हत्या, साजिश और खामोशी... बांग्लादेश में हिंदू नेताओं के मर्डर पर यूनुस चुप, भारत ने सख्ती के दिए संकेत

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे अत्याचार और भबेश रॉय की हत्या इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री की कूटनीतिक पहल निष्फल रही है. पिछले दो महीनों में हिंदू समुदाय पर 76 हमले हो चुके हैं, जिनमें 23 लोग मारे गए हैं. ये आंकड़े सरकार के ही संसद में दिए गए उत्तर से लिए गए हैं.

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नई दिल्ली:

उत्तरी बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता भबेश चंद्र रॉय की क्रूरतापूर्ण हत्या ने न केवल बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि भारत-बांग्लादेश के कूटनीतिक रिश्तों में भी तनाव की स्थिति पैदा कर दी है. 58 वर्षीय भाबेश चंद्र रॉय, जो बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष थे, को गुरुवार शाम उनके घर से अगवा कर बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला गया. यह घटना उस समय हुई जब वह दिनाजपुर के बसुदेबपुर गांव स्थित अपने आवास पर थे.

भाबेश की पत्नी शांतना ने बताया कि उन्हें शाम 4:30 बजे एक फोन आया, जिससे संदेह होता है कि यह कॉल उनकी मौजूदगी की पुष्टि के लिए किया गया था. इसके करीब 30 मिनट बाद दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार अज्ञात लोग पहुंचे और उन्हें जबरन अपने साथ ले गए. बाद में उनका शव पास के नाराबारी गांव में बरामद किया गया.

पुलिस ने घटनास्थल की पुष्टि करते हुए बताया कि रॉय को बुरी तरह पीटा गया था और उनकी हत्या के पीछे संगठित साजिश की आशंका है. बिराल थाने के प्रभारी अधिकारी अब्दुस सबूर के अनुसार, मामला दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है.

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घटना पर भारत की तीखी प्रतिक्रिया

इस घटना पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "यह हत्या बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के योजनाबद्ध उत्पीड़न की प्रवृत्ति को दर्शाती है. इससे पहले की घटनाओं के अपराधी अब तक दंड से बचे हुए हैं."

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भारत ने बांग्लादेश सरकार को याद दिलाया कि वह बिना किसी भेदभाव के अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाए. जायसवाल के मुताबिक, "हम इस घटना की निंदा करते हैं और ढाका की अंतरिम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह त्वरित व निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करे."

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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर विफलता का लगाया आरोप

भारत में विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच तक ले जाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया बांग्लादेश यात्रा को विफल करार देते हुए कहा कि

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बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे अत्याचार और भबेश रॉय की हत्या इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री की कूटनीतिक पहल निष्फल रही है. पिछले दो महीनों में हिंदू समुदाय पर 76 हमले हो चुके हैं, जिनमें 23 लोग मारे गए हैं. ये आंकड़े सरकार के ही संसद में दिए गए उत्तर से लिए गए हैं.

-मल्लिकार्जुन खरगे

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी बयान जारी कर कहा, "यह कोई अकेली घटना नहीं है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की श्रृंखला बेहद चिंताजनक है — मंदिरों को अपवित्र करना, व्यवसायों और घरों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं."

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को केवल निंदा नहीं बल्कि सक्रिय कूटनीतिक हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाया जा सके और न्याय सुनिश्चित हो.

विशेषज्ञों का मानना है कि भबेश रॉय की हत्या और इसके बाद उपजे विवाद ने भारत-बांग्लादेश के संबंधों को एक नए तनावपूर्ण मोड़ पर पहुंचा दिया है. शेख हसीना के सत्ता से हटने और मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में बनी अंतरिम सरकार को भारत पहले ही सतर्क निगाहों से देख रहा था.

हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा की लहर

भबेश रॉय की हत्या से बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में गहरा डर बैठ गया है. उनके परिचितों और समर्थकों का कहना है कि रॉय हमेशा सामाजिक सौहार्द और धार्मिक समरसता के पक्षधर रहे हैं. पूजा आयोजनों से लेकर सामाजिक सेवा में उनकी सक्रिय भूमिका उन्हें एक लोकप्रिय जननेता बनाती थी.

बांग्लादेश में इन हिंदुओं नेताओं की भी हो चुकी है हत्या

  • हरधन रॉय (2024): हरधन रॉय रंगपुर सिटी कॉरपोरेशन के वार्ड 4 के पार्षद और अवामी लीग के सदस्य थे. अगस्त 2024 में, शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद शुरू हुई हिंसा के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. यह घटना रंगपुर में हुई, और इसे हिंदू समुदाय के खिलाफ टारगेट अटैक के तौर पर देखा गया.
  • काजल रॉय (2024):काजल रॉय भी रंगपुर के एक हिंदू पार्षद थे. अगस्त 2024 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान उनकी हत्या कर दी गई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्हें भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डाला गया. यह घटना शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अल्पसंख्यकों पर हमलों की लहर के दौरान हुई.
  • प्रणब घोष (2024): प्रणब घोष की हत्या भी 2024 की हिंसा के दौरान हुई. जानकारी के अनुसार इनकी भी हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के कारण हुई है.
  • राजेश्वर दास (2024): राजेश्वर दास को 2024 की हिंसा में मारा गया. उनकी हत्या को हिंदुओं के खिलाफ लक्षित हमलों का हिस्सा माना जाता रहा है.


 

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