- पेंटागन की रिपोर्ट की मानें तो चीन 2027 तक ताइवान पर सैन्य नियंत्रण स्थापित करने के लिए तैयारी कर रहा है
- चीन अमेरिका को सबसे बड़ा दुश्मन मानते हुए ताइवान पर दबाव बनाने के लिए सैन्य व कूटनीतिक गतिविधियां बढ़ा रहा है
- साल 2024 में ताइवान के हवाई क्षेत्र में चीन की घुसपैठ पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी हो चुकी हैं
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ताजा रिपोर्ट में ताइवान को लेकर चीन के खतरनाक इरादों का आकलन किया गया है. पेंटागन की इस रिपोर्ट की मानें तो चीन अपनी सेना को इस तरह तैयार कर रहा है कि वह 2027 तक ताइवान पर सैन्य नियंत्रण हासिल करने का लक्ष्य पूरा कर सके.
अमेरिका को मान रहा सबसे बड़ा दुश्मन
अमेरिकी संसद (कांग्रेस) को सौंपी गई पेंटागन की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन अब सिर्फ ताइवान की आजादी को रोकने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह रणनीतिक और निर्णायक जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है और अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानकर उसे हराने की तैयारी में जुटा हुआ है. चीन अब ताइवान पर निरंतर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है. इसके लिए सैन्य गतिविधियों, कूटनीति, आर्थिक प्रतिबंधों और सूचना युद्ध के जरिए ताइवान को कमजोर में जुट गया है.
ताइवान में हवाई घुसपैठ एक साल में दोगुनी
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में ताइवान के हवाई इलाके में चीन की घुसपैठ पिछले साल के मुकाबले करीब दोगुनी हो चुकी है. चीनी विमानों ने 3 हजार से अधिक बार ताइवान के रक्षा क्षेत्र में घुसपैठ की जबकि उसकी नेवी के जहाज लगभग हर दिन द्वीप के चारों ओर चक्कर काट रहे हैं.
सैन्य अभ्यास में चीनी कोस्ट गार्ड भी शामिल
रिपोर्ट में चीन द्वारा किए गए खासतौर से जॉइंट स्वॉर्ड-2024 जैसे बड़े सैन्य अभ्यासों का भी जिक्र किया गया है. इन युद्धाभ्यासों में पहली बार चीन के कोस्ट गार्ड ने भी सेना के साथ हिस्सा लिया, जो ताइवान की संभावित समुद्री घेराबंदी की तैयारी का संकेत है. इन अभ्यास के दौरान चीन ने हवाई हमलों, सटीक मिसाइल दागने और साइबर वॉर की अपनी क्षमताएं परखीं.
अमेरिकी सैन्य ठिकाने चीनी मिसाइलों की जद में
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की मिसाइलों की मारक क्षमता अब 2 हजार समुद्री मील तक पहुंच गई है, जो इलाके में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं. चीन एआई के अलावा हाइपरसोनिक मिसाइलों, स्पेस सिस्टम्स और साइबर वॉरफेयर में भी अपना विस्तार कर रहा है. रिपोर्ट में चीन के बढ़ते परमाणु भंडार और सैन्य बजट का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के पास इस वक्त 600 से अधिक परमाणु हथियार हैं और 2030 तक इनकी संख्या 1,000 के पार पहुंचने की संभावना है.
हालांकि पेंटागन का यह भी कहना है कि चीन के नेता अभी भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं है कि वह अमेरिकी हस्तक्षेप के बावजूद ताइवान पर कब्जा कर पाएंगे. यही कारण है कि चीन सीधे युद्ध के बजाय ताइवान को घेरकर और दबाव डालकर अपनी शर्तों पर एकीकरण के लिए मजबूर करने की रणनीति अपना रहा है.














