चीन के पहले स्वदेशी विमानवाहक जंगी पोत Shandong में ऐसा क्या खास, हांगकांग में देखने उमड़ पड़ी भीड़

चीन का पहला स्वदेशी विमानवाहक जंगी पोत शानदोंग (the Shandong) न सिर्फ चीन की ताकत बल्कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षाओं का भी प्रतीक है. आइए समझते हैं यह विमानवाहक जंगी पोत इतना खास क्यों है.

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  • चीन का विमानवाहक पोत शानदोंग पहली बार हांगकांग की समुद्री सीमा में पहुंचा है.
  • यह जहाज चीन की सैन्य शक्ति और राष्ट्रपति जिनपिंग की महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है.
  • चीन का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत शानदोंग अत्याधुनिक तकनीक से लैस है.
  • यह पोत 315 मीटर लंबा और लगभग 70,000 टन वजनी है, जिस पर 44 विमान तैनात हैं.
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नई दिल्ली:

चीन का विमानवाहक जंगी पोत शानदोंग (the Shandong) पहली बार हांगकांग की समुद्री सीमा में पहुंचा तो उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. समुद्र के किनारे से लेकर ऊंची जगहों से लोग कैमरे और दूरबीन लेकर इसे निहारते रहे. ये विशालकाय जहाज चीन का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत हैं. इसकी हांगकांग यात्रा सैन्य लिहाज से भी काफी अहम है. इसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक बड़े सैन्य प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है. आइए समझते हैं यह विमानवाहक जंगी पोत इतना खास क्यों है? इसका हांगकांग के समुद्र में उतरना इतना अहम क्यों है?

चीनी सैन्य शक्ति का प्रतीक

शानदोंग न सिर्फ चीन की सैन्य ताकत बल्कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षाओं का भी प्रतीक है. शानदोंग चीन में बना पहला विमानवाहक पोत है. इसका डिजाइन, निर्माण पूरी तरह से चीन में हुआ है. इसका डिज़ाइन सोवियत मूल के लियाओनिंग पोत से प्रेरित है. लेकिन इसमें बड़ा हैंगर, बड़ा उड़ान डेक, विमानों की ज्यादा क्षमता और बेहतर ऑपरेशनल क्षमता जैसे कई सुधार किए गए हैं. शानदोंग नाम से चीन के पूर्व में एक प्रांत भी है.

शानदोंग चीन की नौसेना के विस्तार और ब्लू-वाटर नेवी (महासागरीय नौसेना) बनने की महत्वाकांक्षा का नमूना है. शानदोंग  का पांच दिन का हांगकांग दौरा चीन की सैन्य रणनीतिक का एक हिस्सा है. इसके जरिए चीन ने न सिर्फ अपनी जनता बल्कि हांगकांग और दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का एहसास करा रहा है. 

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शानदोंग की खासियतें 

  • लंबाई: 315 मीटर (लगभग 1,000 फीट).  
  • ऊंचाई: 20 मंजिल के बराबर.  
  • वजन: लगभग 70,000 टन .  
  • डेक: इसका उड़ान डेक दो फुटबॉल मैदान जितना बड़ा है.  
  • केबिन: इसमें 3,000 से अधिक केबिन हैं.  
  • विमान : 44 विमान जिसमें जे-15 फाइटर जेट, जेड-18 हेलीकॉप्टर आदि तैनात हैं.  
  • स्की-जंप डेक: शिप पर एक खास स्की-जंप रैंप है, जो विमान उड़ने में मदद करता है.

शानदोंग  पर जे-15टी (कैटापल्ट सक्षम) और जे-15डी (इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में सक्षम) जैसे एडवांस विमान तैनात रहते हैं. इसके अलावा दो जेड-9 और दो जेड-18 हेलीकॉप्टर भी तैनात हैं जो युद्ध और अन्य सहायक कार्यों में मदद करते हैं. यह पोत पारंपरिक ईंधन (कन्वेंशनल पावर) से चलता है जो इसे लंबी दूरी की यात्राओं के लिए उपयुक्त बनाता है. इसे 2019 में कमीशन किया गया था.

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Photo Credit: AFP

शानदोंग  के साथ तीन अन्य जहाज भी हांगकांग पहुंचे हैं. इनमें से एक झांजियांग जहाज स्वदेश में डिज़ाइन किया गया मिसाइल डेस्ट्रॉयर है. यानान 13 हजार टन से अधिक विस्थापन वाला टाइप 055 गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर है जिसमें 112 वर्टिकल लॉन्च सेल हैं. तीसरा जहाज  युनचेंग है, जो कि एक मिसाइल फ्रिगेट है. .

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मिनटों में बिक गए सैर के टिकट

हांगकांग में शानदोंग के लिए विशेष स्वागत समारोह आयोजित किया गया. जहाज के कुछ हिस्सों की टिकट लगाकर लोगों को सैर कराई गई. इसकी इतनी डिमांड थी कि मिनटों में ही सारे टिकट बिक गए. चीन के सैन्य सोशल मीडिया अकाउंट चाइना ब्यूगल ने शानदोंग के हांगकांग पहुंचने का लाइव टेलिकास्ट किया. इसे 1.5 करोड़ से अधिक लोगों ने देखा. पहली बार लोगों को विमानवाहक पोत के ब्रिज से लाइव टेलिकास्ट देखने को मिला.  

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चीन के पास दूसरी सबसे बड़ी नेवी

चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, चीन के पास 370 से अधिक जहाज और पनडुब्बियां हैं. शानदोंग और लियाओनिंग जैसे विमानवाहक जंगी पोत उसकी नौसेना की रीढ़ हैं. चीन एक तीसरा एडवांस विमानवाहक पोत भी बना रहा है. फिलहाल इसके समुद्री परीक्षण चल रहे हैं. 

शानदोंग का हांगकांग पहुंचना क्यों अहम?

चीनी नौसेना द्वारा शानदोंग जैसे जहाजों का शक्ति प्रदर्शन अमेरिका और जापान ऑस्ट्रेलिया जैसे उसके सहयोगियों के लिए एक चुनौती की तरह है. हांगकांगमें पहले अमेरिकी नेवी के जहाजों का स्वागत होता था लेकिन हाल के वर्षों में भू-राजनीतिक तनाव के कारण ये दौरे बंद हो गए हैं.

शानदोंग का हांगकांगदौरा बदलते समीकरण को दर्शाता है. शानदोंग ने हाल ही में पश्चिमी प्रशांत महासागर में लियाओनिंग के साथ पहली बार दोहरे विमानवाहक युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया था. अप्रैल में यह फिलीपींस की समुद्री सीमा में देखा गया था. इसकी वजह से दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तनाव भी पैदा हो गया था. 

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