बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने पिछले साल उनके सरकारी आवास पर हुए आंदोलनकारियों के हमले को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पहली बार अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने एक ऑडियो टेप जारी करके कहा है कि अगर मैं अपनी बहन के साथ उस दिन 20 मिनट पहले अपने सरकारी आवास से नहीं निकलती तो वो दिन हमारा आखिर दिन हो सकता था. उनका यह ऑडियो उनकी पार्टी अवामी लीग पार्टी ने साझा किया है. इस ऑडियो में शेख हसीना अल्लाह का शुक्रिया अदा करते भी दिख रही हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों पर उन्हें मारने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया है.
बांग्लादेश में पिछले साल कुछ ऐसा दिखा था आंदलोनकारियों का हुजूम
इस ऑडियो में शेख हसीना आगे कह रही हैं कि मुझे लगता है कि 21 अगस्त को अगर हम समय पर नहीं निकलते तो हमे उस दिन मार दिया जाता. अल्लाह हमारे साथ था इसलिए आज हम सुरक्षित हैं. इस आडियो में शेख हसीना ने 2004 में हुए ग्रेनेड हमले का भी जिक्र किया है. इस हमले में वो घायल हो गई थी. उन्होंने एक अन्य उदाहरण कोटालिपारा बम साजिश का भी जिक्र किया. जिसमें जुलाई 2000 में एक कॉलेज में बम पाए गए थे, जहां हसीना को दौरा करना था.
बांग्लादेश ने रद्द किया शेख हसीना का पासपोर्ट
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारत ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की वीजा अवधि को बड़ा दिया था. वह पिछले साल अगस्त से भारत में रह रही हैं. इस बीच खबर ये भी आई थी कि बांग्लादेश ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया है.हालांकि वीजा अवधि बढ़ने से हसीना के लिए अधिक समय तक भारत में रहने का रास्ता साफ हो गया है.यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार, भारत से पूर्व पीएम के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है.
यूनुस सरकार हसीना और उनकी बांग्लादेश आवाम पार्टी (बीएएल) पर शिकंजा कसने की पूरी कोशिश कर रही है. सरकार ने पूर्व पीएम और उनके प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया कि हसीना को देश में 'शरण' दी गई है और वह सामान्य रूप से देश में रह रही हैं. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत उन्हें शरण नहीं दे सकता क्योंकि भारत के पास कोई शरण नीति नहीं है और इसलिए किसी को भी शरण देने की कोई व्यवस्था नहीं है.
खालिदा जिया ने भी छोड़ा देश
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया ने भी पिछले दिनों बांग्लादेश छोड़ दिया था. खास बात ये है कि उनका यह फैसला उस वक्त आया था जब बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट जिया अनाथलय ट्रस्ट केस में अपना फैसला सुनाने वाली है. शेख हसीना के बाद खालिदा जिया बांग्लादेश की दूसरी बड़ी नेता हैं जो बीते साल भर में देश छोड़कर जा रही हैं. इससे पहले पिछले साल शेख हसीना बांग्लादेश में बिगड़े हालात के बीच देश छोड़कर जा चुकी हैं. खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी अंतरिम सरकार का समर्थन करती रही है लेकिन बीते कुछ समय से मौजूदा सरकार और बीएनपी पार्टी के बीच के रिश्तों में तल्खियां आई हैं. सूत्रों के अनुसार मौजूदा सरकार के करीबियों की ओर से एक नई पार्टी बनाने की बात सामने आई थी. इसके बाद से ही मौजूदा सरकार और बीएनपी पार्टी के बीच मनमुटाव की बात सामने आने लगी थी. हालांकि, खालिदा जिया ने देश छोड़ने के पीछे का कारण अपने बिगड़ते स्वास्थ्य को बताया था.