चीन-पाकिस्तान में बढ़े परमाणु हथियार, जानें - भारत, रूस सहित किस मुल्क के कितने न्यूक्लियर हथियार बढ़े

SIPRI के निदेशक डैन स्मिथ का कहना है, "स्टॉकपाइल वे परमाणु हथियार हैं, जो इस्तेमाल के लिए तैयार हैं, और यह तादाद बढ़ने लगी है..." उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ोतरी का बड़ा हिस्सा चीन से था, जिसके स्टॉकपाइल में 350 से 410 हथियार हो गए.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
सैन्य परेड के दौरान चीन ने डीएफ़-41 परमाणु-सक्षम इंटर-कॉन्टिनेन्टल बैलिस्टिक मिसाइल प्रदर्शित की... (फाइल फोटो)
स्टॉकहोम (स्वीडन):

दुनियाभर में भू-राजनैतिक तनाव बढ़ने के साथ-साथ पिछले साल के दौरान कई देशों के, खासतौर से चीन के, परमाणु आयुधों में बढ़ोतरी हुई, और अन्य परमाणु ताकतों ने अपने हथियारों का आधुनिकीकरण जारी रखा. यह जानकारी सोमवार को शोधकर्ताओं ने दी है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के निदेशक डैन स्मिथ ने समाचार एजेंसी AFP से बातचीत में कहा, "हम उस वक्त के नज़दीक पहुंच गए हैं, या संभवतः वहां तक पहुंच चुके हैं, जब लम्बे अरसे से दुनियाभर में परमाणु हथियारों की तादाद कम हो रही थी..."

SIPRI के मुताबिक, नौ परमाणु शक्तियों - ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, इस्राइल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका - के पास परमाणु हथियारों की कुल तादाद वर्ष 2023 की शुरुआत में 12,512 रह गई थी, जबकि 2022 की शुरुआत में यह 12,710 थी. इनमें से 9,576 हथियार 'संभावित इस्तेमाल के लिए सैन्य भंडार' में शामिल थे, जो एक साल पहले की तुलना में 86 अधिक थे.

SIPRI विभिन्न देशों के पास इस्तेमाल के लिए रखे गए हथियारों (स्टॉकपाइल) और उनके कुल भंडार के बीच अंतर करके देखता है. कुल भंडार में वे पुराने हथियार भी गिने जाते हैं, जिन्हें नष्ट करना तय किया जा चुका है.

डैन स्मिथ का कहना है, "स्टॉकपाइल वे परमाणु हथियार हैं, जो इस्तेमाल के लिए तैयार हैं, और यह तादाद बढ़ने लगी है..." उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि यह तादाद 1980 के दशक के दौरान दर्ज की गई 70,000 से ज़्यादा की तादाद से काफ़ी दूर है.

इस बढ़ोतरी का बड़ा हिस्सा चीन से था, जिसके स्टॉकपाइल में 350 से 410 हथियार हो गए.

भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने भी अपने स्टॉकपाइल में बढ़ोतरी की, और रूस में स्टॉकपाइल 4,477 से बढ़कर 4,489 हो गया, जबकि शेष परमाणु शक्तियों ने अपने स्टॉकपाइल के आकार को पहले की तादाद पर ही बरकरार रखा.

Advertisement

रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास कुल मिलाकर अब भी दुनियाभर के सभी परमाणु हथियारों का लगभग 90 फ़ीसदी हिस्सा है.

स्मिथ के अनुसार, "मोटे तौर पर देखें तो 30 साल से भी ज़्यादा वक्त से हम परमाणु हथियारों की तादाद में कमी देख रहे थे, और अब हम उस प्रक्रिया को खत्म होते हुए देख रहे हैं..."

Advertisement

बढ़ोतरी कर रहा है चीन...
SIPRI शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया है कि यूक्रेन पर रूस द्वारा किए गए हमले के बाद परमाणु हथियारों के नियंत्रण और निरस्त्रीकरण पर राजनयिक प्रयासों को झटका लगा. उदाहरण के लिए, हमले के मद्देनज़र USA ने रूस के साथ अपनी 'द्विपक्षीय रणनीतिक स्थिरता वार्ता' को निलंबित कर दिया था.

फरवरी में रूस ने घोषणा की कि वह 2010 की उस संधि में भागीदारी को निलंबित कर रहा है, जो रणनीतिक रूप से आक्रामक हथियारों को सामित करने तथा घटाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर थी.

Advertisement

SIPRI ने एक बयान में कहा कि "परमाणु हथियार नियंत्रण के ज़रिये रूसी और अमेरिकी सामरिक परमाणु बलों को सीमित करने वाली यह आखिरी संधि थी..."

साथ ही, स्मिथ ने यह भी कहा कि स्टॉकपाइल में बढ़ोतरी को यूक्रेन युद्ध के साथ नहीं जोड़ा जा सकता, क्योंकि नए हथियार विकसित करने में ज़्यादा वक्त लगता है और यह भी अहम है कि स्टॉकपाइल में बढ़ोतरी का बड़ा हिस्सा उन मुल्कों का रहा, जो युद्ध से सीधे-सीधे प्रभावित नहीं थे.

Advertisement

चीन ने अपनी सेना के सभी हिस्सों में भी भारी रकम लगाई है, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था और प्रभाव में वृद्धि हुई है. स्मिथ ने कहा, "हम देख रहे हैं कि चीन वैश्विक ताकत के रूप में बढ़ रहा है, और यह हमारे वक्त की असलियत है..."

Featured Video Of The Day
Justice BV Nagarathna ने सुनाई 2 वकीलों की रोचक कहानी, एक बने राष्ट्रपति तो दूसरे CJI | EXCLUSIVE
Topics mentioned in this article