ब्रिटेन में थम नहीं रहे दंगे, मस्जिद समेत कई जगह तोड़फोड़, जानिए अपडेट

UK Violence: ब्रिटेन पिछले एक हफ्ते से हिंसा की आग में झुलस रहा है. दक्षिणपंथियों ने कई कस्बों और शहरों को निशाना बना रहे हैं. दरअसल साउथ पोर्ट में 29 जुलाई को टेलर स्विफ़्ट की थीम डांस पार्टी में 3 छोटी बच्चियों की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई.

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दिल्ली:

ब्रिटेन इन दिनों हिंसा (Britain Riots) की आग में जल रहा है. सोशल मीडिया पर फैली एक अफवाह ने ब्रिटेन को हिंसा की आग में झोंक दिया है. दक्षिणपंथी गुट जमकर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं. लंदन और मेनचेस्टर समेत ब्रिटेन के 20 से ज्यादा शहरों में उग्र विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर है. ये लोग अवैध अप्रवासियों और शरणार्थियों का विरोध कर रहे हैं. दंगों के मामले में अब तक करीब 400 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दंगाई मस्जिदों समेत अन्य जगहों को भी जमकर निशाना (Britain Mosque Attack) बना रहे हैं. पूर्वी इंग्लैंड में चाकू हमले में मारी गईं तीन बच्चियों की स्मृति सभा के समय भी धुर-दक्षिणपंथी लोगों के समूह ने एक मस्जिद को निशाना बनाया था. 

दंगाई अप्रवासी विरोधी नारे लगाते हुए शरणार्थियों के आवास वाली मस्जिदों और होटलों पर भी हमले कर रहे हैं. इन हालातों से निपटने के लिए ब्रिटेन पुलिस पूरी तरह से तैयार है. दरअसल, स्टैंड अप टू रेसिज्म ने ब्रिटेनवासियों से "आव्रजन वकीलों, रिफ्यूजी चेरिटीज और असायलम सपोर्ट सेंटर्स को निशाना बनाने के लिए जुटने" का आह्वान किया है. आव्रजन विरोधी प्रदर्शनों से निपटने के लिए हजारों पुलिसकर्मियों को तैयार रखा गया है, जिनमें खास ट्रेनिंग लिए हुए पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. 

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क्यों हो रहे मस्जिदों पर हमले?

एक हफ्ते पहले सोशल मीडिया पर फैली अफवाह की वजह से भड़के प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटेन के एक शहर की मस्जिद पर हमला बोल दिया. मस्जिद पर बोतलों, पत्थरों और पटाखों के जरिए हमला किया गया. इतना ही नहीं पुलिस की गाड़ियों को भी फूंक दिया गया. प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है. ब्रिटिश अख़बार 'गार्डियन' ने 'टेल मामा' के एक विश्लेषण के हवाले से लिखा कि पिछले एक हफ्ते में मुस्लिमों को मिलने वाली धमकियों में पांच गुना बढ़ोत्तरी हुई है. 

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क्या है टेल मामा?

टेल मामा एक मॉनिटरिंग ग्रुप है, जो मुस्लिम विरोधी हेट क्राइम को ट्रैक करता है. इसका कहना है कि मुस्लिमों के बढ़ते डर का इस विरोध प्रदर्शन से सीधा संबंध है. इस मॉनटरिंग ग्रुप के मुताबिक, लीवरपूल, साउथपोर्ट और हार्टेलपूल में करीब 10 मस्जिदों पर हमले किए गए हैं. 

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इमिग्रेशन लॉयर्स और सर्विसेज की सुरक्षा पर खास फोकस

उग्र प्रदर्शनकारी आव्रजन वकीलों और उनके कार्यालयों को भी निशाना बना रहे हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर ने मंगलवार शाम मंत्रियों, पुलिस प्रमुखों और सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ दूसरी आपातकालीन ‘कोबरा' बैठक की अध्यक्षता की, ताकि दंगों पर लगाम कसने के लिए विस्तृत रणनीति तैयार की जा सके. 

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कैसी है ब्रिटेन की तैयारी?

  • ब्रिटेन पुलिस दंगाइयों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
  • पुलिस को शक है कि ये दंगाई UK के आसपास 30 जगहों को निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं. 
  • लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस सेवा के चीफ ने बताया कि अधिकारियों का इमिग्रेशन लॉयर्स और सर्विसेज की सुरक्षा पर खास फोकस हैं.
  • हजारों पुलिसकर्मियों को पहले से ही तैनात किया गया है. इसके अलावा 1,300 स्पेशलिस्ट फोर्सेज लंदन में किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं.
  • कमिश्नर मार्क रोवले ने कहा, "हम उन लोगों की रक्षा करेंगे, किसी भी क्षेत्र में हिंसा पूरी तरह से अस्वीकार्य है, हम इमिग्रेशन सिस्टम को डर के साये में नहीं रहने देंगे. 

ब्रिटेन में क्यों हो रही हिंसा?

ब्रिटेन पिछले एक हफ्ते से हिंसा की आग में झुलस रहा है. दक्षिणपंथियों मे कई कस्बों और शहरों को निशाना बनाया है. दरअसल, साउथ पोर्ट में 29 जुलाई को टेलर स्विफ़्ट की थीम डांस पार्टी में 3 छोटी बच्चियों की चाकू मारकर हत्या कर दी गई. इन हमलों में 8 अन्य बच्चे भी घायल हो गए. दो अन्य लोग भी बुरी तरह से घायल हुए थे. इस घटना के बाद ये अफवाह फैल गई कि हमलावर राजनीतित शरण मांगने वाला मुस्लिम था, जो वोट के जरिए ब्रिटेन पहुंचा था. संदिग्ध हमलावर का नाम एक्सेल रुदाकुबाना है, जिसकी उम्र 17 साल है. बस तभी से ब्रिटेन में अप्रवास और शरणार्थियों के खिलाफ दंगे शुरू हो गए.

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अफवाह की वजह से अप्रवासी विरोधियों के एक गुट ने एक होटल पर हमला बोल दिया, यह वह जगह थी, जहां पर राजनीतिक शरण मांगने वालों लोगों को रखा जाता है. इसके साथ ही ब्रिटेन के हल, ब्रिस्टल, मैनचेस्टर, लीवरपूल, ब्लैकपूल में हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया. 

अप्रवासियों के खिलाफ गुस्सा क्यों?

ब्रिटेन में अप्रवासियों की बढ़ती आबादी राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. ब्रिटेन के लोगों को लगता है कि बाहरी लोगों की बढ़ती आबादी की वजह से उनके देश की शिक्षा व्यवस्था, हाउसिंग और सरकार की तरफ से चलाई जा रही हेल्थ सर्विसेज पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है, जिससे उनको दिक्कत हो रही है. ब्रिटेन के लोगों को लगता है कि वहां की नौकरी पर भी अप्रवासी अपना कब्जा जमा रहे हैं, इसीलिए उनका गुस्सा फूट पड़ा है. 

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