पाकिस्तान के जाल में बांग्लादेश? 1971 रिटर्न्स वाली बात क्यों चल रही... समझिए पूरी कहानी

Bangladesh In Trap Of Pakistan And China: पाकिस्तान और चीन के हाथों में बांग्लादेश खुलकर खेलने लगा है. जानिए, इसके मायने भारत के लिए...

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Bangladesh In Trap Of Pakistan And China: बांग्लादेश एक बार फिर गुलाम बनने के रास्ते पर चल पड़ा है.

Bangladesh In Trap Of Pakistan And China: बांग्लादेश अपना इतिहास भूलकर अपने लिए नया जोखिम मोल ले रहा है. आखिर क्यों पाकिस्तानी सेना को बांग्लादेश की फौज ने ट्रेनिंग के लिए बुलाया है? पाकिस्तान के जुल्मो-सितम से तंग होकर बांग्लादेश बना था, लेकिन आज उसे पाकिस्तान ही प्यारा है. और इतना प्यारा है कि बांग्लादेश ने अपनी फौज की ट्रेनिंग का जिम्मा पाकिस्तानी सेना को दे दिया है. जिस पाकिस्तानी सेना की पहचान आतंकवाद बढ़ाने वाली फौज की है, आप ही सोचिए कि वो पाकिस्तानी सेना बांग्लादेश की सेना का क्या हाल करेगी? इसीलिए ये सवाल उठ रहा है कि 53 साल पहले पाकिस्तान के जुल्म के खिलाफ खड़ा होकर बना बांग्लादेश क्या फिर से उसी पाकिस्तान का गुलाम बनने जा रहा है? 

19 दिसंबर को काहिरा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने मुलाकात की. इस गर्मजोशी में वो कूटनीतिक साजिश छुपी थी, जो अब खुलकर सामने आ गई है.
बांग्लादेश ने अपने फौजियों को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तानी आर्मी को बुलाया है. खबर है कि पाकिस्तानी आर्मी के मेजर जनरल रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम बांग्लादेशी आर्मी को ट्रेनिंग देगी. ऐसी खबर है कि ये ट्रेनिंग 2025 के फरवरी से शुरु हो जाएगी और एक साल तक चलेगी. इसके बाद पाकिस्तानी आर्मी बांग्लादेश की आर्मी की सभी दसों कमांड में जाकर ट्रेनिंग देगी. 1971 के बाद ये पहली बार होगा, जब पाकिस्तानी फौज बांग्लादेश की जमीन पर कदम रखेगी.

पाकिस्तान के प्रति बांग्लादेश का ये प्रेम दरअसल शेख हसीना के विरोध में कुछ ज्यादा उमड़ रहा है. बांग्लादेश की सरकार इस वक्त शेख हसीना के विरोध में इस कदर बौखलायी हुई है कि उसको पाकिस्तान के दिए हुए घाव भी याद नहीं हैं. उसको भारत दिख रहा है. बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार भले ही 1971 के पाकिस्तानी अत्याचार को भूल गई हो, लेकिन मानव इतिहास उसको भूल नहीं पाएगा. बांग्लादेश को याद रखना चाहिए कि आज का बांग्लादेश 1971 की शुरुआत में पाकिस्तान का हिस्सा था और इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. 1970 में पाकिस्तान में हुए चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के शेख मुजीबुर्हमान की पार्टी ने जीत हासिल की, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान के नेता और फौजी अधिकारी पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लाभाषी शेख मुजीब को सत्ता सौंपने को हरिगज तैयार नहीं थे.

