भारत की अपनी यात्रा से रविवार को स्वदेश लौटे नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सीमा संबंधी मामलों पर चर्चा की और दोनों नेताओं ने मौजूदा तंत्र, वार्ता एवं कूटनीति के जरिए इन मामलों को सुलझाने पर सहमति जताई. दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच निकट पड़ोसियों वाले संबंधों के विभिन्न अहम पहलुओं पर शनिवार को नयी दिल्ली में विस्तार से वार्ता की. देउबा प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ तीन दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को नयी दिल्ली पहुंचे थे.
प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘द्विपक्षीय वार्ता और विचारों का आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में फलदायी रहा.'' खड़का ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत नेपाल के विकास के लिए हमेशा सोचता है और उन्होंने काठमांडू को उसके प्राथमिकी वाले क्षेत्रों में नयी दिल्ली से दी जाने वाली सहायता जारी रखने का भरोसा दिया. उन्होंने कहा, ‘‘वार्ता के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने सीमा संबंधी मामलों पर चर्चा की और दोनों नेताओं ने इस प्रकार के मामलों से मौजूदा तंत्र, वार्ता एवं कूटनीति के जरिए निपटने पर सहमति जताई.''
देउबा ने मोदी से एक द्विपक्षीय तंत्र की स्थापना के जरिए सीमा संबंधी मामलों को सुलझाने की शनिवार को सार्वजनिक रूप से अपील की थी. ऐसे में खड़का का यह बयान महत्व रखता है. कुछ घंटे बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि सामान्य समझ यह थी कि मुद्दे का समाधान बातचीत के माध्यम से जिम्मेदार तरीके से करने की जरूरत है और इसके ‘‘राजनीतिकरण'' से बचना चाहिए. श्रृंगला ने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर संक्षेप में चर्चा हुई. एक सामान्य समझ थी कि दोनों पक्षों को हमारे करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना के साथ चर्चा और बातचीत के माध्यम से इसका जिम्मेदार तरीके से समाधान करने की जरूरत है और ऐसे मुद्दों के राजनीतिकरण से बचना चाहिए.''
सीमा मुद्दे के राजनीतिकरण से बचने की आवश्यकता पर श्रृंगला की टिप्पणी महत्व रखती है क्योंकि 2020 में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने बढ़ते घरेलू दबाव और उनके नेतृत्व को उत्पन्न चुनौती से मुकाबले के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करने का प्रयास किया था. नेपाल द्वारा 2020 में एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित किए जाने के बाद भारत और नेपाल के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था, जिसमें तीन भारतीय क्षेत्रों - लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख - को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था.
खड़का ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, व्यापार और सीमा पार पारेषण लाइन के क्षेत्र में सहयोग, रेलवे लाइन निर्माण के माध्यम से सीमा पार संपर्क बढ़ाने, एकीकृत जांच चौकी के निर्माण और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने जैसे मामलों पर मुख्य रूप से चर्चा हुई. खड़का ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री देउबा ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने आपसी हितों को बढ़ावा देने एवं द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.''
देउबा ने भारतीय व्यापार जगत के दिग्गजों से भी आर्थिक समृद्धि के लिए नेपाल में निवेश करने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि नेपाल सरकार देश में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कानूनी और नीति स्तर के सुधार लाने के लिए प्रयासरत है. मंत्री ने कहा, ‘‘इस यात्रा के दौरान नेपाली और भारतीय कारोबार जगत के लोगों को संवाद करने और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर भी मिला.'' खड़का ने कहा, ‘‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि प्रधानमंत्री देउबा ने प्रधानमंत्री मोदी और दिल्ली में अन्य नेताओं एवं उच्च अधिकारियों के साथ जो उच्चस्तरीय वार्ता की, उससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग एवं समझ को और मजबूत करने में मदद मिली.''
प्रधानमंत्री देउबा ने प्रधानमंत्री मोदी को नेपाल आने का निमंत्रण दिया, जिसके जवाब में भारतीय नेता ने नेपाल की अपनी पिछली यात्राओं को याद किया और उचित समय पर फिर से यात्रा करने का आश्वासन दिया. काठमांडू में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद पिछले साल जुलाई में पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने के बाद देउबा की यह पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा थी. प्रधानमंत्री के रूप में अपने हर कार्यकाल में देउबा भारत की यात्रा कर चुके हैं. इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में 2017 में भारत की यात्रा की थी.
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