भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटिश व्यक्ति ने याचिका में आत्महत्या के खतरे का हवाला दिया

न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन के समक्ष मनोचिकित्सक डॉ एंड्रयू फार्रेस्टर और कारागार मामलों की विशेषज्ञ एलेन मिशेल के हवाले से फ्लेचर मामले में उसके गंभीर मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अवगत कराया गया.

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लंदन हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
लंदन:

ब्रिटेन के एक निवासी ने भारत प्रर्त्यपित किए जाने के खिलाफ यहां उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर गंभीर मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर ऐसा नहीं करने की गुहार लगाई. अपीलकर्ता आइवर फ्लेचर को अप्रैल 2002 में 10 किलोग्राम चरस रखने का दोषी करार देते हुए भारत में दस वर्ष की सजा सुनाई गई थी और भारत में वांछित है. न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन के समक्ष मनोचिकित्सक डॉ एंड्रयू फार्रेस्टर और कारागार मामलों की विशेषज्ञ एलेन मिशेल के हवाले से फ्लेचर मामले में उसके गंभीर मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अवगत कराया गया.

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फ्लेचर के वकील बेन कीथ ने दलील देते हुए कहा, “फ्लेचर लंबे समय से गंभीर मानसिक स्वास्थ्य की दिक्कतों से पीड़ित है. मनोचिकित्सक फार्रेस्टर के मुताबिक, फ्लेचर आत्महत्या के उच्च जोखिम की श्रेणी में है और अगर प्रत्यर्पण किया जाता है तो उसके द्वारा आत्महत्या किए जाने की प्रबंल आंशका है.” वहीं, भारतीय अधिकारियों की ओर से पेश वकील जेम्स स्टेन्सफैल्ड ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि भारत सरकार ने इस मामले में आरोपी के लिए पर्याप्त चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है. दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद न्यायाधीश अगली तारीख को फैसला सुना सकते हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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