भारतीय वैक्सीन डील पर ब्राजील के राष्ट्रपति विवादों में घिरे

ब्राजील में भारतीय वैक्सीन को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है. इस विषय पर संदेह उस वक्त पैदा हुआ जब 45 मिलियन डॉलर का एक चालान सामने आया जोकि सिंगापुर द्वारा भेजा उन भारतीय कोविड-19 वैक्सीन के लिए भेजा गया था. जो अभी तक ब्राजील पहुंची नहीं हैं.

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ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो (फाइल फोटो)
रियो डी जिनेरियो, ब्राजील:

ब्राजील में भारतीय वैक्सीन को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है. इस विषय पर संदेह उस वक्त पैदा हुआ जब 45 मिलियन डॉलर का एक चालान सामने आया जोकि सिंगापुर द्वारा भेजा उन भारतीय कोविड-19 वैक्सीन के लिए भेजा गया था. जो अभी तक ब्राजील पहुंची नहीं हैं. भारत बायोटेक के कोवैक्सिन की 30 लाख खुराक के भुगतान का अनुरोध 18 मार्च को ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय में चिकित्सा आयात के प्रमुख लुइस रिकार्डो मिरांडा की टेबल पर आया. मिरांडा के अनुसार उन्हें इसमें कई खामियां दिखाई दे रही थीं. उन्होंने शुक्रवार को एक सीनेट पैनल के सामने गवाही दी, जोकि सरकार द्वारा महामारी से निपटने की जांच कर रहा है. ब्राजील में कोरोना के कारण पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जोकि विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है. 

यह कुछ अजीब मालूम पड़ रहा था कि ब्राजील सिर्फ कोवैक्सीन खरीद रहा है. जबकि राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने कोविड-19 पर विशेषज्ञों की सलाह की धज्जियां उड़ाते हुए सस्ते और अधिक प्रभावी टीकों के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. मिरांडा को जो बात परेशान कर रही थी वह थी कोवैक्सीन का ब्राजील के साथ 300 मिलियन डॉलर का अनुबंध, जिसमें उस कंपनी का जिक्र नहीं था जिसने चालान भेजा था. यह चालान मैडिसन बायोटेक द्वारा भेजा गया था जोकि एक शेल कंपनी मालूम पड़ रही है. मजे की बात यह है कि जिस टीके के अनुबंध पर यह बवाल मचा है, वह न तो यहां पहुंचा है और न ही ब्राजील के नियमाकों ने इसके इस्तेमाल की अनुमति दी है. 

क्या है मामला
ब्राजील का संघीय अभियोजक कार्यालय भारतीय कंपनी ‘भारत बायोटेक' द्वारा निर्मित कोवैक्सीन टीके की दो करोड़ खुराक खरीदने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से किए गए अनुबंध में संभावित अनियमितताओं की जांच कर रहा है. समझौते के तहत मंत्रालय को ब्राजील में भारत बायोटेक के प्रतिनिधि प्रेसिसा मेडिकैमेंटोस को टीके की हर खुराक के लिए 15 डॉलर की कीमत चुकाने के अनुसार 32 करोड़ डॉलर का भुगतान करना होगा। इस समझौते पर फरवरी में हस्ताक्षर किए गए थे. दस्तावेज के मुताबिक यह प्रति खुराक कीमत अन्य कोविड-19 टीकों की तुलना में अधिक है। इसके अलावा मंत्रालय के अधिकारियों ने संघीय सरकार के साथ पिछले अनुबंधों में प्रेसिसा सहयोगियों द्वारा की गई कथित अनियमितताओं की अनदेखी की। इन बातों ने अभियोजकों का ध्यान खींचा. 
 

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