पश्चिमी पाकिस्तान के फौजियों ने पूर्वी पाकिस्तान की महिलाओं से बलात्कार किया. एक अनुमान के मुताबिक, पूर्वी पाकिस्तान में करीब चार लाख महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था. पूर्वी पाकिस्तान के आम लोग बात बात पर ना सिर्फ मारे पीटे जाते थे, बल्कि उनकी सामूहिक हत्या तक हुई. तब बांग्लादेश से लाखों लोग भारत की तरफ भागने लगे, जिसके लिए पाकिस्तानी फौज ने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. उस वक्त करीब दस लाख लोग भारत चले आए थे. लेकिन शेख मुजीबुर्रहमान पाकिस्तानी फौज के सामने झुके नहीं. उनके संघर्ष और उस संघर्ष को भारत से मिली मदद से पूर्वी पाकिस्तान को आजादी मिली. और 16 दिसंबर, 1971 को बांग्लादेश के रूप में दुनिया के नक्शे पर एक नए देश का उदय हुआ. लेकिन आज बांग्लादेश पर कट्टरपंथियों का दबाव और प्रभाव इतना बढ़ गया है कि उसने आम नागरिकों के दिलो दिमाग में जहर भरना शुरु कर दिया है.

अब सवाल है कि पाकिस्तानी फौज की बांग्लादेश में एंट्री से बांग्लादेश के लिए कैसी मुसीबतें आ सकती हैं? इससे बांग्लादेश फिर से पूर्वी पाकिस्तान जैसी बदहाली वाली स्थिति की तरफ जा सकता है. बांग्लादेश के विकास पर पाकिस्तानी शह पर पलने वाले आतंकवादियों का कब्जा हो सकता है और बांग्लादेश में लोकतंत्र का चिराग बुझ सकता है. खबरों के मुताबिक, बांग्लादेश अब पाकिस्तान से गोले बारूद भी मंगवाने लगा है. सितंबर से दिसंबर के बीच ही 40 हजार कारतूस बांग्लादेश में पहुंचे. इसके अलावा 40 टन से ज्यादा आरडीएक्स भी पहुंच चुका है. इतना ही नहीं अगले साल फरवरी में कराची में दोनों देशों की नौसेना संयुक्त युद्धाभ्यास भी करने वाली है. 

एक तरफ ढाका और इस्लामाबाद के बीच सीधी विमान सेवा का एलान हो चुका है तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा में ढील दी गई है. अभी तो सब कुछ सुहाना दिख रहा है, लेकिन आईएसआई के दखल का असर जब होगा, तो शायद तब तक बांग्लादेश के लिए काफी देर हो चुकी होगी.

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद अब ये दिखने लगा है कि बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, वो एक बड़ी साजिश के तहत हुआ. मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाले बांग्लादेश का रुख पाकिस्तान और चीन की तरफ ज्यादा दिखता है. बांग्लादेश में कल ही उस रेल पुल को आम लोगों के खोला गया, जिसे चीन की मदद से बनाया गया है.

अभी तो बांग्लादेश चीन का बखान कर रहा है, लेकिन चीन-पाकिस्तान और बांग्लादेश का नया गठजोड़ भारत के लिए एक चुनौती बन सकता है. शेख हसीना ने अपने लंबे शासन काल में पाकिस्तान के काले साये से बांग्लादेश को हमेशा दूर रखा. उसका नतीजा ये हुआ कि बांग्लादेश ने भारत के साथ मिलकर अपने लिए आर्थिक तरक्की का रास्ता चुना, लेकिन अब बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना, हथियार, गोली-बारूद का आना भारत के लिए भी खतरे की घंटी है.

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बांग्लादेश में पाकिस्तानी फौज की एंट्री से भारत के 80 किमी चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर खतरा बढ़ सकता है, जिसे चिकन नेक के नाम से जाना जाता है. ये कॉरिडोर भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर की अहमियत भारत के लिए इसलिए भी है कि भूटान के डोकलाम पर चीन कब्जा चाहता है. ऐसे में बांग्लादेश की जियोपॉलिटिकल लोकेशन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि उधर से चीन को कोई सहयोग ना मिले.

बांग्लादेश का पाकिस्तान और चीन की तरफ झुकना भारत के लिए कूटनीतिक और सामरिक नजरिए से सतर्क होने का अलार्म बजा रहा है. बांग्लादेश में पाक की एंट्री के बाद पूर्वोत्तर के कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों के पैर पसाने का खतरा बढ़ सकता है. ग्रुप के और हावी होने की आशंका है.

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