भारत-चीन बॉर्डर पर कठिनाइयां, लेकिन कोई देश जंग नहीं चाहता: चीनी राजनयिक

चीन के प्रभारी मा जिया ने कहा कि सीमा मुद्दे पर किसी समझौते पर पहुंचना आसान नहीं है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति से दोनों पक्षों को रास्ता निकालने में मदद मिल सकती है.

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प्रतीकात्मक फोटो.
बीजिंग:

चीन के प्रभारी मा जिया ने बुधवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के लद्दाख क्षेत्र में स्थिति के कारण भारत-चीन संबंध कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, लेकिन कोई भी पक्ष युद्ध या टकराव नहीं चाहता है. मा जिया ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि जी-20 में यूक्रेन संकट को नहीं उठाने पर चीन और रूस की पेशकश ने समूह में एक विभाजन पैदा कर दिया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चीन के प्रभारी ने कहा कि इस पर “समायोजन तक पहुंचना अधिक कठिन” हो गया है. नवंबर में इंडोनेशिया में जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद से यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है. भारतीय पत्रकारों के एक छोटे समूह के साथ बातचीत में मा जिया ने शुरू में सीमा की स्थिति को “समग्र रूप से स्थिर” बताया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष “सामान्यीकृत प्रबंधन और नियंत्रण” के लिए संक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं. 

मा जिया ने आगे कहा, “हम आश्वस्त हैं क्योंकि… चीन और भारत दोनों में से कोई युद्ध नहीं चाहता. जब तक हमारे पास इस तरह का इरादा और एक-दूसरे की समझ है, तब तक मुझे विश्वास है कि हम कोई रास्ता निकाल सकते हैं." उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दे पर किसी समझौते पर पहुंचना आसान नहीं है, क्योंकि यह ‘बहुत जटिल' है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति से दोनों पक्षों को रास्ता निकालने में मदद मिल सकती है. 

उन्होंने कहा, 'चीन स्थानीय आर्थिक विकास के लिए सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है. सीमावर्ती क्षेत्रों में किसी प्रकार का विवाद या टकराव होता है, तो लोग दोनों ओर से बुनियादी ढांचे के निर्माण पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे.'

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