एआई की मदद से क्या आप मृत व्यक्तियों से बात कर सकते हैं? जानें 'डेथबॉट्स' के कैसे मिले निष्कर्ष

‘मेमोरी, माइंड एंड मीडिया’ में प्रकाशित एक शोध में हाल ही में यह पता लगाया गया कि जब मृतकों को याद रखने का काम किसी एल्गोरिदम पर छोड़ दिया जाता है, तो क्या होता है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • मृतकों की आवाज और कहानियों को संजोने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता AI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है.
  • कुछ चैटबॉट्स प्रियजनों की तरह बात करते हैं और कुछ आपको मर चुके लोगों से 'बात' करने की सुविधा देते हैं.
  • शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रणालियों का परीक्षण किया जिसमें डिजिटल प्रतिरूप बनाकर मृतकों से बातचीत की कोशिश की गई.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
लंदन:

मृतकों की आवाज और कहानियों को संजोने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. कुछ चैटबॉट्स प्रियजनों की तरह बात करते हैं और कुछ 'वॉइस' अवतार आपको मर चुके लोगों से 'बात' करने की सुविधा देते हैं. इस तरह डिजिटल दुनिया में एक नया उद्योग बन रहा है, जो स्मृतियों को जीवंत बनाने और कुछ मामलों में उन्हें सदा के लिए कायम रखने का वादा करता है.

हाल ही में ‘मेमोरी, माइंड एंड मीडिया' में प्रकाशित एक शोध में किंग्‍स कॉलेज लंदन की डॉ. ईवा नीटो मैकएवॉय और कार्डिफ यूनिवर्सिटी की जेनी किड ने यह पता लगाया गया कि जब मृतकों को याद रखने का काम किसी एल्गोरिदम पर छोड़ दिया जाता है, तो क्या होता है. यह जानने के लिए अपने डिजिटल संस्करणों से भी बात करने की कोशिश की. 

इन लिए डिजाइन है ‘‘डेथबॉट्स''

‘‘डेथबॉट्स'' एआई प्रणाली है जिसे मृत व्यक्ति की आवाज, बोलने के तरीके और व्यक्तित्व का अनुकरण करने के लिए डिजाइन किया गया है. ये किसी व्यक्ति की आवाज की रिकॉर्डिंग, पाठ संदेश, ईमेल और सोशल मीडिया पोस्ट का उपयोग करके ऐसे 'इंटरैक्टिव एवटार' बनाते हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वे मृत्यु से परे 'बात' कर रहे हों. 

जैसा कि मीडिया सिद्धांतकार सिमोन नताले ने कहा है, इन 'भ्रम की तकनीक' का आधार अध्यात्मवादी परंपराओं में हैं लेकिन एआई उन्हें कहीं अधिक विश्वसनीय और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाता है. 

‘सिंथेटिक पास्ट्स' नामक परियोजना का हिस्सा

यह काम ‘सिंथेटिक पास्ट्स' नामक एक परियोजना का हिस्सा है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक स्मृति के संरक्षण पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव का अध्ययन करती है. उन्‍होंने अपने अध्ययन के लिए उन सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया जो एआई का उपयोग करके किसी व्यक्ति की आवाज, यादों या डिजिटल उपस्थिति को संरक्षित या पुनर्निर्मित करने का दावा करती हैं. 

यह समझने के लिए कि वे कैसे काम करते हैं, उन्‍होंने खुद ही परीक्षण किए गए. वीडियो, संदेश और वॉइस नोट्स अपलोड किए और अपने 'डिजिटल प्रतिरूप' बनाए. 

Advertisement

कुछ मामलों में उन्‍होंने अपने स्वयं के कृत्रिम परलोक तैयार करने वाले उपयोगकर्ताओं की भूमिका निभाई कुछ मामलों में, शोक संतप्त व्यक्ति की भूमिका निभाई जिसने किसी दिवंगत व्यक्ति के डिजिटल संस्करण से बात करने की कोशिश की. 

परेशान करने वाले निष्‍कर्ष आए सामने 

इसमें जो सामने आया वह दिलचस्प भी था और परेशान करने वाला भी. कुछ प्रणालियां स्मृति को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं. वे उपयोगकर्ताओं को व्यक्तिगत कहानियों को रिकॉर्ड करने और संग्रहीत करने में मदद करती हैं, जिन्हें विषय के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है, जैसे बचपन, परिवार या प्रियजनों के लिए सलाह. फिर एआई सामग्री को अनुक्रमित करता है और लोगों को एक खोज योग्य संग्रह में मार्गदर्शन करता है. 

Advertisement

अन्य प्रणालियां निरंतर संवाद बनाने के लिए जनरेटिव एआई का उपयोग करती हैं. आप किसी मृत व्यक्ति के बारे में डेटा अपलोड करते हैं - संदेश, पोस्ट, यहां तक कि आवाज के नमूने भी और सिस्टम एक चैटबॉट बनाता है जो उनके लहजे और शैली में प्रतिक्रिया दे सकता है. यह अपने एवटार को समय के साथ विकसित करने के लिए एआई के एक उपसमूह का उपयोग करता है जिसे मशीन लर्निंग कहा जाता है (जो अभ्यास के माध्यम से बेहतर होता है). 

इन प्रणालियों द्वारा संकेत दिए जाने पर अपने बारे में और जानकारी दी गई, लेकिन बॉट ने वही वाक्यांश दोहराए जो कठोर, लिखित उत्तरों में इस्तेमाल किए थे. कई बार, लहजा असंगत था, जैसे कि मृत्यु पर चर्चा करते समय भी जब खुशी भरे इमोजी या उत्साहपूर्ण वाक्यांश दिखाई देते थे - यह स्पष्ट रूप से याद दिलाता है कि एल्गोरिदम क्षति के भावनात्मक भार को संभालने में कमज़ोर हैं. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Chirag Paswan EXCLUSIVE: Bihar Elections 1st Phase Voting के बाद क्या बोले चिराग पासवान?
Topics mentioned in this article