुछ वर्षों में कई बार मणि प्रार्थना ध्वज और प्रार्थना चक्रों को हटाया गया या तोड़ा गया. ये कार्रवाइयां बिना किसी ठोस या तार्किक कारण के की गईं. इसी दौरान जब तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का 90वां जन्मदिन मनाया जा रहा था, तब चीनी प्रशासन ने तिब्बत में आवाजाही और धार्मिक गतिविधियों पर कड़ी पाबंदियां लगा दीं.

रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग बीजिंग के तथाकथित 'री-एजुकेशन प्रोग्राम' का हिस्सा बनने से इनकार करते हैं, उन्हें झूठे आरोपों में हिरासत, लंबी कैद और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है.

इटली के धर्म समाजशास्त्री मास्सिमो इंट्रोविग्ने ने इन घटनाओं को अपमान और पवित्रता का हनन बताया. उन्होंने कहा कि सीसीपी तिब्बती धर्म और संस्कृति को खत्म कर उसकी एक बनावटी, पर्यटकों के लिए बनाई गई डिज्नी जैसी छवि छोड़ना चाहती है. उनके मुताबिक, यह प्रक्रिया दशकों से चल रही है, लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौर में और तेज हो गई है.

खाम प्रांत में 300 बौद्ध स्तूपों को तोड़ दिया गया: रिपोर्ट

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2025 के मध्य में तिब्बत के खाम प्रांत में करीब 300 बौद्ध स्तूपों को तोड़ दिया गया. सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) ने इसे सांस्कृतिक तोड़फोड़ का खुला कृत्य बताया है, जिसने दुनियाभर के तिब्बतियों को गहरा आघात पहुंचाया है.

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सीटीए का कहना है कि चीनी अधिकारी इन ध्वंस कार्रवाइयों को सरकारी जमीन और नियमों के उल्लंघन का बहाना बनाकर सही ठहराते हैं, लेकिन पवित्र स्तूपों का मलबा पूरी तरह हटा दिया गया है, जिससे सदियों पुरानी आस्था के निशान भी मिट गए हैं.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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